वाराणसी: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभुजी के चार कल्याणकों (च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान) के स्थान का कायाकल्प करने में जुट गई है. सीएम योगी के निर्देश पर चंद्रप्रभु जी की जन्मस्थली चंद्रावती गांव में पक्के गंगा घाट का निर्माण कराया जा रहा है. तीर्थयात्रियों की सुविधा और घाट देखने में सुन्दर लगे इसलिए यहां पर तीन प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं. गाबियन और रेटेशन वाल से घाट तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही पूरे घाट का लुक हेरिटेज थीम पर होगा.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही सनातन के साथ ही पौराणिकता को नव जागृत करने का काम शुरू कर दिया था. इसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश में हैरिटेज से जुड़े बहुत से कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं. इसके साथ ही कई पर्यटन स्थलों का नव निर्माण भी कराया जा रहा है. काशी सनातन संस्कृति का ध्वज वाहक और बाबा विश्वनाथ की नगरी है. वहीं काशी में जैन धर्म का भी प्रमुख तीर्थस्थल है. भगवान पार्श्वनाथ के साथ ही 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की जन्मस्थली भी वाराणसी में ही है.
जन्मस्थली पर 200 मीटर लंबे घाट का किया जा रहा निर्माणः वाराणसी मुख्यालय से करीब 23 किलोमीटर दूर गाजीपुर रोड पर चंद्रावती गांव में जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभुजी की जन्मस्थली गंगा किनारे है. यहां भगवान चंद्रप्रभुजी का श्वेताम्बर व दिगम्बर जैन मंदिर है. चंद्रप्रभुजी की जन्मस्थली के पास लगभग 200 मीटर लम्बा पक्के घाट का निर्माण हो रहा है. वाराणसी में इस प्रकार एक नए घाट का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है. पूरे घाट के निर्माण की लागत 17.07 करोड़ है. घाट का निर्माण वर्ष 2024 तक पूरा होना प्रस्तावित है.
बोट और क्रूज से भी कनेक्ट करने का हो रहा प्रयासः पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चंद्रप्रभु जी की जन्मस्थली चंद्रावती गांव में पक्के गंगा घाट का निर्माण कराया जा रहा है. जैन धर्म को मानने वाले देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. घाट के पुनरुद्धार व सुविधाओं के बढ़ जाने से आने वाले समय में ये स्थान तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा. आने वाले समय में इस घाट को पानी के रास्ते भी जोड़ने की योजना है, जिससे बोट या क्रूज से पर्यटक यहां पहुंच सकें.
निर्माण के बाद ये स्थान तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बनेगाः राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि जैन धर्म को मानने वाले देश-विदेश से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. घाट के पुनरुद्धार व सुविधाओं के बढ़ जाने से आने वाले समय में ये स्थान तीर्थाटन का बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा. आने वाले समय में इस घाट को पानी के रास्ते भी जोड़ने की योजना है. जिससे बोट या क्रूज से पर्यटक यहां पहुंच सकें. तीर्थयात्रियों की सुविधा और घाट देखने में सुन्दर लगे इसलिए तीन प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं. घाट से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां होंगी. इसके अलावा पूरे घाट का लुक हेरिटेज होगा.
पुराने घाटों की तरह ही तैयार किया जाएगा नया घाटः यूपी प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि गाबियन (GABION) और रेटेशन वाल से घाट तैयार किया जा रहा है. इससे ये देखने में पुराने घाटों की तरह होगा और बाढ़ में सुरक्षित भी रहेगा. इसका निर्माण पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होगा. टॉयलेट ब्लॉक, पोर्टेबल चेंजिंग रूम, साइनेजेस, पार्किंग, हेरिटेज लाइट, बैठने के लिए पत्थर की बेंच होंगी. अधिकारियों ने बताया कि पत्थरों से बनी जालीनुमा खूबसूरत रेलिंग लगाई जाएगी. साथ ही बागवानी भी होगी.
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