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IIT BHU बना रहा बेकार प्लास्टिक से डीजल

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Published : Jan 15, 2020, 2:08 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक से डीजल बना रहे हैं. हालांकि अभी यह प्रायोगिक स्तर पर है, लेकिन महीने भर में इससे ऑटो चलने लगेंगे.

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वेस्ट प्लास्टिक से बना रहे डीजल.

वाराणसी: शासन-प्रशासन बड़ी मुहिम चलाकर प्लास्टिक रोकने की कवायद में लगा है. प्लास्टिक के निस्तारण के लिए आईआईटी बीएचयू ने बड़ी पहल की है. दरअसल आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक से डीजल बनाने का कार्य कर रहे हैं. यह सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह सच है. कैसे आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक के कचरे से डीजल बना रहे हैं इस रिपोर्ट में देखिए.

वेस्ट प्लास्टिक से बना रहे डीजल.

प्लास्टिक से बना रहे डीजल

आईआईटी बीएचयू में प्लास्टिक से डीजल बनाने का काम शुरू हो गया है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी आईआईटी हॉस्टल से निकलने वाले प्लास्टिक से डीजल बनाकर ऑटो चलाया जा रहा है. इसमें सफलता के बाद जल्द ही बड़ा प्लांट भी लगाए जाने की योजना है. इसके बाद शहर के लोग यहां प्लास्टिक जमाकर के डीजल ले सकेंगे. दरअसल पेट्रोल-डीजल के दाम समय-समय पर बढ़ने की वजह से लोग परेशान हैं. ऐसे में प्लास्टिक वेस्ट से बनने वाले डीजल को इसके विकल्प के रूप में देखा गया.

प्लास्टिक वेस्ट से बने डीजल से चला रहे ऑटो

प्रोफेसर पीके मिश्रा के निर्देश में काम शुरू हो गया है. पिछले साल कई महीनों में आईआईटी बीएचयू और अमेरिकी रीन्यू ओशन संस्थान से करार के बाद सेटअप भी लगाया गया है. किसी भी तकनीकी संस्थान में लगने वाला यह पहला ऐसा प्लांट है, जहां प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाया जा रहा है. यही नहीं विभाग परिसर में लगे प्लांट से निकलने वाले डीजल से ऑटो भी चलाया जा रहा है. इस पहल के बाद जहां प्लास्टिक का सदुपयोग होगा तो वहीं प्रदूषण से मुक्ति भी मिलेगी.

प्रो. पी. के. मिश्रा रीन्यू ओशन नाम की कंपनी है, उसके पास एक टेक्नोलॉजी थी. उनकी यह इच्छा थी कि इसकी शुरुआत हम किसी कैंपस से करें, क्योंकि आईआईटी में कोई चीज होती है तो समाज उसको आसानी से समझ पाता है. एक ऐसा मैकेनिज्म डिवेलप किया जाए कि हॉस्टल में जो प्लास्टिक यूज कर रहा है वह उसको कहीं डिपॉजिट करें तो उनको एक टोकन दे दिया जाए. इसको हम डीजल में कन्वर्ट करके उनको दे पाएं.

-प्रो. पीके मिश्रा, केमिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी, बीएचयू

वाराणसी: शासन-प्रशासन बड़ी मुहिम चलाकर प्लास्टिक रोकने की कवायद में लगा है. प्लास्टिक के निस्तारण के लिए आईआईटी बीएचयू ने बड़ी पहल की है. दरअसल आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक से डीजल बनाने का कार्य कर रहे हैं. यह सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह सच है. कैसे आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक के कचरे से डीजल बना रहे हैं इस रिपोर्ट में देखिए.

वेस्ट प्लास्टिक से बना रहे डीजल.

प्लास्टिक से बना रहे डीजल

आईआईटी बीएचयू में प्लास्टिक से डीजल बनाने का काम शुरू हो गया है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी आईआईटी हॉस्टल से निकलने वाले प्लास्टिक से डीजल बनाकर ऑटो चलाया जा रहा है. इसमें सफलता के बाद जल्द ही बड़ा प्लांट भी लगाए जाने की योजना है. इसके बाद शहर के लोग यहां प्लास्टिक जमाकर के डीजल ले सकेंगे. दरअसल पेट्रोल-डीजल के दाम समय-समय पर बढ़ने की वजह से लोग परेशान हैं. ऐसे में प्लास्टिक वेस्ट से बनने वाले डीजल को इसके विकल्प के रूप में देखा गया.

प्लास्टिक वेस्ट से बने डीजल से चला रहे ऑटो

प्रोफेसर पीके मिश्रा के निर्देश में काम शुरू हो गया है. पिछले साल कई महीनों में आईआईटी बीएचयू और अमेरिकी रीन्यू ओशन संस्थान से करार के बाद सेटअप भी लगाया गया है. किसी भी तकनीकी संस्थान में लगने वाला यह पहला ऐसा प्लांट है, जहां प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाया जा रहा है. यही नहीं विभाग परिसर में लगे प्लांट से निकलने वाले डीजल से ऑटो भी चलाया जा रहा है. इस पहल के बाद जहां प्लास्टिक का सदुपयोग होगा तो वहीं प्रदूषण से मुक्ति भी मिलेगी.

प्रो. पी. के. मिश्रा रीन्यू ओशन नाम की कंपनी है, उसके पास एक टेक्नोलॉजी थी. उनकी यह इच्छा थी कि इसकी शुरुआत हम किसी कैंपस से करें, क्योंकि आईआईटी में कोई चीज होती है तो समाज उसको आसानी से समझ पाता है. एक ऐसा मैकेनिज्म डिवेलप किया जाए कि हॉस्टल में जो प्लास्टिक यूज कर रहा है वह उसको कहीं डिपॉजिट करें तो उनको एक टोकन दे दिया जाए. इसको हम डीजल में कन्वर्ट करके उनको दे पाएं.

-प्रो. पीके मिश्रा, केमिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी, बीएचयू

Intro:देश में प्लास्टिक की रोक को लेकर शासन-प्रशासन बड़ा मुहिम चलाकर इसे रोकने की कवायद में लगी है। अब इन्हीं प्लास्टिक के निस्तारण के लिए आईआईटीबीएचयू ने बड़ी पहल की है। दरअसल आईआईटी बीएचयू के छात्र राष्ट्रीय से डीजल बनाने का कार्य कर रहे है।यह सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा।लेकिन यह सच है। कैसे आईआईटी बीएचयू के छात्र प्लास्टिक से कचरे से बना रहे हैं डीजल देखिए इस रिपोर्ट में।


Body:आईआईटी बीएचयू प्लास्टिक के प्रयोग से डीजल बनाने का काम शुरू हो गया पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी आईआईटी हॉस्टल से निकलने वाले प्लास्टिक से डीजल बनाकर ऑटो चलाया जा रहा है।इसमें सफलता के बाद जल्द ही बड़ा प्लांट भी लाएंगे जाने की योजना है। जिसके बाद शहर के लोग यहां प्लास्टिक जमाकर डीजल ले सकेंगे दरअसल पेट्रोल डीजल के दाम समय-समय पर बढ़ने की वजह से लोग परेशान तो हैं। ऐसे में प्लास्टिक वेस्ट से बनने वाले डीजल को इसके विकल्प के रूप में देखा।


Conclusion:प्रोफेसर पीके मिश्रा के निर्देश में काम शुरू हो गया है पिछले साल कई महीनों में ही आईआईटीबीएचयू और अमेरिकी रीन्यू ओशन संस्थान से करार के बाद सेटअप भी लगाया गया है। किसी भी तकनीकी संस्थान में लगने वाला यह पहला ऐसा प्लांट है जहां प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाया जा रहा है। यही नहीं विभाग परिसर में लगे प्लांट से निकलने वाले डीजल से ऑटो चलाया जा रहा है।इस पहल के बाद जहां प्लास्टिक का सदुपयोग होगा तो वही प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।

प्रो पी के मिश्रा रीन्यू ओशन नाम की कंपनी है उसके पास एक टेक्नोलॉजी थी। उनकी यह इच्छा थी कि इसकी शुरुआत हम किसी कैंपस से करें। क्योंकि आईआईटी में कोई चीज होती है तो समाज उसको आसानी से समझ पाता है। एक ऐसा मैकेनिज्म डिवेलप किया जाए। लड़की हॉस्टल में जो प्लास्टिक यूज कर रहा है। उसको कहीं वह डिपॉजिट करे तो उनको एक टोकन दे दिया जाए। जिसको हम डीजल में कन्वर्ट करके उनको दे पाए। हम हम करना शुरू कर चुके हैं। पायलट प्लांट से इसका ट्रायल लगभग खत्म हो चुका है। बीच-बीच में छात्रों द्वारा अपने बनाए हुए डीजल का प्रयोग करके ऑटो चलाया जा रहा है। कुछ महीनों ट्रायल खत्म हो जाएगा। जिसके बाद एक कार्टून अच्छी तरीके से इस प्लांट से चलाने लगेंगे।

बाईट :-- प्रो पीके मिश्रा, केमिकल इंजीनियरिंग आईआईटी बीएचयू।

शिवम गुप्ता ने बताया बेसिकली हम लोग हॉस्टल से प्लास्टिक लाकर यहीं पर सेग्रीक्रेट कराकर कर रिम यूरेटर की एक मशीन है। फाइन पार्ट में प्लास्टिक कन्वर्ट हो जाती है। उसको अपने कन्वर्जन यूनिट में डालते हैं। उससे हम लोग डीजल प्रोड्यूस करते हैं। यह सब अभी एक्सपेरिमेंटल फेज में है। यह सब अभी पायलट टेस्टिंग फेज में चल रहा है। हम जल्द ही डीजल बना लेंगे और जिससे हम ऑटो रिक्शा चला रहे हैं लेकिन कुछ दिनों में उसे हम कंटिन्यू करेंगे।

बाईट :-- शिवम गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर, स्टूडेंट आईआईटी बीएचयू
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