वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राें ने सेंट्रल ऑफिस पहुंचकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कुलपति के नाम का पत्र विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा. छात्रों ने विश्वविद्यालय पर ओबीसी छात्र-छात्राओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है.
कुलपति के नाम तीन सूत्रीय मांगों का पत्र
- विश्वविद्यालय की बीएड प्रवेश प्रक्रिया में ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि नियुक्त नहीं किया जाता है जबकि अन्य आरक्षित एससी-एसटी के प्रतिनिधि नियुक्त किए जाते हैं. ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधि न होने के कारण रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में जानबूझकर कम अंक दिए जाते हैं और उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया जाता है. ओबीसी वर्ग का भी प्रतिनिधि नियुक्त किया जाए.
- रिसर्च प्रपोजल और साक्षात्कार में कम अंक दिए जाने की वजह से डिग्री पाठ्यक्रम में अन्य छात्रों की तुलना ओबीसी वर्ग के ज्यादा अंक होते हैं. फिर भी ओबीसी वर्ग के छात्र मेरिट से बाहर हो जाते हैं. अतः नाम के स्थान पर अनुक्रमांक और कूट संख्या का प्रयोग किया जाए.
- काशी हिंदू विश्वविद्यालय के किसी भी पाठ्यक्रम में पढ़ने वाले ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को छात्रावासों में आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती है. प्रत्येक पाठ्यक्रम में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए संविधान प्रदत्त 27% आरक्षण अविलंब लागू किया जाए.
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ओबीसी होने के कारण हमारा कई जगह शोषण होता है. हम चाहते हैं पीएचडी प्रवेश परीक्षा में नाम न लिखा जाए केवल रोल नंबर लिखा जाए. विश्वविद्यालय के पैनल में ओबीसी का नेतृत्व करने वाला कोई होना चाहिए. हमें हॉस्टल में 27 परसेंट आरक्षण मिलना चाहिए.
परमदीप पटेल, छात्र बीएचयू