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ज्योतिष और वास्तु के नाम पर दुकान चला रहे लोग रहें सावधान, ज्योतिष विभाग ने किया ये एलान

गुरुवार को वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने अखिल भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन किया. इसमें दूर-दूर से आए ज्योतिषियों ने अपने-अपने मत रखे. संगोष्ठी का प्रमुख विषय था ज्योतिष और वास्तु की दिशा और दशा.

ज्योतिष और वास्तुकला विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी.
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Published : Apr 4, 2019, 7:03 PM IST

वाराणसी: ज्योतिष और वास्तु प्राचीन काल से भारतीय समाज में आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी आकर्षण को भुनाने के लिए गलत ज्योतिषी और वास्तु कार नकेवल अपनी राय देते हैं बल्कि वह भला करने की जगह लोगों का अहित कर बैठते हैं. इन्हीं बातों के मद्देनजर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने अखिल भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन गया, जिसका विषय था 'ज्योतिष और वास्तु की दिशा और दशा.'


संगोष्ठी की शुरूआत महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रों मंगलाचरण से कुल से हुई. ज्योतिष विभाग के सभागार कक्ष में देश भर से आए ज्योतिषियों और वास्तु ज्ञाता ने अपने-अपने शोध पत्र पढ़ें. इस शोध पत्र में विद्वानों ने जहां एक और तथाकथित ज्योतिषी और वास्तु शास्त्रियों से बचने का सलाह दी. वहीं वास्तु दोष, कुंडली जन्म दोष आदि पर चर्चा की भी गई.

ज्योतिष और वास्तुकला विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी.


वहीं संगोष्ठी में मौजूद देव प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार ने बताया आज हम लोग इस संगोष्ठी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि लोग ऐसे लोगों से बचे जो ज्योतिष और वास्तु के नाम पर केवल धन का दोहन कर रहे हैं ना कि हमारे अति प्राचीन विज्ञान को अल्प ज्ञान होने की वजह से लोगों में भ्रम ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं. इस पर हम विद्वानों ने चर्चा किया और लोगों को सही दिशा में जाएं इसके लिए प्रयास करें.

वाराणसी: ज्योतिष और वास्तु प्राचीन काल से भारतीय समाज में आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी आकर्षण को भुनाने के लिए गलत ज्योतिषी और वास्तु कार नकेवल अपनी राय देते हैं बल्कि वह भला करने की जगह लोगों का अहित कर बैठते हैं. इन्हीं बातों के मद्देनजर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने अखिल भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन गया, जिसका विषय था 'ज्योतिष और वास्तु की दिशा और दशा.'


संगोष्ठी की शुरूआत महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रों मंगलाचरण से कुल से हुई. ज्योतिष विभाग के सभागार कक्ष में देश भर से आए ज्योतिषियों और वास्तु ज्ञाता ने अपने-अपने शोध पत्र पढ़ें. इस शोध पत्र में विद्वानों ने जहां एक और तथाकथित ज्योतिषी और वास्तु शास्त्रियों से बचने का सलाह दी. वहीं वास्तु दोष, कुंडली जन्म दोष आदि पर चर्चा की भी गई.

ज्योतिष और वास्तुकला विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी.


वहीं संगोष्ठी में मौजूद देव प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार ने बताया आज हम लोग इस संगोष्ठी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि लोग ऐसे लोगों से बचे जो ज्योतिष और वास्तु के नाम पर केवल धन का दोहन कर रहे हैं ना कि हमारे अति प्राचीन विज्ञान को अल्प ज्ञान होने की वजह से लोगों में भ्रम ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं. इस पर हम विद्वानों ने चर्चा किया और लोगों को सही दिशा में जाएं इसके लिए प्रयास करें.

Intro:ज्योतिष और वास्तु प्राचीन काल से भारतीय समाज में आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी आकर्षण को भुनाने के लिए गलत ज्योतिषी और वास्तु कार ना केवल अपनी राय देते हैं बल्कि वह भला करने की जगह लोगों का अहित कर बैठते हैं इन्हीं बातों के मद्देनजर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने अखिल भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन गया जिसका विषय था ज्योतिष और वास्तु की दिशा और दशा।


कार्यक्रम का उद्घाटन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रों मंगलाचरण तथा कुल गीत से हुआ


Body:ज्योतिष विभाग के सभागार कक्ष में देश भर से आए ज्योतिष और वास्तु ज्ञाता शोध पत्र पढ़ें। इस शोध पत्र में विद्वानों ने जहां एक और तथाकथित ज्योतिषी और वास्तु शास्त्रियों से बचने का सलाह दिया गया वहीं वास्तु दोष कुंडली जन्म दोष आदि निदान किया। सारे विद्वानों ने एक स्वर में कहा कि ज्योतिष और वास्तु ऐसे समस्याओं के लिए। इससे संबंधित विद्वानों के पास जाएं 9 की दुकान चलाने वाले ज्योतिषियों और वास्तु शास्त्रियों के भ्रम जाल में फंसे।


Conclusion:देव प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार ने बताया आज हम लोग इस संगोष्ठी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि लोग ऐसे लोगों से बचे जो ज्योतिष और वास्तु के नाम पर केवल धन का दोहन कर रहे हैं ना कि हमारे अति प्राचीन विज्ञान को अल्प ज्ञान होने की वजह से लोगों में भ्रम ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं इस पर हम विद्वानों ने चर्चा किया और लोगों को सही दिशा में जाएं इसके लिए प्रयास करें है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर सुभाष पांडे ने बताया वैदिक काल में वास्तु विद्या धर्म संपादन के लिए थी जितना क्षेत्र बड़ा हो सदा खरीद वास्तु की पूजा करनी चाहिए एक आशिकी वास्तु पद में 9 ब्रह्मा स्थान होते हैं सुख की कामना करने वाले ग्रह स्वामी को चाहिए कि वह घर के मध्य स्थित ब्रह्मा जी के यंत्र पूर्वक रक्षा करें उनके ऊपर जूठन आदि अपवित्र वस्तु को रखने से गिरी स्वामी को पीड़ा होती है। आज हम लोगों ने अखिल भारतीय ज्योतिष एवं वास्तु की दशा एवं दिशा संगोष्ठी बुलाया जिसमें 50 से अधिक विद्वान सम्मिलित हुए और उन्होंने ऐसे लोगों से बचने को दिया जो ज्योतिष और वास्तु के नाम पर लोगों को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं।
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