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छह घंटे ऑपरेशन कर डाक्टरों ने बचाई मरीज की जान, इस गंभीर बीमारी से पीड़ित था युवक

बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डाक्टरों ने की जटिल सर्जरी. हृदय रोग से पीड़ित था मरीज, दिल के दाएं व बाएं हिस्से फेल होने की स्थिति में थे. सफल सर्जरी के बाद मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है.

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Published : Nov 17, 2021, 5:40 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डाक्टरों ने बेहद जटिल सर्जरी कर एक युवक की जान बचा ली. बताया जाता है कि हृदय रोग से पीड़ित एक मरीज की स्थिति बहुत नाजुक थी. मरीज के दिल के दाएं और बाएं दोनों हिस्से फेल होने की स्थिति में थे.

इस दौरान चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टर मरीज की बेहद जटिल सर्जरी करने में कामयाब रहे. सर्जरी के बाद मरीज अब पहले से ठीक है. वहीं, डॉक्टरों ने उसे आराम करने की सलाह दी है. फिलहाल मरीज को कुछ दिन डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

दरअसल, आजमगढ़ के रहने वाले 22 वर्षीय एक युवक को पूरे शरीर में सूजन के साथ सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. इसके चलते उसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सीटीवीएस विभाग में भर्ती कराया गया था.

जांच के बाद पता चला कि मरीज को दिल की गंभीर बीमारी है. बीएचयू के मरीज का समुचित इलाज किया गया. इसके बाद प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया, डॉक्टर नरेंद्र दास, प्रोफेसर एस.के माथुर व डॉ. रीना ने मरीज की सफल सर्जरी की.

ईटीवी भारत से बातचीत में प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया ने बताया कि मरीज को निगेटिव आया है लेकिन ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था. लगातार खांसी आ रही थी और फेफड़ों में पानी भर गया था. 2-डी इकोकार्डियोग्राफी से पता चला कि मरीज को एक दुर्लभ हृदय रोग है.

यह भी पढ़ें- वाराणसी से लखनऊ के बीच शुरू हुई शटल ट्रेन, सांसद मेनका गांधी ने दिखाई हरी झंडी

डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया ने बताया कि अगर इसका इलाज समय पर नहीं हुआ तो शायद जान भी जा सकती है. इस स्थिति में रक्त का रिसाव एरोटा में असामान्य छेद के माध्यम से दाएं वेंटिकल में भी होता है.

पीछे की ओर बांए वेंटिकल में लीक होने लगता है. रक्त के असामान्य प्रवाह के कारण उसके बाएं और दाएं दोनों वेंटिकल के निचले हिस्से और पूरे शरीर में रक्त पंप होने लगता है. यह स्थिति हार्ट फेल होने की स्थिति होती है.

उन्होंने बताया कि शुरुआत में मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर की मदद दी गई. हार्ट को नियंत्रित करने में लिए दवाएं दी गईं. इस पूरे ऑपरेशन में करीब 6 घंटे का समय लगा. सर्जरी बहुत ही चुनौतीपूर्ण थी. डॉक्टरों समेत करीब 15 लोगों की टीम ने सफल ऑपरेशन किया. वहीं मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है.

(2-डी इकोकार्डियोग्राफी : 2-D इकोकार्डियोग्राफी (Two-dimensional Echocardiography) का प्रयोग दिल की संरचनाओं की वास्तविक गति को देखने के लिए किया जाता है. इसकी मदद से दिल की संरचना की गति को वास्तविक काल (Real time) में देखा जा सकता है. यह टेस्ट काम के समय दिल की विभिन्न संरचनाओं को देखने और उनका मूल्यांकन करने में डॉक्टरों की मदद करता है. हार्ट वाल्व में खून के बहाव की जांच करने के लिए इको टेस्ट के साथ अक्सर डॉपलर अल्ट्रा साउंड और कलर डॉपलर अल्ट्रा साउंड टेस्ट को संयोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है.)

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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के डाक्टरों ने बेहद जटिल सर्जरी कर एक युवक की जान बचा ली. बताया जाता है कि हृदय रोग से पीड़ित एक मरीज की स्थिति बहुत नाजुक थी. मरीज के दिल के दाएं और बाएं दोनों हिस्से फेल होने की स्थिति में थे.

इस दौरान चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टर मरीज की बेहद जटिल सर्जरी करने में कामयाब रहे. सर्जरी के बाद मरीज अब पहले से ठीक है. वहीं, डॉक्टरों ने उसे आराम करने की सलाह दी है. फिलहाल मरीज को कुछ दिन डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा.

दरअसल, आजमगढ़ के रहने वाले 22 वर्षीय एक युवक को पूरे शरीर में सूजन के साथ सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. इसके चलते उसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सीटीवीएस विभाग में भर्ती कराया गया था.

जांच के बाद पता चला कि मरीज को दिल की गंभीर बीमारी है. बीएचयू के मरीज का समुचित इलाज किया गया. इसके बाद प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया, डॉक्टर नरेंद्र दास, प्रोफेसर एस.के माथुर व डॉ. रीना ने मरीज की सफल सर्जरी की.

ईटीवी भारत से बातचीत में प्रोफेसर डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया ने बताया कि मरीज को निगेटिव आया है लेकिन ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था. लगातार खांसी आ रही थी और फेफड़ों में पानी भर गया था. 2-डी इकोकार्डियोग्राफी से पता चला कि मरीज को एक दुर्लभ हृदय रोग है.

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डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया ने बताया कि अगर इसका इलाज समय पर नहीं हुआ तो शायद जान भी जा सकती है. इस स्थिति में रक्त का रिसाव एरोटा में असामान्य छेद के माध्यम से दाएं वेंटिकल में भी होता है.

पीछे की ओर बांए वेंटिकल में लीक होने लगता है. रक्त के असामान्य प्रवाह के कारण उसके बाएं और दाएं दोनों वेंटिकल के निचले हिस्से और पूरे शरीर में रक्त पंप होने लगता है. यह स्थिति हार्ट फेल होने की स्थिति होती है.

उन्होंने बताया कि शुरुआत में मरीज को आईसीयू में वेंटिलेटर की मदद दी गई. हार्ट को नियंत्रित करने में लिए दवाएं दी गईं. इस पूरे ऑपरेशन में करीब 6 घंटे का समय लगा. सर्जरी बहुत ही चुनौतीपूर्ण थी. डॉक्टरों समेत करीब 15 लोगों की टीम ने सफल ऑपरेशन किया. वहीं मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है.

(2-डी इकोकार्डियोग्राफी : 2-D इकोकार्डियोग्राफी (Two-dimensional Echocardiography) का प्रयोग दिल की संरचनाओं की वास्तविक गति को देखने के लिए किया जाता है. इसकी मदद से दिल की संरचना की गति को वास्तविक काल (Real time) में देखा जा सकता है. यह टेस्ट काम के समय दिल की विभिन्न संरचनाओं को देखने और उनका मूल्यांकन करने में डॉक्टरों की मदद करता है. हार्ट वाल्व में खून के बहाव की जांच करने के लिए इको टेस्ट के साथ अक्सर डॉपलर अल्ट्रा साउंड और कलर डॉपलर अल्ट्रा साउंड टेस्ट को संयोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है.)

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