आगरा : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आगरा-दिल्ली हाईवे पर कीठम स्थित रामसर साइट सूर सरोवर पक्षी विहार का ईको सेंसिटिव जोन शून्य करने के मामले में यूपी सरकार से जवाब तलब किया है. एनजीटी ने यूपी सरकार से पूछा कि सरकार को ईको सेंसिटिव जोन शून्य करने की सिर्फ सिफारिश का अधिकार है जबकि, सरकार ने ईको सेंसिटिव जोन शून्य की अधिसूचना जारी कर दी, जो उसके अधिकार ही नहीं था. ऐसा कैसे और क्यों किया गया. इस बारे में एनजीटी ने यूपी के चीफ कंजरवेटर और आगरा डीएम को तलब करके शपथपत्र मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 मई को होगी.
बता दें, 24 अप्रैल 2018 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 799 हेक्टेयर के सूर सरोवर पक्षी विहार के ईको सेंसिटिव जोन के संबंध में प्री-गजट नोटिफिकेशन जारी किया था. फिर, 10 अक्टूबर- 2019 को जारी फाइनल गजट में यह दायरा घटाकर 403 हेक्टेयर तक सीमित कर दिया था. सूर सरोवर पक्षी विहार के क्षेत्रफल को 799 हेक्टेयर से घटाकर 403 हेक्टेयर करने पर आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने आपत्ति लगाई. जिस पर सुनवाई नहीं हुई तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2022 में पक्षी विहार का ईको सेंसिटिव जोन पुनर्निर्धारित करने का आदेश किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर डॉ. शरद ने एनजीटी में अवमानना याचिका दाखिल की थी.
हलफनामे में संभावित तारीख
- 20 जनवरी-2025 : अधिसूचना की प्रक्रिया शुरू हुई की.
- 20 अक्तूबर-2025 : सेक्शन 19 से 22 तक पूरे किए जाएंगे.
- 21 अप्रैल-2026 : सेक्शन 24 से 25 तक की प्रक्रिया होगी.
- 22 अक्तूबर-2026 : स्टडी, सर्वे और रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा.
- 26 दिसंबर-2026 : फील्ड बुक, नक्शा, प्रस्ताव तैयार किया जाएगा.
- 27 जनवरी-2027 : समीक्षा और गजट प्रस्ताव भेजा जाएगा.
- 28 अप्रैल-2027 : अंतिम अधिसूचना सरकार को भेजी जाएगी.
आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने रामसर साइट सूरसरोवर पक्षी विहार के क्षेत्र के पुनर्निर्धारण और दोबारा सेंसिटिव जोन के निर्धारित करने की अवमानना याचिका एनजीटी में की थी. जिसकी सुनवाई सात जनवरी को हुई. जिसमें एनजीटी ने सरकार को 14.5 हेक्टेयर भूमि की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था. एजीटी की 14 फरवरी की सुनवाई से पहले सरकार ने 29 पेज का शपथपत्र दाखिल किया. जिसमें 14.5 हेक्टेयर सरकारी भूमि की अधिसूचना मई 2027 तक जारी करने की कही.
सरकार की मंशा पर मांगा जवाब
पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि सुनवाई में एनजीटी ने सरकार की ओर से दाखिल किए गए शपथपत्र पर कहा कि सूर सरोवर पक्षी विहार के लिए 403.09 हेक्टेयर और 380.55 हेक्टेयर क्षेत्रफल की अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है. अब 14.50 हेक्टेयर भूमि जो सरकार के पास है. उसको लेकर अधिसूचना जारी करने में क्या समस्या आ रही है. एजीटी ने कहा कि पहले ही सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर सूर सरोवर पक्षी विहार का ईको सेंसिटिव जोन शून्य करने का काम किया है. इस पर ये स्पष्ट करें कि सरकार की मंशा क्या है. इसका जवाब दें.
चीफ कंजरवेटर और आगरा डीएम तलब
पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि सुनवाई में एनजीटी ने यूपी के वन विभाग के चीफ कंजरवेटर पश्चिमी सर्किल एन रवींद्रन ने हलफनामा दाखिल किया. जिसमें सूर सरोवर पक्षी विहार के विस्तार में 14.50 हेक्टेयर का वन क्षेत्र शामिल करने की प्रक्रिया में 2 साल का समय लगने की जानकारी दी. उन्होंने हलफनामे में पूरी समय सीमा का जिक्र किया है. जिसमें वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 की धाराओं के अनुपालन करने में 28 अप्रैल 2027 तक का समय लगने की जानकारी दी है. इसके साथ ही एनजीटी ने सुनवाई में सूर सरोवर पक्षी विहार के प्रतिबंधित क्षेत्र में चल रहीं वाणिज्यिक गतिविधियां बंद करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही चीफ कंजरवेटर और आगरा डीएम को तलब करके शपथपत्र मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 मई को होगी.