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वाराणसी: बिरहा सम्राट पद्मश्री हीरालाल यादव का निधन, परिजनों ने साझा की यादें

विख्यात बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव ने रविवार को दुनिया को अलविदा कह दिया. वह काफी लंबे अर्से से बीमार चल रहे थे. पिछले पंद्रह दिन से बनारस के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका हालचाल जाना था.

बिरहा गायक हीरालाल यादव का निधन
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Published : May 12, 2019, 8:25 PM IST

वाराणसी: धन, दौलत, महल, अटारी, कुछ काम न आई, जब स्वां स्वां, चलत-चलत रुक जाई. पद्मश्री बिरहा गायक हीरालाल यादव की गाई हुई यह पंक्तियां आज भी उनके परिवार वालों की जुबान पर हैं. जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती काशी के पद्मश्री रत्न की पंक्तियां और हीरालाल जी के घर का माहौल आज काफी मेल खाता नजर आ रहा है. क्योंकि आज भारत का यह पद्मश्री गायक हम सबकों छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव का रविवार की सुबह निधन हो गया. लंबे वक्त से वह बीमार चल रहे थे जिनका काशी के अस्पताल में इलाज चल रहा था. दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका हाल-चाल लिया था.

बिरहा गायक हीरालाल यादव का निधन

पद्मश्री हीरालाल यादव : एक परिचय

  • वाराणसी जिले के हरहुआ ब्लॉक के बेलवरिया के थे मूल निवासी
  • साल 1936 में सराय गोवर्धन में हुआ था जन्म
  • बेहद ही गरीबी में बीता जवानी और बचपन के दिन
  • बचपन से ही थे शास्त्रीय संगीत के शौकीन
  • भैंस चराते-चराते करते थे गाने की प्रैक्टिस
  • रमन दास, होरी और गाटर खलीफा जैसे महारथियों से ली बिरहा की शिक्षा
  • अपनी कठोर साधना से बिरहा सम्राट के रूप में हुए विख्यात
  • साल 1962 से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर गाते थे बिरहा
  • पद्मश्री और यश भारती जैसे अनेकों पुरस्कारों से हुए सम्मानित

बता दें कि हीरालाल यादव जी का देहांत रविवार की सुबह लगभग 9:00 बजे हुआ. वह पिछले पंद्रह दिन से वाराणसी के ही एक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. उनको इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले पद्मश्री गायक के बेटे से बात करके उनका हाल-चाल लिया था और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी.

वाराणसी: धन, दौलत, महल, अटारी, कुछ काम न आई, जब स्वां स्वां, चलत-चलत रुक जाई. पद्मश्री बिरहा गायक हीरालाल यादव की गाई हुई यह पंक्तियां आज भी उनके परिवार वालों की जुबान पर हैं. जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती काशी के पद्मश्री रत्न की पंक्तियां और हीरालाल जी के घर का माहौल आज काफी मेल खाता नजर आ रहा है. क्योंकि आज भारत का यह पद्मश्री गायक हम सबकों छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव का रविवार की सुबह निधन हो गया. लंबे वक्त से वह बीमार चल रहे थे जिनका काशी के अस्पताल में इलाज चल रहा था. दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका हाल-चाल लिया था.

बिरहा गायक हीरालाल यादव का निधन

पद्मश्री हीरालाल यादव : एक परिचय

  • वाराणसी जिले के हरहुआ ब्लॉक के बेलवरिया के थे मूल निवासी
  • साल 1936 में सराय गोवर्धन में हुआ था जन्म
  • बेहद ही गरीबी में बीता जवानी और बचपन के दिन
  • बचपन से ही थे शास्त्रीय संगीत के शौकीन
  • भैंस चराते-चराते करते थे गाने की प्रैक्टिस
  • रमन दास, होरी और गाटर खलीफा जैसे महारथियों से ली बिरहा की शिक्षा
  • अपनी कठोर साधना से बिरहा सम्राट के रूप में हुए विख्यात
  • साल 1962 से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर गाते थे बिरहा
  • पद्मश्री और यश भारती जैसे अनेकों पुरस्कारों से हुए सम्मानित

बता दें कि हीरालाल यादव जी का देहांत रविवार की सुबह लगभग 9:00 बजे हुआ. वह पिछले पंद्रह दिन से वाराणसी के ही एक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. उनको इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले पद्मश्री गायक के बेटे से बात करके उनका हाल-चाल लिया था और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी.

Intro:वाराणसी। धन, दौलत, महल, अटारी, कुछ काम न आई, जब स्वां स्वां, चलत चलत रुक जाई। पद्मश्री बिरहा गायक हीरालाल यादव की गाई हुई पंक्तियां आज भी उनके परिवार वालों की जुबान पर है। जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती काशी के पद्मश्री रत्न की पंक्तियां और हीरालाल जी के घर का माहौल आज काफी मेल खाता नजर आ रहा है क्योंकि आज भारत के यह पद्मश्री गायक हम सबके बीच नहीं रहे। बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव का रविवार की सुबह निधन हो गया। कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी बीमारी के बारे में जानने के लिए हाल-चाल लिया था।


Body:VO1: मूल रूप से वाराणसी जिले के हरहुआ ब्लाक के बेलवरिया निवासी हीरालाल यादव का जन्म 1936 में क्षेत्र के सराय गोवर्धन में हुआ था। उनका बचपन और जवानी बहुत ही गरीबी में गुजरे हैं। उनके परिवार वाले बताते हैं कि हीरालाल यादव को गाने का शौक था और उसी शौक ने उन्हें पहचान दिलाई। गाय भैंस चराने के दौरान शौकिया गाते गाते अपनी सशक्त गायकी से बिरहा को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने वाले हीरालाल जी बिरहा सम्राट के रूप में विख्यात हुए। कठोर स्वर साधना का फल तो उन्हें मिल ही रहा था साथ ही उनके पहचान दिलाने में साथ रहा गुरु रमन दास, होरी और गाटर खलीफा जैसे महारथियों का। साल 1962 से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर बिरहा के शौकीनों को हीरालाल यादव ने अपना दीवाना बनाया और उनके इसी समर्पण ने उनको पद्मश्री सम्मान तक दिला दिया। स्वर्गीय बिरहा गायक को पद्मश्री और यश भारती समेत एक दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं।


Conclusion:VO2: हीरालाल यादव जी का देहांत रविवार की सुबह लगभग 9:00 बजे हुआ वह वाराणसी के ही एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से पिछले 15 दिनों से जूझ रहे थे और उनको इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया था खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले पद्मश्री गायक के बेटे से बात करके हाल चाल लिया था और उनके जल्दी स्वस्थ होने की कामना की थी लेकिन रविवार की सुबह बिरहा गायक ने अपनी अंतिम सांस ली।


Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
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