वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस में एक बार फिर से आने वाले हैं. पीएम मोदी का यह दौरा बेहद खास है. एक तरफ जहां हुआ हजारों करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात देंगे तो वहीं एक तीर से कई निशाना भी साधने वाले हैं. पीएम मोदी 17 दिसंबर को बनारस पहुंचेंगे और बनारस के नमो घाट पर पीएम मोदी काशी तमिल संगमम का उद्घाटन करने के बाद रात्रि विश्राम काशी में ही करेंगे.
अगले दिन पीएम मोदी एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने के साथ बनारस को लगभग 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाओं की सौगात देंगे. उसके पहले पीएम एक ऐसे मंदिर का उद्घाटन करेंगे, जो पूरे विश्व में अपने आप में अनूठा और अद्भुत है. आप सोच रहे होंगे ऐसा कौन सा मंदिर है जिसका उद्घाटन पीएम करने वाले हैं. हम बात कर रहे हैं बनारस के स्वर्वेद मंदिर की.
बनारस के चौबेपुर स्थित उमरहां में 19 साल से यह मंदिर बना रहा है. तीन लाख वर्ग फुट क्षेत्र में दुर्लभ श्वेत मकराना संगमरमर से तैयार होने वाले नक्काशीदार गुलाबी सैंडस्टोन के इस अद्भुत मंदिर को देखकर हर किसी शख्स के मुंह से वाह ही निकालेगा. पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुर्खियों में आए इस मंदिर के बारे में लोगों के मन में काफी सवाल है. साथ ही लोगों का सवाल ये भी है कि यह किसका मंदिर है और मंदिर में क्या खास है.
इस मंदिर का नाम है स्वर्वेद. स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है स्व: और वेद. स्व: का एक अर्थ है आत्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. स्व: का दूसरा अर्थ है परमात्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे ही स्वर्वेद कहते हैं. इस मंदिर में किसी विशेष भगवान की पूजा के बजाय मेडिटेशन किया जाता है और यह एक मेडिटेशन स्थल है.
सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान की ओर से वाराणसी के उमरहा में यह बनाया गया है. स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य 2004 से शुरू हुआ जो अभी तक लगातार चल रहा है. जो साधना का विशालतम केंद्र माना जा रहा है. यह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अमर सेनानी महर्षि सदाफलदेव जी महाराज और सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग सन्त समाज से संबंधित है. 18 दिसंबर को स्वर्वेद मंदिर में होने वाला कार्यक्रम विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारंभ महोत्सव और 25000 कुंडिय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के रूप में मनाया जाएगा.
वैसे, विशाल स्वर्वेद महामंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह सात मंजिला है. जब इसकी नींव रखी गई तो इसकी लागत 35 करोड़ थी लेकिन अबतक कितने पैसे लगे इसका हिसाब ही नहीं. हालांकि इस मंदिर को तैयार करने वाली टीम का मानना है सिर्फ मंदिर में 100 करोड़ और पूरे परिसर में 500 करोड़ खर्च हो रहे हैं. 64 हजार स्कवायर फीट में यह मंदिर बनाया गया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर भी है.
यहां के अनुयायी भारत के करीब सभी राज्यों एवं विदेश में भी हैं. इस सुपर स्ट्रक्चर की काफी चर्चा हो रही है. इस मंदिर में मकराना मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं. इसमें कमल के आकार का गुंबद बना हुआ है.
सबसे बड़ी बात है कि यह मंदिर अपने आप में बिल्कुल अद्भुत है यदि बात की जाए यहाँ 3,00,000 वर्गफुट दुर्लभ श्वेत मकराना संगमरमर लगा है, जबकि 3,00,000 घनफुट नक्काशीदार गुलाबी सैण्डस्टोन से इसका पूरा निर्माण हो रहा है, 2,50,000 वर्गफुट कुल क्षेत्रफल में यह फैला है और 80,000 वर्गफुट क्षेत्र में इसका निर्माण हो रहा है.
यह दावा यहां के लोगों का है कि यह विश्व का इकलौता ऐसा सात मंजिला भवन है, जहां पर एक साथ एक बार में 20,000 लोग मेडिटेशन के लिए बैठ सकते हैं. मंदिर के अंदर 4000 स्वर्वेद दोहे मकराना संगमरमर दीवारों पर उकेरे गए हैं. 238 क्षमता के दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम हैं. इस मंदिर की ऊंचाई 180 फुट ऊँचाई है. मंदिर में अंदर 135 फुट ऊँची सद्गुरुदेव की सैण्डस्टोन प्रतिमा लगाई जा रही है.
एक तरफ इस मंदिर का स्ट्रक्चर देखकर हर कोई अचंभित है तो वहीं सात मंजिला इस मंदिर में होने वाली नक्काशी के साथ ही मंदिर के बाहरी हिस्से में बड़े-बड़े हाथियों और जानवरों की मूर्तियां भी लगाई गई हैं. ऐसा सिर्फ इसलिए की सनातन धर्म में हाथियों को शक्ति प्रदान माना गया है और बाहर ही सनातन की शक्ति दिखाने के लिए इन जानवरों की मूर्तियों का इस्तेमाल किया गया है.
मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मंदिर 2004 में इसकी नींव रखी गई थी. 19 सालों से इसका काम चल रहा है अलग-अलग सेवा करते हुए लोग इसका निर्माण कर रहे हैं. इसमें 9 कमल है जो स्वर्वेद के सिद्धांत के अनुसार है. इसमें बड़े कमल में 125 पत्तियां है, वह जीआईसी की है जो नवसारी से बनकर आया है और स्वर्वेद जो ग्रंथ है उसके ऊपर स्वामी सदाफल महाराज ने 17 साल साधना करके हिमालय की गुफा में इसकी रचना की थी, जो दोहे उन्होंने ध्यान में देखे थे. उन दोहों को अंदर अंकित किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2021 में भी यहां आयोजित हुए कार्यक्रम में शिरकत करने आ चुके हैं. यह मंदिर अपने आप में इतना खास इसलिए भी है कि पॉलिटिकल पॉइंट ऑफ व्यू से भी इस मंदिर का महत्व बहुत ज्यादा है, यदि मंदिर के अनुयायियों की बात करें तो उत्तर प्रदेश समेत गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत झारखंड, बिहार और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों के अलावा लगभग 29 राज्यों में इस मंदिर से जुड़े समूह और धार्मिक गतिविधियों को लेकर अनुयायियों की संख्या लगभग 30 लाख से ज्यादा है. पीएम मोदी 18 दिसंबर को यहां लगभग तीन लाख लोगों को संबोधित भी करेंगे. लोकसभा चावन से पहले पीएम मोदी यूपी से 29 राज्यों को साधने का भी एक बड़ा मास्टर प्लान तैयार करके आ रहे हैं.