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बीएचयू के वैज्ञानिकों ने सुझाया कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द को कम करने का तरीका - वाराणसी लेटेस्ट न्यूज

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU-Banaras Hindu University) के वैज्ञानिकों ने कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द से निजात के लिए नया तरीका सुझाया है. वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि एसआईआरएनए एक आनुवंशिक साधन है. जो इस जीन को शान्त कर सकता है और दर्द के निवारण में काम आ सकता है.

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बीएचयू के वैज्ञानिकों ने सुझाया कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द को कम करने का तरीका
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Published : Feb 13, 2022, 2:11 PM IST

वाराणसी: कैंसर के मरीजों को काफी दर्द झेलना पड़ता है. उपचार में इस्तेमाल होने वाली विधि कीमोथेरेपी के बहुत सारे साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. इसके चलते तंत्रिकाओं का दर्द सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU-Banaras Hindu University) के वैज्ञानिकों ने कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द से निजात के लिए नया तरीका सुझाया है. वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि एसआईआरएनए एक आनुवंशिक साधन है. जो इस जीन को शान्त कर सकता है और दर्द के निवारण में काम आ सकता है.

इस दर्द के निवारण हेतु एनेस्थीजियोलॉजी विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की डॉ. निमिषा वर्मा और फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू, के डॉ0 विनोद तिवारी व उनके सहयोगियों ने इस पर शोध किया है. इस शोध के जरिए उन्होंने नई टीआरपीबी-1 एसआईआरएनए फार्मुलेशन टेक्निक इजाद की है. इससे कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द को बिना किसी साइड इफेक्ट्स के नियंत्रित किया जा सकता है.

शोध में पाया गया है कि कीमोथेरेपी देने के बाद लगभग 68.1 प्रतिशत लोगों को तंत्रिकाओं में दर्द की शिकायत होती है. दर्द कम करने वाली दवाओं का भी कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द पर खास असर नहीं होता. साथ ही टीआरपीवी-1 (एक प्रकार का जीन) के व्यवहार में बढ़ोतरी की वजह से यह दर्द होता है. आनुवंशिक चिकित्सा की मदद से इस जीन की बढ़ने से कम किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- बीएचयू के चिकित्सकों ने थोरेसिक एमपाइमा रोगियों की सर्जरी के नतीजों पर किया पहला शोध

बता दें कि यह प्रयोग जनवरी 2022 में एक वैश्विक प्रतिष्ठित जनरल (लाइफ साइंस) में प्रकाशित हो चुका है. इस प्रकार के रिसर्च से कैंसर के मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है और उनका इलाज हो सकेगा. इस रिसर्च के बाद से चिकित्सकों में भी भारी उत्साह है.

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वाराणसी: कैंसर के मरीजों को काफी दर्द झेलना पड़ता है. उपचार में इस्तेमाल होने वाली विधि कीमोथेरेपी के बहुत सारे साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. इसके चलते तंत्रिकाओं का दर्द सबसे ज्यादा परेशान करने वाला होता है. ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU-Banaras Hindu University) के वैज्ञानिकों ने कैंसर मरीजों को कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द से निजात के लिए नया तरीका सुझाया है. वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि एसआईआरएनए एक आनुवंशिक साधन है. जो इस जीन को शान्त कर सकता है और दर्द के निवारण में काम आ सकता है.

इस दर्द के निवारण हेतु एनेस्थीजियोलॉजी विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की डॉ. निमिषा वर्मा और फार्मास्यूटिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू, के डॉ0 विनोद तिवारी व उनके सहयोगियों ने इस पर शोध किया है. इस शोध के जरिए उन्होंने नई टीआरपीबी-1 एसआईआरएनए फार्मुलेशन टेक्निक इजाद की है. इससे कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द को बिना किसी साइड इफेक्ट्स के नियंत्रित किया जा सकता है.

शोध में पाया गया है कि कीमोथेरेपी देने के बाद लगभग 68.1 प्रतिशत लोगों को तंत्रिकाओं में दर्द की शिकायत होती है. दर्द कम करने वाली दवाओं का भी कीमोथेरेपी से होने वाले दर्द पर खास असर नहीं होता. साथ ही टीआरपीवी-1 (एक प्रकार का जीन) के व्यवहार में बढ़ोतरी की वजह से यह दर्द होता है. आनुवंशिक चिकित्सा की मदद से इस जीन की बढ़ने से कम किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- बीएचयू के चिकित्सकों ने थोरेसिक एमपाइमा रोगियों की सर्जरी के नतीजों पर किया पहला शोध

बता दें कि यह प्रयोग जनवरी 2022 में एक वैश्विक प्रतिष्ठित जनरल (लाइफ साइंस) में प्रकाशित हो चुका है. इस प्रकार के रिसर्च से कैंसर के मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है और उनका इलाज हो सकेगा. इस रिसर्च के बाद से चिकित्सकों में भी भारी उत्साह है.

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