वाराणसीः घोसी से बसपा सांसद अतुल राय के नैनी जेल से बाहर निकलने का रास्ता अब साफ होता नजर आ रहा है. दुष्कर्म पीड़िता को आत्महत्या को उकसाने मामले में आरोपी घोसी सांसद की जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. अब केवल गैंगस्टर मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. दुष्कर्म पीड़िता को आत्महत्या को उकसाने मामले में लंका थाने में दर्ज मामले में घोसी सांसद अतुल राय को विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने एक-एक लाख के दो जमानत दार देने पर शशर्त जमानत दी है.
बसपा सांसद अतुल राय के अधिवक्ता अनुज यादव ने बताया कि दुष्कर्म पीड़िता को खुदकुशी के लिए उकसाने मामले में विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट ने शशर्त जमानत मंजूर कर ली. सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि अतुल राय द्वारा कोई आपराधिक खड़यंत्र पीड़िता व उसके पुरुष मित्र के आत्महत्या के लिए नहीं की गई. जिस आधार पर न्यायालय द्वारा सांसद अतुल राय को 120-b के मुकदमे में जो मुल्जिम बनाया गया था. उसमें जमानत मंजूर कर ली गई है. उन्होंने बताया कि सांसद अतुल राय के छूटने का रास्ता अब खुल गया है. एक मुकदमा उच्च न्यायालय प्रयागराज में गैंगस्टर का विचाराधीन है. उस मुकदमे की सुनवाई के बाद सांसद के जेल से छूटने का रास्ता साफ हो जाएगा.
बता दें कि गाजीपुर जिले के भावरकोल थाना के बीरपुर गांव के रहने वाले अतुल राय के पिता भारत सिंह डीएलडब्ल्यू में कर्मचारी रहे. इसलिए अतुल्य की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से ही हुई और मैदागिन स्थित हरिशचंद्र पीजी कॉलेज से 2004 में अतुल ने बीएससी की पढ़ाई कंप्लीट की. यहां से पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद अपराध जगत के ग्लैमर ने अतुल को अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया और अतुल का झुकाव मऊ के सदर विधायक मुख्तार अंसारी की तरफ बढ़ता चला गया. जिसकी वजह से मुख्तार के साथ में मिलकर पूर्वांचल में सक्रिय होने लगा. अतुल के खिलाफ पहला मुकदमा रंगदारी मांगने और धमकाने सहित कई अन्य आरोपों में साल 2009 में मंडुवाडीह थाने में दर्ज किया गया था.
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