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विश्वनाथ मंदिर में स्थित प्राचीन वटवृक्ष टूटकर गिरा, महंत परिवार ने लगाए ये आरोप - काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित प्राचीन वटवृक्ष बुधवार को टूटकर गिर गया. विशाल वटवृक्ष के धराशाई होने के बाद महंत परिवार के राजू पाठक ने मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

विश्वनाथ मंदिर स्थित प्राचीन वटवृक्ष गिरा
विश्वनाथ मंदिर स्थित प्राचीन वटवृक्ष गिरा
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Published : Apr 28, 2021, 7:47 PM IST

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर के समीप मौजूद प्रचीन वटवृक्ष बुधवार को टूटकर गिर गया. इसको लेकर महंत परिवार ने मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण कार्य के दायरे में अक्षयवट मंदिर और शिव सभा आए थे, जिसको लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के द्वारा महंत परिवार को आश्वस्त कराया गया था कि विशाल विग्रह को सुरक्षित रखते हुए निर्माण कार्य किया जाएगा, मगर निर्माण कार्य के दौरान अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल वटवृक्ष धराशाई हो गया.

महंत परिवार ने लगाया आरोप
अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल वटवृक्ष के धराशाई होने के बाद महंत परिवार के राजू पाठक ने मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शुरू में ही महंत परिवार ने अधिकारियों को अवगत कराया था कि वृक्ष और अंजनी पुत्र के विशाल विग्रह को संरक्षित एवं सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाए, जिसपर अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया था कि इन सभी विग्रहों को सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाएगा. मगर निर्माण कार्य के दौरान मंदिर प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से विशालकाय वृक्ष धराशाई हो गया. इससे पूरे महंत परिवार में रोष व्याप्त है.

अति प्राचीन था अक्षयवट वृक्ष
महंत परिवार के राजू पाठक ने बताया कि यह अक्षयवट वृक्ष पूरे भारतवर्ष में सिर्फ तीन जगह ही विराजमान है. काशी के अलावा यह वटवृक्ष प्रयागराज और गया में मौजूद है. उन्होंने बताया कि गया में इस वृक्ष के नीचे पिंडदान करने का, प्रयागराज में सिर मुंडन कराने और काशी में इस वृक्ष के नीचे दांडी स्वामी को भोजन कराने का महात्म्य है. इन तीनों स्थानों पर हनुमान जी 3 रूप में विराजमान हैं, जिसमें गया में हनुमान जी बैठे हैं, प्रयागराज में किले के अंदर लेटे हैं और काशी में हनुमान जी खड़े हैं.

इसे भी पढ़ें- कोरोना मरीजों की मदद करेगा काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन, बांटेगा दवा की पोटली

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर के समीप मौजूद प्रचीन वटवृक्ष बुधवार को टूटकर गिर गया. इसको लेकर महंत परिवार ने मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण कार्य के दायरे में अक्षयवट मंदिर और शिव सभा आए थे, जिसको लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के द्वारा महंत परिवार को आश्वस्त कराया गया था कि विशाल विग्रह को सुरक्षित रखते हुए निर्माण कार्य किया जाएगा, मगर निर्माण कार्य के दौरान अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल वटवृक्ष धराशाई हो गया.

महंत परिवार ने लगाया आरोप
अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल वटवृक्ष के धराशाई होने के बाद महंत परिवार के राजू पाठक ने मंदिर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शुरू में ही महंत परिवार ने अधिकारियों को अवगत कराया था कि वृक्ष और अंजनी पुत्र के विशाल विग्रह को संरक्षित एवं सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाए, जिसपर अधिकारियों ने भी आश्वासन दिया था कि इन सभी विग्रहों को सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाएगा. मगर निर्माण कार्य के दौरान मंदिर प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से विशालकाय वृक्ष धराशाई हो गया. इससे पूरे महंत परिवार में रोष व्याप्त है.

अति प्राचीन था अक्षयवट वृक्ष
महंत परिवार के राजू पाठक ने बताया कि यह अक्षयवट वृक्ष पूरे भारतवर्ष में सिर्फ तीन जगह ही विराजमान है. काशी के अलावा यह वटवृक्ष प्रयागराज और गया में मौजूद है. उन्होंने बताया कि गया में इस वृक्ष के नीचे पिंडदान करने का, प्रयागराज में सिर मुंडन कराने और काशी में इस वृक्ष के नीचे दांडी स्वामी को भोजन कराने का महात्म्य है. इन तीनों स्थानों पर हनुमान जी 3 रूप में विराजमान हैं, जिसमें गया में हनुमान जी बैठे हैं, प्रयागराज में किले के अंदर लेटे हैं और काशी में हनुमान जी खड़े हैं.

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