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वाराणसी: बीएचयू छात्राें का विरोध प्रदर्शन, विश्वविद्यालय पर लगाया भेदभाव का आरोप - बीएचयू विश्वविद्यालय पर भेदभाव का आरोप

वाराणसी में बीएचयू के छात्राें ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की. छात्रों ने विश्वविद्यालय पर ओबीसी छात्र-छात्राओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.

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बीएचयू छात्राें का विरोध प्रदर्शन
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Published : Feb 1, 2020, 6:27 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राें ने सेंट्रल ऑफिस पहुंचकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कुलपति के नाम का पत्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा. छात्रों ने विश्वविद्यालय पर ओबीसी छात्र-छात्राओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.

बीएचयू छात्राें का विरोध प्रदर्शन.

कुलपति के नाम तीन सूत्रीय मांगों का पत्र

  • विश्वविद्यालय की बीएड प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया जाता है जबकि अन्य आरक्षित एससी-एसटी के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं. ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि न होने के कारण रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं और उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया जाता है. ओबीसी वर्ग का भी प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए.
  • रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में कम अंक दिए जाने की वजह से डिग्री पाठ्यक्रम में अन्य छात्रों की तुलना ओबीसी वर्ग के ज्यादा अंक होते हैं. फिर भी ओबीसी वर्ग के छात्र मेरिट से बाहर हो जाते हैं. अतः नाम के स्थान पर अनुक्रमांक और कूट संख्या का प्रयोग किया जाए.
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय के किसी भी पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रावासों में आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती है. प्रत्येक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए संविधान प्रदत्त 27% आरक्षण अविलंब लागू किया जाए.

यह भी पढ़ें: बजट 2020-21 : गांव, गरीब, किसान और रोजगार पर रहा फोकस

ओबीसी होने के कारण हमारा कई जगह शोषण होता है. हम चाहते हैं पीएचडी प्रवेश परीक्षा में नाम न लिखा जाए केवल रोल नंबर लिखा जाए. विश्वविद्यालय के पैनल में ओबीसी का नेतृत्व करने वाला कोई होना चाहिए. हमें हॉस्टल में 27 परसेंट आरक्षण मिलना चाहिए.
परमदीप पटेल, छात्र बीएचयू

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राें ने सेंट्रल ऑफिस पहुंचकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कुलपति के नाम का पत्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा. छात्रों ने विश्वविद्यालय पर ओबीसी छात्र-छात्राओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.

बीएचयू छात्राें का विरोध प्रदर्शन.

कुलपति के नाम तीन सूत्रीय मांगों का पत्र

  • विश्वविद्यालय की बीएड प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया जाता है जबकि अन्य आरक्षित एससी-एसटी के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं. ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि न होने के कारण रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं और उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया जाता है. ओबीसी वर्ग का भी प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए.
  • रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में कम अंक दिए जाने की वजह से डिग्री पाठ्यक्रम में अन्य छात्रों की तुलना ओबीसी वर्ग के ज्यादा अंक होते हैं. फिर भी ओबीसी वर्ग के छात्र मेरिट से बाहर हो जाते हैं. अतः नाम के स्थान पर अनुक्रमांक और कूट संख्या का प्रयोग किया जाए.
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय के किसी भी पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रावासों में आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती है. प्रत्येक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए संविधान प्रदत्त 27% आरक्षण अविलंब लागू किया जाए.

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ओबीसी होने के कारण हमारा कई जगह शोषण होता है. हम चाहते हैं पीएचडी प्रवेश परीक्षा में नाम न लिखा जाए केवल रोल नंबर लिखा जाए. विश्वविद्यालय के पैनल में ओबीसी का नेतृत्व करने वाला कोई होना चाहिए. हमें हॉस्टल में 27 परसेंट आरक्षण मिलना चाहिए.
परमदीप पटेल, छात्र बीएचयू

Intro:वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सैकड़ों की संख्या में छात्र सेंट्रल ऑफिस आजम की जहां परियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर ओबीसी के जितने भी छात्र-छात्राएं हैं उनके साथ भेदभाव हो रहा है। चाहे वह हॉस्टल हो पीएचडी में एडमिशन हो या कहीं भी हर स्थान पर ऐसा हो रहा है। छात्रों ने कुलपति के नाम जो पत्र लिखा था वह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।


Body:छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम तीन सूत्रीय मांग का पत्रक दिया।

1 विश्वविद्यालय के बीएड की प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया जाता है जबकि अन्य आरक्षित एससी एसटी के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि ना होने के कारण रिसर्च प्रपोजल व साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं और उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया जाता है वह भी सीवर के लिए प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए।

2 पीएचडी प्रवेश परीक्षा में लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार की प्रक्रिया में छात्र-छात्राओं के नाम तथा उनकी श्रेणी का उपयोग होता है इसे भेदभाव होता है और पंजीकरण कम अंक देते हैं
जबकि ओबीसी छात्र छात्राएं डिग्री पाठ्यक्रमों के कुल अंकों का योग सर्वाधिक या फिर सामान्य वर्ग के छात्रों से अधिक होता है।
रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में कम अंक दिए जाने की वजह से डिग्री पाठ्यक्रम में अन्य छात्रों की तुलना ओबीसी वर्ग के ज्यादा अंक होते हैं।फिर भी ओबीसी वर्ग के छात्र मेरिट से बाहर हो जाते हैं अतः नाम के स्थान पर अनुक्रमांक और कूट संख्या का प्रयोग किया जाए।

3 काशी हिंदू विश्वविद्यालय के किसी भी पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रावासों में आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती तथा प्रत्येक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए संविधान प्रदत्त 27% आरक्षण अविलंब लागू किया जाए।


Conclusion:परमदीप पटेल ने बताया ओबीसी होने के कारण हमारा कई जगह शोषण होता है। इसलिए हम चाहते हैं कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा में जो परीक्षा होती है उसमें नाम ना लिखा जाए केवल रोल नंबर लिखा जाए। हमारी नाम और वर्ग वाली पहचान छुप जाए। विश्वविद्यालय के पैनल में ओबीसी का नेतृत्व करने वाला कोई रहना चाहिए वह नहीं है।उसके साथी ग्रेजुएशन मास्टर डिग्री और पीएचडी किसी में भी हमें हॉस्टल में 27 परसेंट आरक्षण मिलना चाहिए इन्हीं सब मांगों को लेकर आज हम लोगों ने कुलपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

बाईट :-- परमदीप पटेल, छात्र बीएचयू,

आशुतोष उपाध्याय

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