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सालों से टूटी पड़ी चिमनी का होगा कायाकल्प, दिखेगी अतीत की झलक

1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी, इसके लिए आईआईटी बीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है. इसलिए उसी समय स्थापित की गई चिमनी का निर्माण भी फिर से कराया जा रहा है.

1930 में बनी चिमनी का कायाकल्प
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Published : Feb 2, 2019, 2:42 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय 1930 में स्थापित चिमनी का कायाकल्प करने जा रहा है. इस चिमनी में कभी बिजली बनती थी, जो आधे शहर को रोशन करती थी. हालांकि 1985 में यह चिमनी टूट गई थी. इसे दोबारा शुरू करने के लिए चेन्नई से नई चिमनी का ढांचा मंगाया गया है.

बीएचयू में फिर शुरू होगा बिजली उत्पादन
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1916 में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. इसे मदन मोहन मालवीय की बगिया के नाम से भी जाना जाता है. 1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी, इसके लिए आईआईटी बीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है. इसलिए उसी समय स्थापित की गई चिमनी का निर्माण भी फिर से कराया जा रहा है.

बनारस एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन प्रोफेसर राम जी अग्रवाल ने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीछे 1930 में करीब 30 मीटर ऊंची एक चिमनी स्थापित हुई थी. चिमनी तो 1920 में स्थापित हो गई थी लेकिन 1930 में इसे चालू किया गया था. उन्होंने बताया कि उस समय यह चिमनी आधे शहर को बिजली प्रदान करती थी. साथ ही आईआईटी के छात्र इस पर अध्ययन करते थे और उसमें एक अलार्म होता था, जिससे क्लासेस के शुरू होने और खत्म होने का समय छात्रों को पता चल जाता था. 1985 में चिमनी के उपर का हिस्सा टूट गया था.

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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय 1930 में स्थापित चिमनी का कायाकल्प करने जा रहा है. इस चिमनी में कभी बिजली बनती थी, जो आधे शहर को रोशन करती थी. हालांकि 1985 में यह चिमनी टूट गई थी. इसे दोबारा शुरू करने के लिए चेन्नई से नई चिमनी का ढांचा मंगाया गया है.

बीएचयू में फिर शुरू होगा बिजली उत्पादन
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1916 में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. इसे मदन मोहन मालवीय की बगिया के नाम से भी जाना जाता है. 1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी, इसके लिए आईआईटी बीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है. इसलिए उसी समय स्थापित की गई चिमनी का निर्माण भी फिर से कराया जा रहा है.

बनारस एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन प्रोफेसर राम जी अग्रवाल ने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीछे 1930 में करीब 30 मीटर ऊंची एक चिमनी स्थापित हुई थी. चिमनी तो 1920 में स्थापित हो गई थी लेकिन 1930 में इसे चालू किया गया था. उन्होंने बताया कि उस समय यह चिमनी आधे शहर को बिजली प्रदान करती थी. साथ ही आईआईटी के छात्र इस पर अध्ययन करते थे और उसमें एक अलार्म होता था, जिससे क्लासेस के शुरू होने और खत्म होने का समय छात्रों को पता चल जाता था. 1985 में चिमनी के उपर का हिस्सा टूट गया था.

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Intro:काशी हिंदू विश्वविद्यालय भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के बगिया के नाम से भी जाना जाता है आईआईटी बीएचयू अतीत की उर्जा भी रोशन होगा इसके लिए 1930 में स्थापित चिमनी का अब कायाकल्प किया जा रहा है जिसमें कभी बिजली बनती थी और आधे शहर रोशन होता था हालांकि 1985 में चिमनी टूट गई जिसके कारण उसी समय से बंद पड़ी है चेन्नई से दो ट्रक में नई चिमनी का ढांचा यहां आया है और चिमनी का निर्माण किया जा रहा है।


Body:1916 में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की न्यू बसंत पंचमी के दिन रखी थी। उसके बाद 1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की न्यू रखी गई थी इसके लिए आईआईटीबीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है जिसके तहत विभिन्न पूर्व-छात्र यहां जुड़ेंगे और उस पुरानी चिमनी के नया रूप देखकर वह काफी खुश होंगे


Conclusion:बनारस एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन प्रोफेसर राम जी अग्रवाल ने बताया मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीछे 1930 में करीब 30 मीटर ऊंची एक चिमनी स्थापित हुई थी चिमनी तो 1920 में स्थापित हो गई थी लेकिन 1930 में इसकी फाउंडेशन किया गया और इसे चालू किया गया उस समय हम आधे शहर में बिजली प्रदान करती थी साक्षी आईआईटी के छात्र इस पर अध्ययन करते थे और उसमें एक अलार्म होता था जिससे हमारी क्लासेस कब खत्म होंगे और कब शुरू होंगी हमें पता चलता था उन दिनों शाम के समय क्लास चलते थे उस समय आईआईटी को बैंक को बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज कहा जाता था जिसका वह लैंड मार्क भी कहा जाता है 1985 में चेन्नई के ऊपरी हिस्सा टूट गया उस चिमनी से प्रेरणा लेते हुए 1982 बैच के एलुमनाई और चेन्नई निवासी पी रामचंद्र बैंकों से भी काफी प्रभावित हुए और उन्होंने बैंक को नाम से देश-विदेश में शिवनी व फर्नेस बिजली की भट्टी बनाने का बिजनेस शुरू किया अब आईआईटी को भी नहीं चिमनी दिए हैं जिससे इस कंपनी का कायाकल्प हो रहा है। पुराने छात्र जुटेंगे तो उस चिमनी को देखकर वह काफी खुश होंगे।
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