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भगवान बुद्ध और सारनाथ का क्या है कनेक्शन, आज भी सारनाथ में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की तमाम चीजें जानिए...

आज भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव है. इसे श्रद्धालु बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाते है. वाराणसी के सारनाथ में भगवान बुद्ध की कई चीजें मौजूद है. सारनाथ को सारंगनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है. यहां बौद्ध धर्म के अनुयाई भगवान का दर्शन करके अपना जीवन धन्य मानते है. क्या है भगवान बुद्ध और सारनाथ का कनेक्शन. जानने के लिए पढ़िए आगे की खबर...

सारनाथ में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की तमाम चीजें
सारनाथ में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की तमाम चीजें
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Published : May 16, 2022, 3:48 PM IST

वाराणसी: भगवान बुद्ध का आज जन्मोत्सव है, इस पावन पर्व को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान बुद्ध का नाम जहन में आते ही भले ही बोधगया, कुशीनगर, लुंबिनी इन जगहों का नाम आपको याद आ रहा हो, लेकिन बुद्ध के लिए महत्वपूर्ण वाराणसी का सारनाथ भी है. सारनाथ वह अद्भुत स्थान है, जिसे सारंगनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि, सारनाथ में आज भी अद्भुत चीजें मौजूद हैं, उसका दर्शन मात्र करने से बौद्ध धर्म के अनुयाई अपना जीवन धन्य मानते हैं. इनमें चीजों में यहां मौजूद वह अस्थि कलश है, जिसमें भगवान बुद्ध के दांत रखे गए हैं. इसके अलावा सारनाथ के खंडहर एरिया में भगवान बुद्ध का वह छोटा सा कमरा भी है, जहां भगवान बुद्ध ने आशीर्वाद के दौरान अपने जीवन काल का महत्वपूर्ण समय बिताया था.

सारनाथ का इतिहास:

भगवान बुद्ध और सारनाथ का खूबसूरत इतिहास है. इस बारे में काशी के जानकार और काशी के ऊपर कई किताबें लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. उन्होंने सारनाथ से जुड़े तमाम रहस्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि वैसे तो भारत के कई स्थान बौद्ध धर्म के तीर्थ के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में सारनाथ को सर्वोपरी माना जा सकता है.

वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने बताया सारनाथ का इतिहास

यह भी पढ़ें: वैशाख पूर्णिमा: जानिए इस तिथि का महत्त्व, दान करने से मिलेगी भगवान विष्णु की कृपा


ऐसा सिर्फ इसलिए कि भगवान बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हुई, तो भटकते हुए नहीं बल्कि प्रकृति और ईश्वर की तरफ से निर्धारित स्थान के रूप में उन्हें सारनाथ भेजा गया था. सारनाथ उस वक्त हिरणों से भरा एक अद्भुत वन हुआ करता था. इसकी आभा अपने आपमें अद्भुत थी. सारंगनाथ महादेव के नाम से इस स्थान को सिंहपुर के नाम से भी जाना जाता था. सिंहपुर में जब भगवान बुद्ध घूमते हुए पहुंचे तो उन्होंने अपने उन पांच शिष्यों को अपनी शक्ति के जरिए यहां पर बुलाया. उन्हें मालूम था कि उन्हें अपना पहला उपदेश यहीं देना था. अपनी ईश्वरीय ताकत के बल पर उन्होंने इन पांचों को यहां बुला कर उपदेश दिया, तो इसी स्थान को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना गया.

सारनाथ में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की तमाम चीजें:

सारनाथ में अशोक का चतुर्भुज सिंह स्तंभ, भगवान बुद्ध का मंदिर, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप समेत मूलगंध कुटी विहार और ऐसी कई चीजें मौजूद हैं. यह सभी चीजें भगवान बुद्ध के आज भी यहां होने का एहसास कराती हैं. वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण का कहना है कि, सारनाथ के बारे में हर किसी को यह तो पता है कि भगवान बुद्ध ने यहां पर अपना पहला उपदेश दिया था, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सारनाथ में धमेख स्तूप के पास एक वह स्थान भी मौजूद है, जहां भगवान बुद्ध कई दिनों तक एक छोटे से कमरे में रहते हुए ध्यान साधना में लीन थे. यह स्थान आज भी सुरक्षित है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए किसी काशी से कम नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने सारनाथ की जानकारी दी:

विश्वनाथ गोकर्ण का कहना है कि इस रमणीय स्थान पर आज भी भगवान बुद्ध के होने का एहसास होता है. यहां पर एक अलग तरह की ऊर्जा का संचार होता है. यहां आने के बाद आप खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे, क्योंकि आज भी यहां पर बुद्ध के ज्ञान और बुद्ध के उपदेशों को महसूस किया जा सकता है. सारनाथ वह अद्भुत स्थान है, जहां मौजूद भगवान बुद्ध के छोटे से कमरे में उनकी मौजूदगी का एहसास किया जा सकता है.

