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काशी के दो अहम महाश्मशान घाटों की बदलेगी सूरत, कई राज्यों से अंतिम संस्कार के लिए लाए लाते हैं शव - वाराणसी प्रसिद्ध घाट

वाराणसी के दो महाश्मशान घाटों (Manikarnika Harishchandra Ghat Development) पर सुविधाओं में इजाफा करने की रणनीति तैयार की गई है. इन घाटों पर कई राज्यों से शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जाते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 21, 2023, 8:56 AM IST

वाराणसी : काशी के दो महाश्मशान घाट मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को बिल्कुल नए तरीके से तैयार करने की प्लानिंग शुरू हो गई है. दोनों घाटों को स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत मॉडर्न तरीके से विकसित किया जाएगा. दाह संस्कार के साथ ही तमाम ऐसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी जो अब तक किसी अन्य जगहों पर नहीं हैं. दोनों महाश्मशान घाट सबसे महत्वपूर्ण हैं. वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई अन्य जगहों से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए यहां पहुंचते हैं. बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना होता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत इन दोनों घाटों के सुंदरीकरण का प्लान तैयार किया गया है.

कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बुधवार को मंडलीय सभागार में हरिश्चंद्र एवं मणिकर्णिका घाट के पुनर्विकास के संबंध में बैठक की. इस दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि उक्त दोनों घाटों के पुनर्विकास के लिए कार्ययोजना के अनुसार समस्त साइट को क्लियर कर लें. उन्होंने अधिकारियों की टीम बनाकर तत्काल मानचित्र के अनुसार घाटों पर डीमार्केशन (सरहदबंदी) कराने तथा नगर निगम को निर्माण क्षेत्र में आने वाले समस्त स्ट्रक्चर और बाधाओं को अविलंब दूर कराकर कार्य शुरू करने के निर्देश दिए.

घाटों को एडवांस बनाने की तैयारी : 17 करोड़ रुपए की लागत से मणिकर्णिका घाट को सीएसआर फंड के जरिए डेवलप किया जाएगा. घाटों की सीढ़ियों को एडवांस करने के साथ ही यहां पर शवदाह के लिए प्लेटफार्म की संख्या भी बढ़ाई जाएगी
गंगा को ऊपर लाकर शिव की जटाओं के जरिए शवों को अंतिम स्नान करने की प्रक्रिया करने के अलावा लोगों के रुकने के लिए धर्मशाला, बैठने की व्यवस्था भी यहां की जाएगी.

बिजली के केबल और तार भी किए जाएंगे व्यवस्थित : कमिश्नर ने सीवरेज, पेयजल पाइप लाइन, विद्युत केबल आदि के शिफ्टिंग का कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए. आयुक्त ने कहा कि आगे से घाटों के पुनर्विकास के प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी. कार्य निर्बाध रूप से चले इसके लिए इन घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा का बंदोबस्त भी रहे. सड़कों पर बाधक बन रहे विद्युत तथा अन्य पोलों, लटकते तार व्यवस्थित किए जाएं. इसके अतिरिक्त कमिश्नर ने समस्त प्रमुख, वीआईपी तथा प्रस्तावित मार्गों, क्षेत्रों में कराए जाने वाले अंडर ग्राउंड विद्युत केबल के कार्यों के संबंध में चर्चा कर जानकारी ली. उन्होंने पीडब्लूडी, नगर नगर निगम को अंडर ग्राउंड विद्युत केबलिंग के लिए सर्वे शीघ्र कराए जाने के निर्देश दिए.

जानिए क्यों खास हैं दोनों घाट : मणिकर्णिका घाट को मोक्ष का घाट कहा जाता है. कहते हैं यहां स्वयं भगवान शिव उपस्थित रहते हैं. मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन 100 से ज्यादा शवों का दाह संस्कार होता है जो यूपी, बिहार, झारखंड समेत अन्य जगहों से लाए जाते हैं. हरिशचंद्र घाट का भी अपना पौराणिक महत्व है, ऐसा कथानक है कि महाराजा हरिश्चंद्र ने खुद को यहीं पर डोम राजा को बेचा था.

यह भी पढ़ें : माफिया अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब समेत छह के घरों पर नोटिस चस्पा, वक्फ की 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति हड़पी

वाराणसी : काशी के दो महाश्मशान घाट मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट को बिल्कुल नए तरीके से तैयार करने की प्लानिंग शुरू हो गई है. दोनों घाटों को स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत मॉडर्न तरीके से विकसित किया जाएगा. दाह संस्कार के साथ ही तमाम ऐसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी जो अब तक किसी अन्य जगहों पर नहीं हैं. दोनों महाश्मशान घाट सबसे महत्वपूर्ण हैं. वाराणसी ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत कई अन्य जगहों से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए यहां पहुंचते हैं. बड़ी संख्या में लोगों का यहां आना होता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत इन दोनों घाटों के सुंदरीकरण का प्लान तैयार किया गया है.

कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने बुधवार को मंडलीय सभागार में हरिश्चंद्र एवं मणिकर्णिका घाट के पुनर्विकास के संबंध में बैठक की. इस दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि उक्त दोनों घाटों के पुनर्विकास के लिए कार्ययोजना के अनुसार समस्त साइट को क्लियर कर लें. उन्होंने अधिकारियों की टीम बनाकर तत्काल मानचित्र के अनुसार घाटों पर डीमार्केशन (सरहदबंदी) कराने तथा नगर निगम को निर्माण क्षेत्र में आने वाले समस्त स्ट्रक्चर और बाधाओं को अविलंब दूर कराकर कार्य शुरू करने के निर्देश दिए.

घाटों को एडवांस बनाने की तैयारी : 17 करोड़ रुपए की लागत से मणिकर्णिका घाट को सीएसआर फंड के जरिए डेवलप किया जाएगा. घाटों की सीढ़ियों को एडवांस करने के साथ ही यहां पर शवदाह के लिए प्लेटफार्म की संख्या भी बढ़ाई जाएगी
गंगा को ऊपर लाकर शिव की जटाओं के जरिए शवों को अंतिम स्नान करने की प्रक्रिया करने के अलावा लोगों के रुकने के लिए धर्मशाला, बैठने की व्यवस्था भी यहां की जाएगी.

बिजली के केबल और तार भी किए जाएंगे व्यवस्थित : कमिश्नर ने सीवरेज, पेयजल पाइप लाइन, विद्युत केबल आदि के शिफ्टिंग का कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए. आयुक्त ने कहा कि आगे से घाटों के पुनर्विकास के प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी. कार्य निर्बाध रूप से चले इसके लिए इन घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा का बंदोबस्त भी रहे. सड़कों पर बाधक बन रहे विद्युत तथा अन्य पोलों, लटकते तार व्यवस्थित किए जाएं. इसके अतिरिक्त कमिश्नर ने समस्त प्रमुख, वीआईपी तथा प्रस्तावित मार्गों, क्षेत्रों में कराए जाने वाले अंडर ग्राउंड विद्युत केबल के कार्यों के संबंध में चर्चा कर जानकारी ली. उन्होंने पीडब्लूडी, नगर नगर निगम को अंडर ग्राउंड विद्युत केबलिंग के लिए सर्वे शीघ्र कराए जाने के निर्देश दिए.

जानिए क्यों खास हैं दोनों घाट : मणिकर्णिका घाट को मोक्ष का घाट कहा जाता है. कहते हैं यहां स्वयं भगवान शिव उपस्थित रहते हैं. मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन 100 से ज्यादा शवों का दाह संस्कार होता है जो यूपी, बिहार, झारखंड समेत अन्य जगहों से लाए जाते हैं. हरिशचंद्र घाट का भी अपना पौराणिक महत्व है, ऐसा कथानक है कि महाराजा हरिश्चंद्र ने खुद को यहीं पर डोम राजा को बेचा था.

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