वाराणसी:लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण कई सारे बीमारियों ने भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है.आलम यह है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारियों की आफत भी बढ़ती जा रही है. जिसका नतीजा है कि शहर का मंडली अस्पताल मरीजों से पटा हुआ नजर आ रहा है. अस्पताल में सर्दी, जुखाम, खांसी, पेट दर्द,उल्टी के मरीज सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे (Infected diseases due to floods in Banaras) हैं. बड़ी बात यह है कि मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की दिख रही है. यही वजह है कि अस्पताल का पीडियाट्रिक वार्ड पूरी तरीके से फुल नजर आ रहा है. इसको लेकर के लगातार डॉक्टरों के द्वारा एडवाइजरी जारी की जा रही है.
बदलते मौसम व बढ़ते बाढ़ के कारण फैल रही बीमारियों को देखते हुए चिकित्सक सेहत के प्रति सावधानी बरतने की लगातार सलाह दे रहे हैं. क्योंकि इन बीमारियों का ही परिणाम है कि न सिर्फ़ वाराणसी के सरकारी अस्पताल मरीज़ो से भरे हुए हैं बल्कि शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय (Shivprasad Gupta Divisional Hospital) में बनाया गया. 20 बेड का बच्चा वार्ड पूरी तरीके से भर गया है. इस बारे में अस्पताल की सीएमएस डॉ हरी चरण सिंह ने बताया कि अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन सर्दी, खांसी, बदन दर्द, पेट दर्द के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अस्पताल में प्रतिदिन 15 सौ से ज्यादा मरीज इलाज कराने आ रहे हैं, जिसमें 400 से ज्यादा की मरीज वायरल बीमारी से जूझ रहे है इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है.
जानकारी देते सीएमएस डॉ हरी चरण सिंह वही डॉ हरी चरण सिंह ने बताया कि साधारण तौर पर सभी लोगों को कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है. जिसमें बारिश में भीगने से बचना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, खुले सामानों को खाने से परहेज करना, व मौसमी फलों सब्जियों का सेवन करना अत्यधिक जरूरी है. क्योंकि साफ सफाई और सही खान-पान से ही वायरल और बाढ़ संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है.इसी क्रम में लगातार बच्चों में हो रहे संक्रमण(Children sick from infected diseases in Banaras) के बाबत ईटीवी भारत की टीम ने मंडली अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से खास बातचीत करके यह जाना की बच्चों को वायरल और बाढ़ जनित रोग बीमारियों से कैसे संरक्षित रखा जाए. जहां डॉक्टर एसपी सिंह ने बताया कि बारिश व बाढ़ के मौसम में बच्चों की परवरिश पर विशेष ध्यान देना चाहिए.अगर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह बीमार पड़ सकते हैं.इस मौसम में बच्चों को तीन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पहला- सर्दी, खांसी, जुकाम एवं बुखार, दूसरा- उल्टी दस्त और बुखार तथा तीसरा- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया तथा मच्छरजनित रोग.साफ सफ़ाई संग मच्छरों से करें सुरक्षित:उन्होंने बताया कि सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार से बचाव के लिए बच्चों को बारिश के पानी से दूर रखें. अक्सर बच्चे बारिश में भीग जाते हैं जिससे ये बीमारियां पैदा होती हैं. उल्टी तथा दस्त से बचाव के लिए उन्होने बताया कि साफ पीने के पानी का प्रयोग करें तथा घर का बना हुआ ताजा खाना खिलायें, बासी खाना खिलाने से परहेज करें. बच्चे को बाजार की कोई भी खुली हुई चीज बिलकुल न खिलायें. छोटे बच्चे पर विशेष ध्यान देना है कि वह जमीन पर गिरी हुई कोई भी खाद्य सामग्री उठाकर न खाएं तथा बच्चों को खेलने के लिए ऐसे खिलौने दें, जो धुलकर साफ किया जा सके.डॉ एस.पी. सिंह ने बताया कि घर के आस-पास साफ–सफाई रखें तथा कहीं भी (कूलर, छत पर पड़े टायर, गमले, नारियल के खोल, टीन के डिब्बों आदि में) पानी न इकट्ठा होने दें, जिससे उसमें लार्वा न पनप सकें. बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं एवं कमरे में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें. मच्छर से बचने के लिए अन्य साधनों का भी उपयोग कर सकते हैं.उल्टी-दस्त से करें बचाव: डॉ. सिंह ने कहा कि घर में ओआरएस का पैकेट जरूर रखें, जिससे उल्टी-दस्त होने पर बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके. उल्टी होने पर ओआरएस का घोल या अन्य पेय पदार्थ जैसे दाल का पानी, पतली दलिया तथा मांड थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जल्दी-जल्दी देना सुनिश्चित करें, यदि बच्चा उल्टी करता भी है तो थोड़ा-थोड़ा ओआरएस का घोल तथा पेय पदार्थ देते रहें. ओआरएस के पैकेट दो तरह के होते हैं - छोटा पैकेट 200 मिलीलीटर (एक गिलास) पानी में घोलना होता है तथा बड़ा पैकेट एक लीटर पानी में घोलना होता है. घोल बनाते समय, सही संयोजन आवश्यक है अन्यथा यह हानिकारक भी हो सकता है.यह भी पढ़ें:बाढ़ पीड़ित लोग चिकित्सकीय सेवाओं के लिए न हो परेशान, इन मेडिकल कैम्पों पर करें सम्पर्क
विशेषज्ञ-चिकित्सक से लें सलाह: डॉ. सिंह ने कहा कि बच्चे को बुखार होने पर डॉक्टर की उचित परामर्श के अनुसार दवा खिलायें.यदि घर में बुखार की दवा न हो तो बुखार आने पर सूती गीले कपड़े से शरीर को पोंछना, बुखार उतारने का एक उपयोगी तरीका है.कुछ बच्चों को बुखार आने पर कभी-कभी हल्का मिर्गी की तरह का दौरा पड सकता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को सुविधानुसार करवट पर लिटा दें और उसकी गर्दन को सीधा रखें. बुखार उतारने के लिए भीगे कपड़े से शरीर को पोंछे और चिकित्सक से उचित परामर्श लें.
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