वाराणसी: उत्तर प्रदेश में 5 चरणों के चुनाव खत्म हो चुके हैं. छठे व सातवें चरण में गोरखपुर समेत वाराणसी की कई महत्वपूर्ण सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं. इसे लेकर हर राजनीतिक दल पूर्वांचल को साधने के लिए अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. बहुजन समाज पार्टी की सर्वेसर्वा और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी 3 मार्च को वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र में जनसभा करने जा रही हैं.
इस जनसभा के आयोजन और वाराणसी में बीजेपी और सपा को मात देने की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी वाराणसी और गोरखपुर मंडल के प्रभारी और बीएसपी से राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को दी गई है. वाराणसी में रैली की तैयारियों के लिए पहुंचे अशोक सिद्धार्थ से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने यूपी में बीएसपी की सरकार बनने का दावा तो किया ही, साथ ही बीएसपी से निष्कासित स्वामी प्रसाद मौर्य के निष्कासन की वजह भी ईटीवी भारत को बताई.
बहुजन समाज पार्टी के राज्यसभा सांसद और सीनियर लीडर अशोक सिद्धार्थ ने पार्टी की नीतियों से लेकर पार्टी छोड़कर जाने वाले कई नेताओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
अशोक सिद्धार्थ ने कहा कि 5 चरणों के तहत जो चुनाव हो चुके हैं और पहले व दूसरे चरण में जिस तरह से पश्चिम के सर्व समाज के लोगों ने बहुजन समाज पार्टी की तरफ अपना रुझान दिखाया है, उसका फीडबैक स्थानीय वर्करों ने पार्टी आलाकमान को दिया है. इसमें यह सामने आया है कि बहुजन समाज पार्टी इस बार सांप्रदायिक ताकतों को कमजोर करने का काम करेगी. जिनकी सरकारें गुंडे माफियाओं को पनाह देती रही है, उनको भी कमजोर करने का काम करेगी.
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अशोक सिद्धार्थ ने बीजेपी की तरफ से लगातार बीएसपी की तारीफ करने को लेकर कहा कि अनजाने में ही सही, उन्होंने सही बात को कह ही दिया. सच्चाई यही है कि बहुजन समाज पार्टी को और इस सूबे की 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती के शासनकाल में अपराध नियंत्रण और बसपा शासनकाल में जो विकास हुआ वह अब तक किसी शासन में नहीं हुआ. मायावती के शासनकाल में यूपी में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को सभी ने सराहा.
सबसे विवादित मुद्दे पर लखनऊ खंडपीठ से जब आदेश आया, तब आसपास के जिलों में कर्फ्यू था. हालांकि उत्तर प्रदेश में कहीं कर्फ्यू का माहौल ही नहीं दिखा. पूरे 5 साल में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ. एक भी जातीय दंगा नहीं हुआ. किसी के साथ मॉब लिंचिंग नहीं हुई. यह बहन जी की इच्छा शक्ति थी कि 5 साल प्रदेश बहुत अच्छे तरीके से चला. यही वजह है कि बीजेपी के नेता मजबूरी में यह कहने को मजबूर हो गए हैं.
वास्तव में समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से बेहतर अपराध नियंत्रण का काम बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में रहता है. इसलिए यूपी के लोग अब पांचवीं बार बहन जी को मुख्यमंत्री बनाने जा रहे हैं. वहीं, 2007 में जातिगत समीकरणों को साधकर ब्राह्मणों को आगे लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में राजनीतिक ताकत यदि किसी को देने की बात आती है तो कांशीराम जी ने दी.
बहुजन समाज पार्टी की स्थापना के बाद हुए चुनाव (1989) में जब बहुजन समाज पार्टी के 3 मेंबर ऑफ पार्लियामेंट जीते और 13 विधायक यूपी में जीते तो तभी से न सिर्फ ब्राह्मणों को बल्कि अति पिछड़ी जातियों को भी जिनकी कोई राजनीति में भूमिका नहीं थी, उस वक्त कांशी राम और मायावती ने उत्तर प्रदेश में इनको पहचान दी. पहला पाल समाज और गडरिया समाज का विधायक बनाने का काम बहुजन समाज पार्टी ने किया. उन्होंने अन्य मुद्दों पर भी अपने विचार रखे. बातचीत के प्रमुख अंश..