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BHU वैज्ञानिकों का दावा, न लें ज्यादा तनाव, पिता बनने में बाधक है स्ट्रेस

BHU के वैज्ञानिकों ने चूहों पर शोध करके यह पाया है कि मानसिक तनाव में रहने से स्पर्म क्वालिटी में गिरावट होती है, जिसके चलते पुरुषों की प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार विश्व में 21% लोग मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं.

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Published : Jan 7, 2023, 10:19 AM IST

वाराणसी: मानसिक तनाव यानी टेंशन हमारी सेहत पर बुरा असर डालता है. सेहत के साथ पुरुषाें की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. यानी टेंशन के कारण पिता बनने की क्षमता कम हो सकती है. ये हम नहीं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के एक शोध में पता चला है. BHU के जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राघव मिश्रा और रिसर्च स्कॉलर अनुपम यादव ने यह शोध चूहों पर किया है. दोनों शोधकर्ताओं ने चूहों को तीन ग्रुप में बांटकर एक महीने तक स्टडी की.

तीन ग्रुप में ऱखे गए थे चूहे

शोध के दौरान चूहों को तीन समूह में रखा गया. पहला ग्रुप सामान्य वातावरण के चूहों का, दूसरा जिन्हें स्ट्रेस यानी तनाव दिया गाया और तीसरा ग्रुप उन चूहों का था जिन्हें कम स्ट्रेस दिया गया. इन चूहों को एक छोटी बोतल जैसे फ्लाक्स में रखा गया. इससे उनके उछलने कूदने का वातावरण बदला. इन चूहों को पूरे महीने 60-70 घंटे तक इस फ्लाक्स में रखा गया था. चूहों को तीस दिन तक तनाव से गुजारा गया.

स्ट्रेस से चूहों में दिखा हार्मोनल बदलाव

एक निश्चित समय पूरा होने के बाद चूहों की स्पर्म क्वालिटी चेक की गई. इनमें शुक्राणुओं की संख्या घटकर 8-10 मिलियन प्रति डेढ़ एमएल रिकॉर्ड की गई. जबकि सामान्य तौर पर यह स्तर 15-20 मिलियन होना चाहिए. शोधकर्ताओं की जांच में यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस ने चूहों में क्रमिक रूप से हार्मोनल बदलाव भी किए हैं. इसके साथ ही शुक्राणुओं की गुणवत्ता में 40 फीसदी कमी पाई गई है.

आखिर चूहों पर ही शोध क्यों?

वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों पर हुआ रिसर्च मॉडल इंसानों पर हुबहू लागू होता है. इंसानों में स्पर्म काउंट 39 मिलियन से भी अधिक होना चाहिए. स्ट्रेस से हुए बदलाव का असर न केवल प्रजनन क्षमता पर पड़ता है बल्कि संतान या आने वाली पूरी पीढ़ी के गुणों पर इसका असर पड़ता है. यह भी माना जाता है कि यह पूरी पीढ़ी को ही अस्वस्थ कर सकता है.

कोविड से बढ़े मानसिक दबाव के रोगी

डॉ. राघव मिश्रा ने बताया कि रिसर्च के अनुसार दुनिया में 21% लोग किसी न किसी कारण से मानसिक दबाव में हैं. कोविड की बीमारी की वजह से इनकी संख्या और बढ़ रही है. मानसिक तनाव से हृदय रोगों के अलावा पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. पुरुषों में पिता बनने की क्षमता भी कम हो रही है.

स्ट्रेस और मेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर हुआ शोध

प्रोफेसर राघव मिश्रा ने बताया कि यह रिसर्च सब-क्रोनिक स्ट्रेस और मेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर किया गया. हाल ही में यह इंटरनेशनल जर्नल एंड्रोलॉजिया में प्रकाशित हो चुका है. शोध युवा चूहों पर हुआ है. उन्होंने बताया कि अब वह आगे शोध कर रहे हैं कि चूहों के प्रजनन तंत्र में इस समस्या से लेकर क्या-क्या बदलाव आए हैं.

वाराणसी: मानसिक तनाव यानी टेंशन हमारी सेहत पर बुरा असर डालता है. सेहत के साथ पुरुषाें की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. यानी टेंशन के कारण पिता बनने की क्षमता कम हो सकती है. ये हम नहीं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के एक शोध में पता चला है. BHU के जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राघव मिश्रा और रिसर्च स्कॉलर अनुपम यादव ने यह शोध चूहों पर किया है. दोनों शोधकर्ताओं ने चूहों को तीन ग्रुप में बांटकर एक महीने तक स्टडी की.

तीन ग्रुप में ऱखे गए थे चूहे

शोध के दौरान चूहों को तीन समूह में रखा गया. पहला ग्रुप सामान्य वातावरण के चूहों का, दूसरा जिन्हें स्ट्रेस यानी तनाव दिया गाया और तीसरा ग्रुप उन चूहों का था जिन्हें कम स्ट्रेस दिया गया. इन चूहों को एक छोटी बोतल जैसे फ्लाक्स में रखा गया. इससे उनके उछलने कूदने का वातावरण बदला. इन चूहों को पूरे महीने 60-70 घंटे तक इस फ्लाक्स में रखा गया था. चूहों को तीस दिन तक तनाव से गुजारा गया.

स्ट्रेस से चूहों में दिखा हार्मोनल बदलाव

एक निश्चित समय पूरा होने के बाद चूहों की स्पर्म क्वालिटी चेक की गई. इनमें शुक्राणुओं की संख्या घटकर 8-10 मिलियन प्रति डेढ़ एमएल रिकॉर्ड की गई. जबकि सामान्य तौर पर यह स्तर 15-20 मिलियन होना चाहिए. शोधकर्ताओं की जांच में यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस ने चूहों में क्रमिक रूप से हार्मोनल बदलाव भी किए हैं. इसके साथ ही शुक्राणुओं की गुणवत्ता में 40 फीसदी कमी पाई गई है.

आखिर चूहों पर ही शोध क्यों?

वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों पर हुआ रिसर्च मॉडल इंसानों पर हुबहू लागू होता है. इंसानों में स्पर्म काउंट 39 मिलियन से भी अधिक होना चाहिए. स्ट्रेस से हुए बदलाव का असर न केवल प्रजनन क्षमता पर पड़ता है बल्कि संतान या आने वाली पूरी पीढ़ी के गुणों पर इसका असर पड़ता है. यह भी माना जाता है कि यह पूरी पीढ़ी को ही अस्वस्थ कर सकता है.

कोविड से बढ़े मानसिक दबाव के रोगी

डॉ. राघव मिश्रा ने बताया कि रिसर्च के अनुसार दुनिया में 21% लोग किसी न किसी कारण से मानसिक दबाव में हैं. कोविड की बीमारी की वजह से इनकी संख्या और बढ़ रही है. मानसिक तनाव से हृदय रोगों के अलावा पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. पुरुषों में पिता बनने की क्षमता भी कम हो रही है.

स्ट्रेस और मेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर हुआ शोध

प्रोफेसर राघव मिश्रा ने बताया कि यह रिसर्च सब-क्रोनिक स्ट्रेस और मेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर किया गया. हाल ही में यह इंटरनेशनल जर्नल एंड्रोलॉजिया में प्रकाशित हो चुका है. शोध युवा चूहों पर हुआ है. उन्होंने बताया कि अब वह आगे शोध कर रहे हैं कि चूहों के प्रजनन तंत्र में इस समस्या से लेकर क्या-क्या बदलाव आए हैं.

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