वाराणसी: ज्योतिष और वास्तु प्राचीन काल से भारतीय समाज में आकर्षण का केंद्र रहा है और इसी आकर्षण को भुनाने के लिए गलत ज्योतिषी और वास्तु कार नकेवल अपनी राय देते हैं बल्कि वह भला करने की जगह लोगों का अहित कर बैठते हैं. इन्हीं बातों के मद्देनजर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग ने अखिल भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन गया, जिसका विषय था 'ज्योतिष और वास्तु की दिशा और दशा.'
संगोष्ठी की शुरूआत महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रों मंगलाचरण से कुल से हुई. ज्योतिष विभाग के सभागार कक्ष में देश भर से आए ज्योतिषियों और वास्तु ज्ञाता ने अपने-अपने शोध पत्र पढ़ें. इस शोध पत्र में विद्वानों ने जहां एक और तथाकथित ज्योतिषी और वास्तु शास्त्रियों से बचने का सलाह दी. वहीं वास्तु दोष, कुंडली जन्म दोष आदि पर चर्चा की भी गई.
वहीं संगोष्ठी में मौजूद देव प्रसाद त्रिपाठी कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार ने बताया आज हम लोग इस संगोष्ठी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं कि लोग ऐसे लोगों से बचे जो ज्योतिष और वास्तु के नाम पर केवल धन का दोहन कर रहे हैं ना कि हमारे अति प्राचीन विज्ञान को अल्प ज्ञान होने की वजह से लोगों में भ्रम ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं. इस पर हम विद्वानों ने चर्चा किया और लोगों को सही दिशा में जाएं इसके लिए प्रयास करें.