वाराणसी: धन, दौलत, महल, अटारी, कुछ काम न आई, जब स्वां स्वां, चलत-चलत रुक जाई. पद्मश्री बिरहा गायक हीरालाल यादव की गाई हुई यह पंक्तियां आज भी उनके परिवार वालों की जुबान पर हैं. जीवन की सच्चाई से रूबरू कराती काशी के पद्मश्री रत्न की पंक्तियां और हीरालाल जी के घर का माहौल आज काफी मेल खाता नजर आ रहा है. क्योंकि आज भारत का यह पद्मश्री गायक हम सबकों छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल यादव का रविवार की सुबह निधन हो गया. लंबे वक्त से वह बीमार चल रहे थे जिनका काशी के अस्पताल में इलाज चल रहा था. दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनका हाल-चाल लिया था.
पद्मश्री हीरालाल यादव : एक परिचय
- वाराणसी जिले के हरहुआ ब्लॉक के बेलवरिया के थे मूल निवासी
- साल 1936 में सराय गोवर्धन में हुआ था जन्म
- बेहद ही गरीबी में बीता जवानी और बचपन के दिन
- बचपन से ही थे शास्त्रीय संगीत के शौकीन
- भैंस चराते-चराते करते थे गाने की प्रैक्टिस
- रमन दास, होरी और गाटर खलीफा जैसे महारथियों से ली बिरहा की शिक्षा
- अपनी कठोर साधना से बिरहा सम्राट के रूप में हुए विख्यात
- साल 1962 से आकाशवाणी और दूरदर्शन पर गाते थे बिरहा
- पद्मश्री और यश भारती जैसे अनेकों पुरस्कारों से हुए सम्मानित
बता दें कि हीरालाल यादव जी का देहांत रविवार की सुबह लगभग 9:00 बजे हुआ. वह पिछले पंद्रह दिन से वाराणसी के ही एक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. उनको इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा गया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिन पहले पद्मश्री गायक के बेटे से बात करके उनका हाल-चाल लिया था और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी.