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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ऐलान, जब तक गाय को नहीं मिलता राष्ट्र माता का दर्जा, नहीं करेंगे रामलला के दर्शन - स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नहीं करेंगे रामलला दर्शन

शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरामंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) के ऐलान किया है कि जब तक गाय को राष्ट्र माता (Demand to Declare Cow as Mother of Nation) घोषित नहीं किया जाता, तब तक रामलला के दर्शन (Ayodhya Ramlalla Darshan) नहीं करेंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 4:23 PM IST

वाराणसी: काशाी में आज ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ रक्षा को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने वाराणसी से यह भी ऐलान किया कि जब तक गौ रक्षा को लेकर कड़ा कानून नहीं बनता और गाय को राष्ट्र माता के तौर पर घोषित नहीं किया जाता, तब तक वह अयोध्या में राम मंदिर नहीं जाएंगे. अयोध्या में निर्माण हो रहे राम मंदिर में वह तभी दर्शन के लिए जाएंगे, जब सरकार गौ रक्षा के लिए कड़े कानून बना देगी और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा मिल जाएगा.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 22 जनवरी को होने वाले आयोजन में निमंत्रण आए या ना आए. लेकिन, वह उसमें शामिल नहीं होंगे. क्योंकि, जब तक गाए सुरक्षित नहीं है, तब तक भगवान राम के दर्शन नहीं करने चाहिए. उनका कहना है कि भगवान राम ने भी अवतार गौ रक्षा के लिए लिया था और जब गाय ही सुरक्षित नहीं होगी तो 500 साल बाद सनातन धर्मियों को मिल रहे भगवान राम के इस भव्य मंदिर के निर्माण और स्थापना का क्या लाभ.

ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति की आत्मा है. इसे वेदों और पुराणों में अहन्या अवघ्या कहा गया है. लेकिन, दुर्भाग्य से इस समय विश्व में सबको पालन पोषण करने वाली गाय को काटने और खाने का चलन हो गया है, जिससे गाय सुरक्षित नहीं है. इसलिए गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के तहत आज 12 दिसंबर को काशी से भारत के सभी प्रदेशों के लिए गौ दूतों की नियुक्ति की जा रही है. यह गौ दूत संत उन प्रदेशों के गौ भक्तों से मिलकर आंदोलन को गति देंगे. 4 जनवरी 2024 को वृंदावन में सभी प्रदेशों के गौ भक्तों की एक विशेष गौ सभा आयोजित होगी. इसमें आंदोलन के विविध पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कमर कसी जाएगी.

उन्होंने कहा कि 15 जनवरी से 23 जनवरी 2024 तक 9 दिनों में दिल्ली में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लिए 9 विशेषज्ञ समूह की बैठक की जाएगी. इसमें गौ धर्म विशेषज्ञ से लेकर गौ व्यवहार विशेषज्ञ और गौ मीडिया विशेषज्ञ से लेकर अलग-अलग विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण बैठक में सभी निर्णय लिए जाएंगे. 30 जनवरी 2024 को विशेषज्ञों से प्राप्त आंकड़ों और निष्कर्ष के साथ गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लोगों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और प्रदेश के अलग-अलग मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेगा. इसके बाद भी अगर काम नहीं होता है और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा देने के साथ ही गौ रक्षा के तहत गौ हत्या विशेष नियम नहीं बनता है तो 6 फरवरी 2024 को प्रयाग में बृहद गौ संसद का आयोजन किया जाएगा. इसमें देश के सभी संसदीय क्षेत्र से एक गौ प्रतिनिधि मनोनीत होकर सम्मिलित होगा.

उन्होंने कहा कि देश की जनता की ओर से प्रस्ताव पारित होगा. यदि फिर भी काम नहीं बनता है तो 10 मार्च 2024 को पूरे देश से दिल्ली में गौ भक्त एकत्रित होकर 6 फरवरी को गौ संसद से पारित प्रस्तावों के अनुरूप कार्य करते हुए गौ माता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास करेंगे. विद्वान संतों द्वारा यह पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि इस बार नव संवत्सर गौ संवत्सर के रूप में मनाएंगे. इसलिए यह पूरा प्लान तैयार करके इस पर अमल किया जाएगा और सरकार पर यह दबाव बनाया जाएगा कि गौ रक्षा के लिए सरकार संकल्पित होकर इस दिशा में कार्य करे.

शंकराचार्य का कहना था कि राम मंदिर का निर्माण 500 सालों बाद हुआ यह बहुत खुशी की बात है. भगवान राम अपने स्थान पर विराजने जा रहे हैं, यह उससे बड़ी खुशी की बात है. लेकिन, जब गाय ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो हम भगवान राम को क्या मुंह दिखाएंगे. गौ रक्षा पहले जरूरी है. मंदिर का निर्माण भी आवश्यक है. लेकिन, गौ रक्षा के लिए कड़े नियम बनाकर मंदिर का निर्माण सही तरीके और नियमों के साथ हो, जिससे हमारी गौ माता का सम्मान बना रहे और भगवान राम भी प्रसन्न रहें ऐसा कार्य सरकार को करना चाहिए.

शंकराचार्य ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित तेलंगाना में हुए चुनाव में राजनीतिक उलटफेर पर कहा कि जो भी बदलाव चुनाव के बाद मध्य प्रदेश समेत अन्य जगहों पर हुए हैं, उनका कोई मूल्य नहीं है. यह कंधे बदलने जैसा होता है, कभी यह कंधा दर्द होता है तो उस कंधे पर और कभी वह दर्द हो तो इस कंधे पर. कुछ पता नहीं होता कि क्या होने वाला है. जनता कुछ कहती है. मत पेटी से कुछ निकलता है. जनता जिस चेहरे को देखकर वोट देती है, उस चेहरे को हटाकर किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है. यह सब राजनीति है. जनता जिसकी कल्पना नहीं कर रही थी, उसको आपने मुख्यमंत्री बना दिया. जनता की भावनाओं की अनदेखी अब राजनीति में होने लगी है.

यह भी पढ़ें: अयोध्या में राम मंदिर से पहले PM Modi बनारस के इस मंदिर का करेंगे उद्धाटन, 19 साल से बन रहा मंदिर

यह भी पढ़ें: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले कुबेर टीले पर विराजमान हुए पक्षीराज 'जटायु'

वाराणसी: काशाी में आज ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गौ रक्षा को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने वाराणसी से यह भी ऐलान किया कि जब तक गौ रक्षा को लेकर कड़ा कानून नहीं बनता और गाय को राष्ट्र माता के तौर पर घोषित नहीं किया जाता, तब तक वह अयोध्या में राम मंदिर नहीं जाएंगे. अयोध्या में निर्माण हो रहे राम मंदिर में वह तभी दर्शन के लिए जाएंगे, जब सरकार गौ रक्षा के लिए कड़े कानून बना देगी और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा मिल जाएगा.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 22 जनवरी को होने वाले आयोजन में निमंत्रण आए या ना आए. लेकिन, वह उसमें शामिल नहीं होंगे. क्योंकि, जब तक गाए सुरक्षित नहीं है, तब तक भगवान राम के दर्शन नहीं करने चाहिए. उनका कहना है कि भगवान राम ने भी अवतार गौ रक्षा के लिए लिया था और जब गाय ही सुरक्षित नहीं होगी तो 500 साल बाद सनातन धर्मियों को मिल रहे भगवान राम के इस भव्य मंदिर के निर्माण और स्थापना का क्या लाभ.

ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति की आत्मा है. इसे वेदों और पुराणों में अहन्या अवघ्या कहा गया है. लेकिन, दुर्भाग्य से इस समय विश्व में सबको पालन पोषण करने वाली गाय को काटने और खाने का चलन हो गया है, जिससे गाय सुरक्षित नहीं है. इसलिए गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के तहत आज 12 दिसंबर को काशी से भारत के सभी प्रदेशों के लिए गौ दूतों की नियुक्ति की जा रही है. यह गौ दूत संत उन प्रदेशों के गौ भक्तों से मिलकर आंदोलन को गति देंगे. 4 जनवरी 2024 को वृंदावन में सभी प्रदेशों के गौ भक्तों की एक विशेष गौ सभा आयोजित होगी. इसमें आंदोलन के विविध पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कमर कसी जाएगी.