विश्वनाथ कोकण ने आगे बताया कि भगवान बुद्ध ऐसे ही भगवान नहीं थे. उनके जीवन के हर पल को पहले से ही निर्धारित किया गया था. भगवान बुद्ध के लिए पूर्णिमा का विशेष महत्व था. उनके जीवन में हर कार्य पूर्णिमा पर ही हुए थे. चाहे उनका जन्म हो, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई हो, पहला उपदेश हो या फिर उनके द्वारा शरीर को छोड़ना हो. यह सभी कार्य भगवान बुद्ध के द्वारा पूर्णिमा के दिन ही दिए गए थे. इसलिए पूर्णिमा का उनके जीवन में विशेष महत्व माना जाता है.

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वाराणसी: भगवान बुद्ध का आज जन्मोत्सव है, इस पावन पर्व को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान बुद्ध का नाम जहन में आते ही भले ही बोधगया, कुशीनगर, लुंबिनी इन जगहों का नाम आपको याद आ रहा हो, लेकिन बुद्ध के लिए महत्वपूर्ण वाराणसी का सारनाथ भी है. सारनाथ वह अद्भुत स्थान है, जिसे सारंगनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि, सारनाथ में आज भी अद्भुत चीजें मौजूद हैं, उसका दर्शन मात्र करने से बौद्ध धर्म के अनुयाई अपना जीवन धन्य मानते हैं. इनमें चीजों में यहां मौजूद वह अस्थि कलश है, जिसमें भगवान बुद्ध के दांत रखे गए हैं. इसके अलावा सारनाथ के खंडहर एरिया में भगवान बुद्ध का वह छोटा सा कमरा भी है, जहां भगवान बुद्ध ने आशीर्वाद के दौरान अपने जीवन काल का महत्वपूर्ण समय बिताया था.

सारनाथ का इतिहास:

भगवान बुद्ध और सारनाथ का खूबसूरत इतिहास है. इस बारे में काशी के जानकार और काशी के ऊपर कई किताबें लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. उन्होंने सारनाथ से जुड़े तमाम रहस्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि वैसे तो भारत के कई स्थान बौद्ध धर्म के तीर्थ के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में सारनाथ को सर्वोपरी माना जा सकता है.

वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने बताया सारनाथ का इतिहास

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ऐसा सिर्फ इसलिए कि भगवान बुद्ध को जब ज्ञान की प्राप्ति हुई, तो भटकते हुए नहीं बल्कि प्रकृति और ईश्वर की तरफ से निर्धारित स्थान के रूप में उन्हें सारनाथ भेजा गया था. सारनाथ उस वक्त हिरणों से भरा एक अद्भुत वन हुआ करता था. इसकी आभा अपने आपमें अद्भुत थी. सारंगनाथ महादेव के नाम से इस स्थान को सिंहपुर के नाम से भी जाना जाता था. सिंहपुर में जब भगवान बुद्ध घूमते हुए पहुंचे तो उन्होंने अपने उन पांच शिष्यों को अपनी शक्ति के जरिए यहां पर बुलाया. उन्हें मालूम था कि उन्हें अपना पहला उपदेश यहीं देना था. अपनी ईश्वरीय ताकत के बल पर उन्होंने इन पांचों को यहां बुला कर उपदेश दिया, तो इसी स्थान को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना गया.

सारनाथ में मौजूद हैं भगवान बुद्ध की तमाम चीजें:

सारनाथ में अशोक का चतुर्भुज सिंह स्तंभ, भगवान बुद्ध का मंदिर, धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप समेत मूलगंध कुटी विहार और ऐसी कई चीजें मौजूद हैं. यह सभी चीजें भगवान बुद्ध के आज भी यहां होने का एहसास कराती हैं. वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण का कहना है कि, सारनाथ के बारे में हर किसी को यह तो पता है कि भगवान बुद्ध ने यहां पर अपना पहला उपदेश दिया था, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सारनाथ में धमेख स्तूप के पास एक वह स्थान भी मौजूद है, जहां भगवान बुद्ध कई दिनों तक एक छोटे से कमरे में रहते हुए ध्यान साधना में लीन थे. यह स्थान आज भी सुरक्षित है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए किसी काशी से कम नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने सारनाथ की जानकारी दी:

विश्वनाथ गोकर्ण का कहना है कि इस रमणीय स्थान पर आज भी भगवान बुद्ध के होने का एहसास होता है. यहां पर एक अलग तरह की ऊर्जा का संचार होता है. यहां आने के बाद आप खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे, क्योंकि आज भी यहां पर बुद्ध के ज्ञान और बुद्ध के उपदेशों को महसूस किया जा सकता है. सारनाथ वह अद्भुत स्थान है, जहां मौजूद भगवान बुद्ध के छोटे से कमरे में उनकी मौजूदगी का एहसास किया जा सकता है.

विश्वनाथ कोकण ने आगे बताया कि भगवान बुद्ध ऐसे ही भगवान नहीं थे. उनके जीवन के हर पल को पहले से ही निर्धारित किया गया था. भगवान बुद्ध के लिए पूर्णिमा का विशेष महत्व था. उनके जीवन में हर कार्य पूर्णिमा पर ही हुए थे. चाहे उनका जन्म हो, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई हो, पहला उपदेश हो या फिर उनके द्वारा शरीर को छोड़ना हो. यह सभी कार्य भगवान बुद्ध के द्वारा पूर्णिमा के दिन ही दिए गए थे. इसलिए पूर्णिमा का उनके जीवन में विशेष महत्व माना जाता है.

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