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‘शकुंतला अमीर चंद प्राइज 2020’ अवार्ड से सम्मानित किये गये बायो केमिकल के सहायक प्रोफेसर - Prime Minister Narendra Modi

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्‍कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रांजल चंद्र को प्रतिष्ठित ‘शकुंतला अमीर चंद प्राइज 2020’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रांजल चंद्र
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Published : Jan 7, 2022, 10:08 PM IST

वाराणसी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्‍कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग (School of Biochemical Engineering Department) के सहायक प्रोफेसर डॉ प्रांजल चंद्र (Assistant Professor Dr. Pranjal Chandra) को प्रतिष्ठित ‘शकुंतला अमीर चंद प्राइज 2020’ अवार्ड से सम्मानित किया गया. डॉ प्रांजल चंद्र को यह अवार्ड भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) (Indian Council of Medical Research), नई दिल्‍ली की तरफ से बायोमेडिकल और क्लिनिकल रिसर्च के लिए दिया गया है.

शकुंतला अमीर चंद पुरस्कार युवा वैज्ञानिकों द्वारा जैव चिकित्सा विज्ञान और नैदानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है.

इसे भी पढे़ंः बीएचयू के वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया गेहूं की बुवाई का नया तरीका

यह पुरस्कार क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रकाशित शोध कार्य के लिए प्रस्तुत किया जाता है. नैदानिक अनुसंधान सहित जैव चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में कार्य करने के लिए डॉ. चंद्रा को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उनके मौलिक शोध कार्य के लिए चुना गया है. जिसमें बायोसेंसिंग उपकरण विकसित किए गए हैं, जो जैव-अणुओं का पता लगा सकते हैं. जिसमें क्षारीय फॉस्फेट, कैंसर बायोमार्कर, दवाएं समेत जटिल जैविक तरल पदार्थ शामिल है. ऐसे सभी लक्ष्यों की विश्व स्तर पर रोग निदान और रोग प्रयोगशालाओं में चिकित्सीय हस्तक्षेपों के विश्लेषण में जबरदस्त भूमिका है.

संस्‍थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने डॉ चंद्रा को ऐसी उपलब्धि पर बधाई दी, जो आम आदमी के लिए उपयोगी हो सकती है और मानव स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में सहायता कर सकती है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के विकसित नैदानिक उपकरण स्पष्ट रूप से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के 'मेक इन इंडिया' और 'स्टार्टअप इंडिया' के दूरदर्शी राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत आते हैं, जो अन्य उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. जो हाल के दिनों में भारत में आयात किए गए हैं.

ऐसे कई उपकरण और उन्नत विश्लेषणात्मक प्रणालियां आईआईटी बीएचयू में विकास के क्रम में हैं. डॉ. चंद्रा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने पहले ही आईआईटी बीएचयू के माध्यम से पेटेंट दाखिल कर दिया है और भविष्य का लक्ष्य आने वाले वर्षों में इसे बाजार में लाना है.

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वाराणसी : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्‍कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग (School of Biochemical Engineering Department) के सहायक प्रोफेसर डॉ प्रांजल चंद्र (Assistant Professor Dr. Pranjal Chandra) को प्रतिष्ठित ‘शकुंतला अमीर चंद प्राइज 2020’ अवार्ड से सम्मानित किया गया. डॉ प्रांजल चंद्र को यह अवार्ड भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) (Indian Council of Medical Research), नई दिल्‍ली की तरफ से बायोमेडिकल और क्लिनिकल रिसर्च के लिए दिया गया है.

शकुंतला अमीर चंद पुरस्कार युवा वैज्ञानिकों द्वारा जैव चिकित्सा विज्ञान और नैदानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है.

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यह पुरस्कार क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रकाशित शोध कार्य के लिए प्रस्तुत किया जाता है. नैदानिक अनुसंधान सहित जैव चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में कार्य करने के लिए डॉ. चंद्रा को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए उनके मौलिक शोध कार्य के लिए चुना गया है. जिसमें बायोसेंसिंग उपकरण विकसित किए गए हैं, जो जैव-अणुओं का पता लगा सकते हैं. जिसमें क्षारीय फॉस्फेट, कैंसर बायोमार्कर, दवाएं समेत जटिल जैविक तरल पदार्थ शामिल है. ऐसे सभी लक्ष्यों की विश्व स्तर पर रोग निदान और रोग प्रयोगशालाओं में चिकित्सीय हस्तक्षेपों के विश्लेषण में जबरदस्त भूमिका है.

संस्‍थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने डॉ चंद्रा को ऐसी उपलब्धि पर बधाई दी, जो आम आदमी के लिए उपयोगी हो सकती है और मानव स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में सहायता कर सकती है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के विकसित नैदानिक उपकरण स्पष्ट रूप से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के 'मेक इन इंडिया' और 'स्टार्टअप इंडिया' के दूरदर्शी राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत आते हैं, जो अन्य उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. जो हाल के दिनों में भारत में आयात किए गए हैं.

ऐसे कई उपकरण और उन्नत विश्लेषणात्मक प्रणालियां आईआईटी बीएचयू में विकास के क्रम में हैं. डॉ. चंद्रा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने पहले ही आईआईटी बीएचयू के माध्यम से पेटेंट दाखिल कर दिया है और भविष्य का लक्ष्य आने वाले वर्षों में इसे बाजार में लाना है.

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