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नाथों के नाथ विश्वनाथ के सिर सजा सेहरा, बाबा के दरबार में गुंजी मंगल शहनाई

बाब की नगरी वाराणसी में महाशिवरात्री के शुभ अवसर पर बाबा भोलेनाथ को सजाकर दूल्हा बनाया गया. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दामपत्य जीवन की कामना की गयी.

नाथों के नाथ विश्वनाथ
नाथों के नाथ विश्वनाथ
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Published : Mar 1, 2022, 11:10 PM IST

वाराणसी: एक मार्च को महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर बाबा की चल प्रतिमा का शिव-पार्वती विवाह विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लोक परंपरानुसार किया गया. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह का लोकाचार पूर्ण किया गया. महाशिवरात्रि के दिन मंहत आवास पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में रजत प्रतिमाओं का विशेष पूजन करने के बाद सात बजे फलाहर का भोग लगा. दोपहर मे ठंडई के साथ फलाहरी व्यंजन का भोग लगाया गया. दोपहर दो बजे के बाद संजीव रत्न मिश्र ने प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया. सायंकाल बाबा को फूलों का सेहरा पहनाया गया.

सायंकाल महंत आवास पर काशीवासी महिलाओं द्वारा विवाह के मंगल लोकगीत गाते हुए परंपरा का निर्वाहन किया गया. इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वाहन किया गया था.

नाथों के नाथ विश्वनाथ

विवाह आयोजन के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा हुई. मंगल गीत- गान के बीच बाबा को सेहरा बांधा गया. सभी रस्म महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में पूरी हुईं. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान था. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के साथ पारंपरिक शिव गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया.

वहीं, इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की हिदायत भी दी जाएगी. महंत कुलपति तिवारी ने बताया लोक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर विग्रह पूजन के बाद विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में महंत परिवार द्वारा चार पहर की आरती के साथ विवाह का लोकाचार निभाया जाएगा.

पढेंः महाशिवरात्रि पर्व पर उमडी कांवरियों की भीड़..देखे वीडियो

वहीं बाबा विश्वनाथ के मंदिर मैं भी भव्य सजावट के साथ आज महाशिवरात्रि के मौके पर विश्वनाथ धाम का एक अलौकिक रूप देखने को मिला. शाम 6:00 बजे तक 5 लाख से ज्यादा भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं. और दर्शन का सिलसिला अभी भी लगातार जारी है. बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के आसपास के क्षेत्र को मंडप की तरह सजाया गया है. रात को विवाह की रस्म 11:00 बजे के बाद निर्धारित लग्न में पूरी की जाएगी उसके बाद कल सुबह 6:00 बजे तक लगातार पूजा-पाठ का दौर जारी रहेगा और पूर्व रात्रि मंदिर खुला होने की वजह से दर्शन पूजन भी चलता रहेगा.

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वाराणसी: एक मार्च को महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर बाबा की चल प्रतिमा का शिव-पार्वती विवाह विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लोक परंपरानुसार किया गया. टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह का लोकाचार पूर्ण किया गया. महाशिवरात्रि के दिन मंहत आवास पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में रजत प्रतिमाओं का विशेष पूजन करने के बाद सात बजे फलाहर का भोग लगा. दोपहर मे ठंडई के साथ फलाहरी व्यंजन का भोग लगाया गया. दोपहर दो बजे के बाद संजीव रत्न मिश्र ने प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया. सायंकाल बाबा को फूलों का सेहरा पहनाया गया.

सायंकाल महंत आवास पर काशीवासी महिलाओं द्वारा विवाह के मंगल लोकगीत गाते हुए परंपरा का निर्वाहन किया गया. इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वाहन किया गया था.

नाथों के नाथ विश्वनाथ

विवाह आयोजन के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा हुई. मंगल गीत- गान के बीच बाबा को सेहरा बांधा गया. सभी रस्म महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में पूरी हुईं. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान था. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के साथ पारंपरिक शिव गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान किया गया.

वहीं, इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की हिदायत भी दी जाएगी. महंत कुलपति तिवारी ने बताया लोक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर विग्रह पूजन के बाद विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में महंत परिवार द्वारा चार पहर की आरती के साथ विवाह का लोकाचार निभाया जाएगा.

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वहीं बाबा विश्वनाथ के मंदिर मैं भी भव्य सजावट के साथ आज महाशिवरात्रि के मौके पर विश्वनाथ धाम का एक अलौकिक रूप देखने को मिला. शाम 6:00 बजे तक 5 लाख से ज्यादा भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं. और दर्शन का सिलसिला अभी भी लगातार जारी है. बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के आसपास के क्षेत्र को मंडप की तरह सजाया गया है. रात को विवाह की रस्म 11:00 बजे के बाद निर्धारित लग्न में पूरी की जाएगी उसके बाद कल सुबह 6:00 बजे तक लगातार पूजा-पाठ का दौर जारी रहेगा और पूर्व रात्रि मंदिर खुला होने की वजह से दर्शन पूजन भी चलता रहेगा.

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