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एप तैयार करने वाली कंपनी के मालिक का साइकिल क्रेज, दिल्ली से पहुंचा बनारस - वाराणसी न्यूज

आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र अंशुल अग्रवाल को बचपन से ही साइकिलिंग का शौक रहा है. वहीं आज जब ये खुद एक एप बनाने वाली कंपनी के मालिक हैं, इसके बावजूद ये साइकिल से ही ऑफिस जाते हैं. अंशुल का मामना है कि वह पर्यावरण की रक्षा और अपने शौक को पूरा करने के लिए साइकिलिंग करते हैं.

अंशुल अग्रवाल.
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Published : Feb 9, 2019, 3:38 PM IST

वाराणसी: कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती. शायद यही वजह है कि इसे जिंदगी का फलसफा मानकर बीएचयू आईआईटी के पूर्व छात्र और ऑस्ट्रेलिया में अल्ट्रा मैन का टाइटल हासिल करने वाले अंशुल अग्रवाल ने करीब 800 किलोमीटर का सफर साइकिल से पूरा किया. अंशुल आईआईटी बीएचयू के शताब्दी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली से बनारस पहुंचे हैं.

अंशुल अग्रवाल को है साइकिलिंग का शौक.
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1995 बैच के पूर्व छात्र अंशुल दुनिया के 12 अल्ट्रा मैन में शामिल हैं. अंशुल का कहना है कि उनको बचपन से ही साइकिल चलाने का शौक था, जो अब जुनून में बदल गया है. वह पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए साइकिल लेकर ही निकलते हैं. बड़ी बात तो यह है कि अंशुल एक एप्लीकेशन कंपनी के मालिक हैं, जो गूगल और आईफोन जैसे बड़ी कंपनियों को एप्लीकेशंस तैयार करके देती है.


आईआईटी बीएचयू अपना 100वां स्थापना दिवस मना रहा है.इस कार्यक्रम में पुरातन छात्र सम्मेलन के तहत ग्लोबल एलुमनाई मीट का भी आयोजन किया गया है, जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पुराने छात्रों ने शिरकत की है. इसी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए अंशुल अग्रवाल दिल्ली से साइकिल चला कर अपने संस्थान पहुंचे हैं.


अंशुल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें अल्ट्रामैन का खिताब दिया गया. साल 2018 में हुए आयोजन में अंशुल ने तीन अलग-अलग कैटेगरी में अपना दम दिखाया था. इसमें 10 किलोमीटर तैराकी, 421 किलोमीटर साइकिल और 84 किलोमीटर दौड़ में भाग लेने के बाद उन्हें अल्ट्रामैन का खिताब दिया गया. इस कंपटीशन में अंशुल तीसरे पायदान पर रहे. कराटे में ब्लैक बेल्ट अंशुल को मलेशिया ने भी दो बार आयरन मैन का खिताब दिया है.

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अंशुल का कहना है कि जब वह बीएचयू में पढ़ते थे तब वह साइकिल से दो-तीन किलोमीटर ही चलते थे, लेकिन साइकिल से उनको इतना प्यार हुआ कि उन्होंने इसे अपने जिंदगी में शामिल कर लिया. आईआईटी पास करने के बाद जब वह जॉब के लिए गए तब वह अपनी कंपनी तक जाने के लिए भी साइकिल का ही प्रयोग करते थे. खुद का बिजनेस शुरू करने के बाद भी वह साइकिल से चलते हैं. उनका कहना है कि साइकिलिंग में एक एंजॉयमेंट है. आज की भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाले दौर में साइकिल एक बेहतर विकल्प है.

वाराणसी: कहते हैं जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती. शायद यही वजह है कि इसे जिंदगी का फलसफा मानकर बीएचयू आईआईटी के पूर्व छात्र और ऑस्ट्रेलिया में अल्ट्रा मैन का टाइटल हासिल करने वाले अंशुल अग्रवाल ने करीब 800 किलोमीटर का सफर साइकिल से पूरा किया. अंशुल आईआईटी बीएचयू के शताब्दी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली से बनारस पहुंचे हैं.

अंशुल अग्रवाल को है साइकिलिंग का शौक.
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1995 बैच के पूर्व छात्र अंशुल दुनिया के 12 अल्ट्रा मैन में शामिल हैं. अंशुल का कहना है कि उनको बचपन से ही साइकिल चलाने का शौक था, जो अब जुनून में बदल गया है. वह पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को अवेयर करने के लिए साइकिल लेकर ही निकलते हैं. बड़ी बात तो यह है कि अंशुल एक एप्लीकेशन कंपनी के मालिक हैं, जो गूगल और आईफोन जैसे बड़ी कंपनियों को एप्लीकेशंस तैयार करके देती है.


आईआईटी बीएचयू अपना 100वां स्थापना दिवस मना रहा है.इस कार्यक्रम में पुरातन छात्र सम्मेलन के तहत ग्लोबल एलुमनाई मीट का भी आयोजन किया गया है, जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पुराने छात्रों ने शिरकत की है. इसी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए अंशुल अग्रवाल दिल्ली से साइकिल चला कर अपने संस्थान पहुंचे हैं.


