वाराणसी: काशी के दो विद्वानों को पद्मभूषण पुरस्कार और सम्मान देने की घोषणा की गई है. दोनों विद्वान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे हैं. इन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में बेहतर योगदान दिया है. पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों में जहां संगीत साधक पंडित ऋत्विक सान्याल है तो वहीं, दूसरे बीएचयू के शल्य चिकित्सा प्रोफेसर मनोरंजन साहू हैं.
बता दें कि प्रोफेसर मनोरंजन साहू का मेडिकल के क्षेत्र में एक बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने शल्य चिकित्सा में क्षार सूत्र पद्धति से न सिर्फ चिकित्सकों को प्रेरित किया है, बल्कि इस पद्धति को एक नई पहचान भी दी. प्रोफेसर साहू को क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति का विशेषज्ञ माना जाता है. इन्होंने भगंदर का क्षार सूत्र पद्धति से इलाज विकसित किया है.
पश्चिम बंगाल में हुआ था प्रो साहू का जन्म
प्रोफेसर साहू का जन्म 2 मार्च 1953 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ था. 1977 में उन्होंने स्टेट आयुर्वेदिक कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद एमडी और पीएचडी की उपाधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1982 व 1986 में प्राप्त की. इसके बाद BHU में उन्होंने बतौर शिक्षक 34 वर्षों तक कार्य किया.
आयुर्वेद का है ये सम्मान
इस बारे में प्रोफेसर मनोरंजन साहू ने बताया कि यह सम्मान शल्य चिकित्सा और चिकित्सकों का सम्मान है. पद्म पुरस्कार ने आयुर्वेद शल्य चिकित्सको को सम्मान दिया है. सम्मान मिलने के साथ यह तस्वीर साफ हो गई है कि सरकार भी आयुर्वेद चिकित्सा को प्रतिस्थापित कर इसे एक नया मुकाम देने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आधुनिक शल्य चिकित्सा के मुकाबले आयुर्वेद के शल्य चिकित्सकों को उतना महत्व नहीं मिलता. लेकिन, यह सम्मान निश्चित रूप से उनके आत्मविश्वास को मजबूत करेगा.
क्षार सूत्र पद्धति को दी नई पहचान
प्रोफेसर साहू को पुरस्कार मिलने के बाबत बीएचयू अस्पताल के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर बीएन मिश्रा ने बताया कि प्रोफेसर साहू बीएचयू आयुर्वेद संकाय के पूर्व प्रमुख और क्षार सूत्र चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ रहे हैं. उन्होंने क्षार सूत्र पद्धति को एक नई पहचान दिलाई है और इस नई पहचान का परिणाम है कि आज लोग इस पद्धति को जानते हैं.
उन्होंने बताया कि भगंदर का क्षार सूत्र इलाज विकसित करने के साथ उन्होंने इस इलाज में उपयोग होने वाले आयुर्वेदिक धागे की खोज करते हुए इस चिकित्सा पद्धति को एक नई ऊंचाई दी. इसके साथ ही चिकित्सकों को प्रशिक्षित भी किया. आज उनके शिष्य देशभर में इस चिकित्सा पद्धति के जरिए हजारों मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में यह पुरस्कार मिलना प्रोफेसर साहू के साथ-साथ अन्य सभी चिकित्सकों के लिए गौरव का फल है.
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