वाराणसी: उत्तर प्रदेश में निर्माण श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई अब पैसों के अभाव में अधूरी नहीं रहेगी. इनकी पढ़ाई पूरी कराने का जिम्मा प्रदेश सरकार ने उठा लिया है. जी हां! सरकार ने पहले ही इसे लेकर सार्वजनिक मंच से कहा था कि प्रदेश के श्रमिकों के बच्चे भी अब डॉक्टर-इंजीनियर बन सकेंगे. सरकार ने इन गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप (Workers Children will get scholarship) भेजनी शुरू कर दी है.
आपको बता दें कि योगी सरकार निर्माण श्रमिकों के बच्चों के शिक्षा का दायित्व संभाल रही है. सरकार इसके लिए कामगारों के बच्चों को स्कॉलरशिप दे रही है, जिससे श्रमिक अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी करा सकें. संत रविदास शिक्षा सहायता योजना (Sant Ravidas Shiksha Sahayata Yojana) के अंतर्गत पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल रहा है.
श्रमिकों के बच्चों को स्कॉलरशिप मिलेगी: सराकर के इस कार्यक्रम के अंन्तर्गत श्रमिकों के बच्चे स्कॉलशिप का लाभ उठाते हुए आईटीआई, पॉलिटेक्निक करने के साथ ही उच्च शिक्षा भी हासिल कर सकते हैं. अगर बात वाराणसी मंडल की करें, तो वाराणसी और जौनपुर में 210 श्रमिकों के बच्चों को पढाई के लिए 8,01600 रुपये छात्रवृत्ति के रूप दिए गए हैं.
स्कॉलरशिप के लिए कितनी जारी हुई धनराशि: इस बारे में हमने वाराणसी में अपर श्रमायुक्त मधुर सिंह से बात ही. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में वाराणसी में निर्माण श्रमिकों के 175 बच्चों को 6,61,600 रुपये और जौनपुर में निर्माण श्रमिकों के 35 बच्चों को 1,40,000 रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है. बच्चों को 100 रुपये से लेकर 5000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है.
किसे और कितने बच्चों को मिलेगा लाभ: श्रमायुक्त ने कहा कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की स्नातक डिग्री प्राप्त करने के लिए आवेदकों को 8000 रुपये और 12000 रुपए की राशि दी जाती है. संत रविदास शिक्षा सहायता योजना के अंतर्गत एक परिवार के दो बच्चों को इसका लाभ मिलता है. सभी लाभ पाने के लिए निर्माण श्रमिकों को श्रम विभाग में नियमनुसार पंजीकृत होना आवश्यक है.
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