वाराणसी: नागपंचमी यानी नाग देवता को खुश करने का दिन माना जाता है, और यह दिन देवाधिदेव महादेव को समर्पित होता है. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा और कालसर्प योग से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको उस पवित्र स्थान पर लेकर चल रहे हैं जिसे नाग लोक के नाम से जाना जाता है. काशी में स्थित नाग कुआं महर्षि पतंजलि की तपोस्थली के रूप में विख्यात है. महर्षि पतंजलि जिन्हें शेषनाग का अवतार कहा जाता है. यही वजह है कि यहां पर मौजूद कुंड के नीचे नाग लोक होने के दावे किए जाते हैं और इस पवित्र स्थान से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं जो आपको आश्चर्य में डाल देंगी.
महर्षि पतंजलि की तपोभूमि
दरअसल वाराणसी रहस्यमयी नगरी है और इस नगर में जैतपुरा इलाके में स्थित नागनकूप पाताल लोक के दरवाजे के रूप में विख्यात है. यहां के पुजारी पंडित कुंदन की माने तो कई हजार साल पुरानी इस पवित्र स्थली को कारकोटक नागी तीर्थ के नाम से जाना जाता है. इससे जुड़ी कथा के बारे में यदि बात की जाए तो पुराणों में वर्णित है, कि यह पवित्र स्थान शेषनाग अवतार महर्षि पतंजलि की तपोस्थली रही है. यहीं पर कई हजार वर्ष तक उन्होंने कठिन तपस्या की थी.
नागपंचमी विशेष: काशी के इस स्थान पर बसता है नाग लोक, पाताल लोक को जाता है रास्ता
वाराणसी रहस्यमयी नगरी है और इस नगर में जैतपुरा इलाके में स्थित नागनकूप पाताल लोक के दरवाजे के रूप में विख्यात है. नाग पंचमी यानी नाग देवता को खुश करने का दिन और यह दिन देवाधिदेव महादेव को समर्पित होता है. ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नाग की पूजा और कालसर्प योग से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको उस पवित्र स्थान पर लेकर चल रहे हैं जिसे नाग लोक के नाम से जाना जाता है.
वाराणसी: नागपंचमी यानी नाग देवता को खुश करने का दिन माना जाता है, और यह दिन देवाधिदेव महादेव को समर्पित होता है. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा और कालसर्प योग से मुक्ति के लिए विशेष अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको उस पवित्र स्थान पर लेकर चल रहे हैं जिसे नाग लोक के नाम से जाना जाता है. काशी में स्थित नाग कुआं महर्षि पतंजलि की तपोस्थली के रूप में विख्यात है. महर्षि पतंजलि जिन्हें शेषनाग का अवतार कहा जाता है. यही वजह है कि यहां पर मौजूद कुंड के नीचे नाग लोक होने के दावे किए जाते हैं और इस पवित्र स्थान से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं जो आपको आश्चर्य में डाल देंगी.
महर्षि पतंजलि की तपोभूमि
दरअसल वाराणसी रहस्यमयी नगरी है और इस नगर में जैतपुरा इलाके में स्थित नागनकूप पाताल लोक के दरवाजे के रूप में विख्यात है. यहां के पुजारी पंडित कुंदन की माने तो कई हजार साल पुरानी इस पवित्र स्थली को कारकोटक नागी तीर्थ के नाम से जाना जाता है. इससे जुड़ी कथा के बारे में यदि बात की जाए तो पुराणों में वर्णित है, कि यह पवित्र स्थान शेषनाग अवतार महर्षि पतंजलि की तपोस्थली रही है. यहीं पर कई हजार वर्ष तक उन्होंने कठिन तपस्या की थी.