वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय का हिंदी के विकास में बहुत योगदान रहा है. ऐसे में हम बात करें तो बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय हिंदी भाषा विकास के लिए बहुत कार्य किया. बीएचयू की स्थापना 1916 में मालवीय जी ने की. इसका उद्देश्य था कि हिंदी के साथ-साथ हिंदुस्तान की लड़ाई और हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जाए.
पंडित मदन मोहन मालवीय ने की हिंदी नवजागरण की शुरुआत
मालवीय जी का मानना था कि युवा पीढ़ी लेखन के कार्य में रुचि रखे. उन्होंने अपने समय में एक शिक्षक वकील संपादक और समाज सुधारक के साथ स्वतंत्रा सेनानी की भूमिका में रहे. बहुत सी रचनाएं की. इसमें अभ्युदय लीडर, हिंदुस्तान टाइम्स, मर्यादा और सनातन धर्म संग्रह ऐसी पत्रिकाओं को लिखकर उन्होंने हिंदी नवजागरण की शुरुआत की.
हिंदी भाषा के विद्वानों का रहा यहां से नाता
हिंदी भाषा के उत्थान के लिए काम करने वाले आचार्य रामचंद्र शुक्ल, बाबू श्याम सुंदर दास, आचार्य नरेंद्र देव, हजारी प्रसाद द्विवेदी ऐसे विद्वान काशी में रहे और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से इनका नाता रहा. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने तो यहां पर हिंदी विभाग में शिक्षक के तौर पर भी काम किया.
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मालवीय जी हिंदी सागर के संपादन से जुड़े हुए थे. हिंदी की प्रकृति, हिंदी का स्वभाव, हिंदी का शब्द भंडार इस सब कुछ पर इनकी बहुत जबरदस्त पकड़ थी और उन्होंने हिंदी साहित्य के इतिहास की आवश्यकता का अनुभव किया. क्योंकि उच्च शिक्षा में एक व्यवस्थित हिंदी साहित्य का इतिहास लिखित रूप में उससे पहले उपलब्ध नहीं था.
-प्रोफेसर अवधेश प्रधान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय