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वाराणसी: बंद पड़े लूम, संकट में बनारसी साड़ी उद्योग

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में साड़ी उद्योग बंद होने की कगार पर हैं. लाॅकडाउन के दौरान कामगार पलायन कर गए और लूम बंद पड़े हैं. वहीं लाॅकडाउन से पहले ऑर्डर पर तैयार की गई साड़ियों की डिलीवरी नहीं होने से लूम मालिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है.

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लाॅकडाउन के बाद से बंद पड़ा पावर लूम.
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Published : Jun 9, 2020, 7:38 PM IST

वाराणसी: बनारसी साड़ी देश में ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है. जिले में आने वाले विदेशी पर्यटक भी बनारसी साड़ियों को लेकर जाते हैं, लेकिन लाॅकडाउन के बाद से जिले में सैकड़ों लूम बंद पड़े हैं और साड़ी उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं लाॅकडाउन के पहले जो साड़ियां ऑर्डर पर तैयार की गई थीं, उनकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है और न ही नया ऑर्डर मिल रहा है. ऐसे में लूम मालिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा गया है.

संकट में बनारसी साड़ी उद्योग

जिले के लोहता थाना क्षेत्र में करीब 450 पावर लूम हैं, जहां ऑर्डर पर बनारसी साड़ियां तैयार की जाती हैं. लूम मालिकों के अनुसार लाॅकडाउन के पहले ऑर्डर पर तैयार की गईं साड़ियों की डिलीवरी नहीं हो रही है और न ही नया ऑर्डर मिल रहा है. ऐसे में अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

एशियाई देशों में जाती हैं यहां से बनी साड़ियां

लूम मालिकों और कारोबारियों ने बताया कि यहां पर थोक व्यापारी ऑर्डर पर बनारसी साड़ियां तैयार कराते हैं और वह एशियाई देशों में भेजते हैं. बनारसी साड़ियों की एशियाई देशों में अधिक मांग रहती है. कोरोना के कारण हुए लाॅकडाउन के बाद से ऑर्डर आना बंद हो गया है और जो तैयार है, उनकी डिलीवरी नहीं हो रही है. कारोबारियों ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो रोजी-रोटी का संकट हो जाएगा.

200 करोड़ रुपये का होता है सालाना कोरोबार

लूम मालिकों ने बताया कि जिले में अकेले लोहता क्षेत्र से बनारसी साड़ियों का सालाना करीब 200 करोड़ रुपए का कारोबार होता था, जो इस बार ठप है. लूम चलाने वाले कामगार पलायन कर अपने घर जा चुके हैं और आने को तैयार नहीं हैं. लूम मालिक गोविंद कुमार ने बताया कि पहले इतना ऑर्डर आता था कि लूम बंद नहीं होता था और काम लगातार चलता था. ऐसा पहली बार हुआ है कि दो माह से अधिक समय से लूम बंद पड़ा है.

वाराणसी: बनारसी साड़ी देश में ही नहीं विदेशों में भी काफी मशहूर है. जिले में आने वाले विदेशी पर्यटक भी बनारसी साड़ियों को लेकर जाते हैं, लेकिन लाॅकडाउन के बाद से जिले में सैकड़ों लूम बंद पड़े हैं और साड़ी उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं लाॅकडाउन के पहले जो साड़ियां ऑर्डर पर तैयार की गई थीं, उनकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है और न ही नया ऑर्डर मिल रहा है. ऐसे में लूम मालिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा गया है.

संकट में बनारसी साड़ी उद्योग

जिले के लोहता थाना क्षेत्र में करीब 450 पावर लूम हैं, जहां ऑर्डर पर बनारसी साड़ियां तैयार की जाती हैं. लूम मालिकों के अनुसार लाॅकडाउन के पहले ऑर्डर पर तैयार की गईं साड़ियों की डिलीवरी नहीं हो रही है और न ही नया ऑर्डर मिल रहा है. ऐसे में अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

एशियाई देशों में जाती हैं यहां से बनी साड़ियां

लूम मालिकों और कारोबारियों ने बताया कि यहां पर थोक व्यापारी ऑर्डर पर बनारसी साड़ियां तैयार कराते हैं और वह एशियाई देशों में भेजते हैं. बनारसी साड़ियों की एशियाई देशों में अधिक मांग रहती है. कोरोना के कारण हुए लाॅकडाउन के बाद से ऑर्डर आना बंद हो गया है और जो तैयार है, उनकी डिलीवरी नहीं हो रही है. कारोबारियों ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो रोजी-रोटी का संकट हो जाएगा.

200 करोड़ रुपये का होता है सालाना कोरोबार

लूम मालिकों ने बताया कि जिले में अकेले लोहता क्षेत्र से बनारसी साड़ियों का सालाना करीब 200 करोड़ रुपए का कारोबार होता था, जो इस बार ठप है. लूम चलाने वाले कामगार पलायन कर अपने घर जा चुके हैं और आने को तैयार नहीं हैं. लूम मालिक गोविंद कुमार ने बताया कि पहले इतना ऑर्डर आता था कि लूम बंद नहीं होता था और काम लगातार चलता था. ऐसा पहली बार हुआ है कि दो माह से अधिक समय से लूम बंद पड़ा है.

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