वाराणसी: भाई दूज का दिन जहां भाइयों और बहनों के लिए खास होता है, वहीं कायस्थ समाज के लोगों के लिए आज के दिन का विशेष महत्व होता है. कायस्थ समाज के सदस्यों ने यम द्वितीया के मौके पर अपने प्रेरणास्नेत भगवान चित्रगुप्त का पूजन किया.इसके साथ भगवान चित्रगुप्त के समक्ष रखे गए कलम-दवात की भी पूजा की गई.
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भगवान शिव की नगरी में चित्रगुप्त की पूजा की गई
पहाड़िया स्थित मंदिर के साथ विभिन्न स्थानों पर कायस्थ जाति के लोगों ने भगवान की पूजा की. इस अवसर पर हुई गोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान चित्रगुप्त के कृतित्व पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि भविष्य पुराण में चित्रगुप्त की जन्म कथा का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है .ब्रम्हा की दस हजार वर्ष की तपस्या के बाद उनकी काया से भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था.
कायस्थों के लिए क्यों खास है चित्रगुप्त की पूजा
मान्यता के अनुसार,उनके द्वारा किए गए लेखा-जोखा के बाद ही प्राणी को नया जन्म प्राप्त होता है. इस कारण कायस्थ समाज में यम द्वितीया के दिन कलम और दवात के पूजन का चलन शुरू हुआ. कायस्थ समाज के विभिन्न संगठनों की ओर से भगवान चित्रगुप्त का पूजन विधि-विधान से किया गया.
विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी चित्रगुप्त पूजनोत्सव मनाया गया.पहाड़िया स्थित भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में सुबह से ही कायस्थ समाज के लोग दर्शन पूजन कर भगवान का आशीर्वाद ले रहे हैं. पूरे विधि-विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा की गई. इसके साथ ही कलम दवात की भी पूजा की गई.
आज हम लोग अपने आराध्य इष्ट देव भगवान चित्रगुप्त का पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं. इसके साथ ही हम लोग आज कलम और दवात की भी पूजा करते हैं. सारा कायस्थ समाज आज के दिन एक होकर भगवान चित्रगुप्त की आराधना करता है.आज पूरे विधि-विधान से इनका पूजन पाठ किया गया.
-नीतू श्रीवास्ताव ,भक्त