अंशुल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें अल्ट्रामैन का खिताब दिया गया. साल 2018 में हुए आयोजन में अंशुल ने तीन अलग-अलग कैटेगरी में अपना दम दिखाया था. इसमें 10 किलोमीटर तैराकी, 421 किलोमीटर साइकिल और 84 किलोमीटर दौड़ में भाग लेने के बाद उन्हें अल्ट्रामैन का खिताब दिया गया. इस कंपटीशन में अंशुल तीसरे पायदान पर रहे. कराटे में ब्लैक बेल्ट अंशुल को मलेशिया ने भी दो बार आयरन मैन का खिताब दिया है.

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अंशुल का कहना है कि जब वह बीएचयू में पढ़ते थे तब वह साइकिल से दो-तीन किलोमीटर ही चलते थे, लेकिन साइकिल से उनको इतना प्यार हुआ कि उन्होंने इसे अपने जिंदगी में शामिल कर लिया. आईआईटी पास करने के बाद जब वह जॉब के लिए गए तब वह अपनी कंपनी तक जाने के लिए भी साइकिल का ही प्रयोग करते थे. खुद का बिजनेस शुरू करने के बाद भी वह साइकिल से चलते हैं. उनका कहना है कि साइकिलिंग में एक एंजॉयमेंट है. आज की भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाले दौर में साइकिल एक बेहतर विकल्प है.

Intro:एंकर- वाराणसी: कहते हैं जो कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो फिर कोई भी राह मुश्किल नहीं होती शायद यही वजह है कि इसे जिंदगी का फलसफा मानकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय आईआईटी के पुरातन छात्र और ऑस्ट्रेलिया में अल्ट्रामैन की टाइटल हासिल करने वाले अंशुल अग्रवाल लगभग 800 किलोमीटर का सफर साइकिल से पूरा करके आईआईटी बीएचयू के शताब्दी बस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दिल्ली से बनारस पहुंचे हैं 1995 बैच के पूर्व छात्र अंशुल दुनिया के 12 अल्ट्रामैन में शामिल है उन्होंने बताया कि उनको बचपन से ही साइकिल चलाने का बहुत शौक था जो अब जुनून में बदल गया है जिसकी वजह से वह पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति अवेयर करने के लिए साइकिल लेकर ही निकलते हैं सबसे बड़ी बात यह है कि अंशुल एक एप्लीकेशन कंपनी के मालिक हैं जो गूगल और आईफोन जैसे बड़ी कंपनियों को एप्लीकेशंस तैयार करके देते हैं


Body:वीओ-01 आईआईटी बीएचयू अपना 100वां स्थापना दिवस मना रहा है 1919 में बीएचयू इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना महामना मदन मोहन मालवीय ने की थी और इस कार्यक्रम में पुरातन छात्र सम्मेलन के तहत ग्लोबल एलुमनाई मीट का भी आयोजन किया गया है जिसमें देश नहीं विदेशों से भी बड़ी संख्या में पुराने छात्रों ने शिरकत की है इसी कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए अंशुल अग्रवाल दिल्ली से साइकिल चला कर अपने संस्थान में इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं अंशुल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया ने उन्हें अल्ट्रा मैन का खिताब दिया है 2018 में हुए आयोजन में अंशुल ने तीन अलग अलग कैटेगरी में अपना दम दिखाया था इसमें 10 किलो मीटर तैराकी उसके बाद 421 किलोमीटर साइकिल और 84 किलो मीटर दौड़ में शिरकत कर वह अल्ट्रामैन पाए थे इस कंपटीशन में अंशुल तीसरे पायदान पर रहे थे कराटे में ब्लैक बेल्ट अंशुल को मलेशिया ने भी दो बार आयरन मैन का खिताब दिया है.

बाईट- अंशुल अग्रवाल, पूर्व छात्र आईआईटी बीएचयू


Conclusion:वीओ-02 अंशुल का कहना है कि जब वह बीएचयू में पढ़ते थे तब वह साइकिल से दो-तीन किलोमीटर ही चलते थे लेकिन साइकिल से उनको इतना प्यार हुआ कि उन्होंने इसे अपने जिंदगी में शामिल कर लिया आईआईटी पास करने के बाद जो हुआ जॉब में गए तब अपनी कंपनी भी साइकिल से ही जाया करते थे उसके बाद धीरे-धीरे जब उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया और कंपनी खोली तब भी आज वह साइकिल से चलते हैं उनका कहना है कि साइकिलिंग में एक एंजॉयमेंट है और आज के भीड़भाड़ और ट्रैफिक वाले दौर में साइकिल एक बेहतर विकल्प है.

बाईट- अंशुल अग्रवाल, पूर्व छात्र आईआईटी बीएचयू

गोपाल मिश्र

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