वाराणसी: पूर्वांचल का एम्स कहा जाने वाला काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का सर सुंदरलाल अस्पताल स्वास्थ्य सुविधा की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है. इन दिनों अस्पताल का एक ऐसा विवाद सामने आया है, जिसने हृदय रोग के मरीजों को मुसीबत में डाल दिया है. वर्तमान में अस्पताल के दो विभागो की लड़ाई का खामियाजा बड़ी संख्या में यहां आने वाले कार्डियक के मरीज उठा रहे हैं. BHU को सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कुल 86 बेड कार्डियक को दिए गए है, लेकिन सिर्फ 45 बेड ही मरीजों को मिल पा रहे हैं. यहां रोजाना 400 से अधिक दिल के मरीज आ रहे हैं.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता को लेकर बड़े आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि एमएस की वजह से हृदय रोग विभाग में मरीजो को बेड नहीं मिल पा रहे हैं. एमएस द्वारा विभाग को बेड अलॉटमेंट नहीं किया जा रहा है. जहां विभाग को 150 बेडों की जरूरत थी, वहां पर सिर्फ 45 बेड ही सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में मिल रहे हैं. करीब 41 बेड ऐसे हैं, जिन्हें डिजिटल लॉक कर दिया गया है. यानी ये बेड हॉस्पिटल इनफार्मेशन सिस्टम में नहीं दिख रहे हैं.
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तीन गुना बढ़ी दिल के मरीजों की संख्या: प्रो. ओमशंकर का कहना है कि दिल की बीमारी से आज हजारों लोगों की मौत हो रही है. इसमें मरने वालों की आयु 50 साल से कम की है. वहीं 40 साल से कम आयु वर्ग का हर तीसरा मरीज हार्ट अटैक की समस्या से जूझ रहा है. आज से डेढ़ दशक पहले पूर्वांचल, बिहार और आस-पास के जिलों में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा नहीं थी. उस समय बीएचयू में तीन ओपीडी हुआ करती थी. ओपीडी में लगभग 30 मरीज दिल की बीमारी के आते थे. आज रोज ओपीडी चलती है और किसी में भी 300 से 400 से कम संख्या में मरीज नहीं आते हैं. आज मरीजों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है.
प्रधानमंत्री ने दी थी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की सौगात: प्रो. ओम शंकर का कहना है कि बीएचयू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स फैसिलिटी अस्पताल बनाना चाहते हैं. यहां पर लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या को देखते हुए बीते वर्ष पीएम मोदी ने विभाग की मांग के बाद BHU को सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की सौगात दी थी. इस ब्लॉक में दो फ्लोर कार्डियक के लिए रिजर्व कर दिया गया, जिसमें 41 बेड मरीजों के लिए थे. बेडों का मामला प्रधानमंत्री को पता चला था. उन्होंने इसकी जांच के लिए जिलाधिकारी और सीएमओ को निर्देशित किया था. इस मामले में जांच के बाद मुझे दोषी ठहराया गया है.
बेड न मिलने से कई मरीजों की हुई मौत: कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. ओमशंकर ने इससे पहले भी आरोप लगाया था कि पिछले एक साल में 22,000 से अधिक दिल के मरीजों को सर सुंदरलाल अस्पताल में बेड नहीं मिला है. इनमें से कई मरीजों की जान बेड न मिलने के चलते चली गई. यहां पर बेड की कोई कमी नहीं है. ये लापरवाही अस्पताल द्वारा की गई है. उन्होंने आरोप लगया था कि मल्टी सुपर स्पेशियल्टी वार्ड में बने 140 बेड के वार्ड पर ताला लगाया गया है. मरीजों की दिल की बीमारी के चलते मरीज लौट रहे हैं. कई लोगों की मौत हो रही है. इसके जिम्मेदारी कुलपति, IMS डायरेक्टर और MS हैं.
क्या है डिजिटल लॉक: दरअसल, बेड के डिजिटल लॉक होने का मतलब, बेड के साथ लगाए गए सपोर्टिंग उपकरणों को डिजिटली लॉक करना है. इसी के तहत स्पेशलिटी ब्लॉक में मरीजों के लिए उपलब्ध बेड को कंप्यूटर सिस्टम के जरिए लॉक किया गया है. यह बेड सामान्य रूप से पड़े तो हैं, लेकिन इन बेडों के साथ अटैच उपकरण किसी भी रुप से कार्यरत नहीं है. जिस वजह से यह बेड मरीजों के लिए वर्तमान समय में किसी प्रकार से सहायक नहीं है. अस्पताल के सिस्टम में अनलॉक होने के बाद ही इन बेड पर मरीजों का इलाज किया जा सकता है.
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