उन्होंने कहा कि 15 जनवरी से 23 जनवरी 2024 तक 9 दिनों में दिल्ली में गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लिए 9 विशेषज्ञ समूह की बैठक की जाएगी. इसमें गौ धर्म विशेषज्ञ से लेकर गौ व्यवहार विशेषज्ञ और गौ मीडिया विशेषज्ञ से लेकर अलग-अलग विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण बैठक में सभी निर्णय लिए जाएंगे. 30 जनवरी 2024 को विशेषज्ञों से प्राप्त आंकड़ों और निष्कर्ष के साथ गौ प्रतिष्ठा आंदोलन के लोगों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और प्रदेश के अलग-अलग मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेगा. इसके बाद भी अगर काम नहीं होता है और गाय को राष्ट्र माता का दर्जा देने के साथ ही गौ रक्षा के तहत गौ हत्या विशेष नियम नहीं बनता है तो 6 फरवरी 2024 को प्रयाग में बृहद गौ संसद का आयोजन किया जाएगा. इसमें देश के सभी संसदीय क्षेत्र से एक गौ प्रतिनिधि मनोनीत होकर सम्मिलित होगा.

उन्होंने कहा कि देश की जनता की ओर से प्रस्ताव पारित होगा. यदि फिर भी काम नहीं बनता है तो 10 मार्च 2024 को पूरे देश से दिल्ली में गौ भक्त एकत्रित होकर 6 फरवरी को गौ संसद से पारित प्रस्तावों के अनुरूप कार्य करते हुए गौ माता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास करेंगे. विद्वान संतों द्वारा यह पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि इस बार नव संवत्सर गौ संवत्सर के रूप में मनाएंगे. इसलिए यह पूरा प्लान तैयार करके इस पर अमल किया जाएगा और सरकार पर यह दबाव बनाया जाएगा कि गौ रक्षा के लिए सरकार संकल्पित होकर इस दिशा में कार्य करे.

शंकराचार्य का कहना था कि राम मंदिर का निर्माण 500 सालों बाद हुआ यह बहुत खुशी की बात है. भगवान राम अपने स्थान पर विराजने जा रहे हैं, यह उससे बड़ी खुशी की बात है. लेकिन, जब गाय ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो हम भगवान राम को क्या मुंह दिखाएंगे. गौ रक्षा पहले जरूरी है. मंदिर का निर्माण भी आवश्यक है. लेकिन, गौ रक्षा के लिए कड़े नियम बनाकर मंदिर का निर्माण सही तरीके और नियमों के साथ हो, जिससे हमारी गौ माता का सम्मान बना रहे और भगवान राम भी प्रसन्न रहें ऐसा कार्य सरकार को करना चाहिए.

शंकराचार्य ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित तेलंगाना में हुए चुनाव में राजनीतिक उलटफेर पर कहा कि जो भी बदलाव चुनाव के बाद मध्य प्रदेश समेत अन्य जगहों पर हुए हैं, उनका कोई मूल्य नहीं है. यह कंधे बदलने जैसा होता है, कभी यह कंधा दर्द होता है तो उस कंधे पर और कभी वह दर्द हो तो इस कंधे पर. कुछ पता नहीं होता कि क्या होने वाला है. जनता कुछ कहती है. मत पेटी से कुछ निकलता है. जनता जिस चेहरे को देखकर वोट देती है, उस चेहरे को हटाकर किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है. यह सब राजनीति है. जनता जिसकी कल्पना नहीं कर रही थी, उसको आपने मुख्यमंत्री बना दिया. जनता की भावनाओं की अनदेखी अब राजनीति में होने लगी है.

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