वाराणसी: इंतखाब की नकल देने के एवज में पांच सौ रुपए रिश्वत लेने के मामले अदालत ने मिर्जापुर के लेखपाल चकबंदी को दंडित किया है. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) रजत वर्मा की अदालत ने मुकदमे के विचारण के बाद शाहगंज, जौनपुर निवासी मिर्जापुर जनपद के चकबंदी विभाग के तत्कालीन लेखपाल वीरेंद्र कुमार गुप्ता को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष के कठोर कारावास व दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है.
अदालत में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक विक्रमशील चतुर्वेदी ने पक्ष रखा. अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायतकर्ता लक्ष्मण यादव ने एंटी करप्शन विभाग संगठन में शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप था कि शिकायतकर्ता अपनी एक जमीन की इंतखाब की नकल लेने के लिए लेखपाल चकबंदी वीरेंद्र कुमार गुप्ता से मिला था. जिस पर लेखपाल ने उससे पांच सौ रुपए रिश्वत की मांग की थी.
एंटी करप्शन टीम ने कैसे पकड़ाः इसके बाद उसने इस मामले में एंटी करप्शन विभाग संगठन में शिकायत दर्ज कराई थी. एंटी करप्शन विभाग की ट्रैप टीम ने 21 मार्च 2007 को अपराह्न ढाई बजे सहायक चकबंदी अधिकारी कार्यालय नरायनपुर, अदलहाट थाना चुनार जनपद मिर्जापुर से रंगेहाथ 500 रुपए रिश्वत लेते अभियुक्त वीरेन्द्र कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया था.
अदालत ने फैसला सुनाते हुए क्या की टिप्पणीः अदालत ने विचारण के दौरान अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त लेखपाल चकबंदी कार्यालय, नरायनपुर जैसे लोक सेवक के पद पर रहते हुए आकारपत्र 23 भाग 1 इंतखाब की नकल देने हेतु पांच सौ रुपए की रिश्वत की मांग की गई. अभियुक्त का उक्त कृत्य एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक अवचार के अंतर्गत आता है. ऐसे में अदालत ने अभियुक्त को दोषी पाते हुए उसे सजा सुना दी.
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