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वाराणसी: BHU के शास्त्री और आचार्य की डिग्री पर उठे सवाल, छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय के छात्र आंदोलित हो उठे. हाथों में पोस्टर लेकर छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग है कि उनकी डिग्री शास्त्री और आचार्य में एजुकेशन और पोस्ट ग्रेजुएशन अंकित किया जाए.

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हाथों में पोस्टर लेकर बीएचयू छात्रों ने किया प्रदर्शन.
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Published : Feb 26, 2020, 2:35 PM IST

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय में छात्र एक बार फिर आंदोलित हो गए. संकाय के गेट पर विरोध कर रहे छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग है कि उनकी शास्त्री और आचार्य की डिग्री में एजुकेशन और पोस्ट ग्रेजुएशन अंकित किया जाए. इसके साथ ही छात्रों का कहना है कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन इस कार्य को करें, नहीं तो हमारा भविष्य अंधकार में होगा.

हाथों में पोस्टर लेकर बीएचयू छात्रों ने किया प्रदर्शन.

छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन
छात्रों की मानें तो कई वर्षों से पारंपरिक संस्कृत की शास्त्री और आचार्य की उपाधि को कई राज्यों ने स्वीकृति दे दी है. फिर भी स्नातक एवं परास्नातक के समान यूजीसी द्वारा प्रमाणित होने पर भेदभाव किया जा रहा है. नया मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले का है, जहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पारंपरिक छात्रों को इस विषय पर धर्म शिक्षक परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित कर दिया गया. छात्रों का आरोप है कि बीएचयू से प्राप्त शास्त्री एवं आचार्य की उपाधि में कहीं भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट अंकित नहीं होने के चलते उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया.

हम सब यहां पर इकट्ठा हुए हैं. इस विषय को लेकर शास्त्री और आचार्य जो की परंपरा की डिग्रियां हैं, उनके साथ स्नातक और परास्नातक के शब्दों को जोड़ा जाए. क्योंकि कई जगह नियुक्ति के अवसर पर यह कहकर हमारी डिग्रियों को खारिज कर दिया जाता है कि यह ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के समान नहीं हैं.
मणिकांत तिवारी, शोध छात्र, बीएचयू

वाराणसी: जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय में छात्र एक बार फिर आंदोलित हो गए. संकाय के गेट पर विरोध कर रहे छात्रों ने जमकर प्रदर्शन किया. छात्रों की मांग है कि उनकी शास्त्री और आचार्य की डिग्री में एजुकेशन और पोस्ट ग्रेजुएशन अंकित किया जाए. इसके साथ ही छात्रों का कहना है कि जल्द से जल्द विश्वविद्यालय प्रशासन इस कार्य को करें, नहीं तो हमारा भविष्य अंधकार में होगा.

हाथों में पोस्टर लेकर बीएचयू छात्रों ने किया प्रदर्शन.

छात्रों ने किया विरोध प्रदर्शन
छात्रों की मानें तो कई वर्षों से पारंपरिक संस्कृत की शास्त्री और आचार्य की उपाधि को कई राज्यों ने स्वीकृति दे दी है. फिर भी स्नातक एवं परास्नातक के समान यूजीसी द्वारा प्रमाणित होने पर भेदभाव किया जा रहा है. नया मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले का है, जहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पारंपरिक छात्रों को इस विषय पर धर्म शिक्षक परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित कर दिया गया. छात्रों का आरोप है कि बीएचयू से प्राप्त शास्त्री एवं आचार्य की उपाधि में कहीं भी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट अंकित नहीं होने के चलते उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया गया.

हम सब यहां पर इकट्ठा हुए हैं. इस विषय को लेकर शास्त्री और आचार्य जो की परंपरा की डिग्रियां हैं, उनके साथ स्नातक और परास्नातक के शब्दों को जोड़ा जाए. क्योंकि कई जगह नियुक्ति के अवसर पर यह कहकर हमारी डिग्रियों को खारिज कर दिया जाता है कि यह ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के समान नहीं हैं.
मणिकांत तिवारी, शोध छात्र, बीएचयू

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