वाराणसी: जब दुनिया में कोई आपदा आती है, तो मानवता की एक अलग छवि देखने को मिलती है. बीते दिनों जब कोरोना वायरस बेकाबू हो गया था तब देश के तमाम हिस्सों के साथ-साथ महादेव की नगरी काशी में भी लोगों ने अपनी मानवता दिखा कर इंसानियत की एक मिसाल पेश की थी. इन दिनों फिर से कोरोना महामारी अपने चरम पर है, लेकिन इस बार लोगों में तो मानवता दिख रही है, लेकिन जिंदगी का रक्षा करने वाले एंबुलेंस चालक अपनी मानवता भूल गए हैं. एंबुलेंस चालक मरीज से मनमाना किराया वसूल रहे हैं.
हर दिन सामने आ रही चालकों की मनमानी
एंबुलेंस चालकों की मनमानी का रवैया 1 दिन का नहीं है, बल्कि हर दिन इनकी मनमानी का शिकार मरीजों को होना पड़ रहा है. यदि सामान्य मरीज है तो 10 किलोमीटर के अंदर ले जाने का पंद्रह सौ से दो हजार रुपये, दूरी 5 किलोमीटर है तो 15 सौ से एक हजार और यदि मरीज कोरोना संक्रमित है तो फिर एक दो हजार नहीं बल्कि 5 से 7 हजार रुपये में मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है.
व्यक्ति के कपड़े मरीज की स्थिति से तय हो रहा किराया
यहां हैरान करने वाली बात यह है कि चालक व्यक्ति के रहन सहन, कपड़े व मरीज की स्थिति को देखकर किराया तय कर रहे हैं. यदि कोई मृत कोरोना मरीज है तो चालकों का रवैया और अधिक मानवता को शर्मसार करने वाला देखने को मिल रहा है. एम्बुलेंस चालक के मनमाने पन का शिकार हुए व्यापारी नेता राकेश जैन बताते हैं कि उन्हें निजी अस्पताल में परिवार के एक व्यक्ति को लेकर जाना था, जिसके लिए उन्होने एंबुलेंस चालक को फोन किया तो अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस चालक ने उनसे 7000 रुपये की मांग की. राकेश जैन ने बताया कि बहुत दबाव बनाने पर 4000 रुपये में चालक ने मरीज को अस्पताल पहुंचाया.
यही हालत एक निजी अस्पताल में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद हुई. जहां हरिश्चंद्र घाट पर मृत कोरोना मरीज को पहुंचाने के लिए एंबुलेंस चालक सौदेबाजी करने लगा. मरीज के परिजनों के बहुत निवेदन करने के बाद एंबुलेंस चालक नहीं माना. यह हाल एक दो नहीं बल्कि कई सारे मरीज व उनके परिजनों का है. यहां सवाल यह उठता है कि आखिर इनकी मनमानी पर रोक कौन लगाएगा, क्योंकि इनके लिए न कोई नियम है न ही कोई कानून.
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जन सेवा के नाम पर सरकार कम लेती है एंबुलेंस पर टैक्स
बता दें कि एंबुलेंस को जनसेवा साधन कहा जाता है और यही वजह है कि उसे टैक्स से मुक्त रखा जाता है. इसका किराया भी स्वयं चिकित्सक और चालक तय करते हैं और यही वजह है कि आपदा के समय इनकी मनमानी बढ़ जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि एंबुलेंस पंजीयन के नाम पर परिवहन विभाग में सिर्फ 600 रुपये का फिटनेस और 1000 रुपये का पंजीकरण शुल्क लिया जाता है. जबकि सामान्य वाहनों के लिए इस से 10 गुना ज्यादा टैक्स लिया जाता है.
24 घण्टे एम्बुलेंस दे रही हैं सेवाएं
सीएमओ डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि 108 नंबर के 14 एंबुलेंस, दो एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम, चार एंबुलेंस अधिकृत की गई है. इसके साथ ही 10 निजी अस्पतालों से एंबुलेंस तैयार रखने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि जिले में दो शववाहिनी 24 घण्टे रन कर रही हैं. सभी सरकारी एम्बुलेंस में सेवाएं मुफ्त है. यदि ,कोई मनमानी करता है तो एंबुलेंस चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
जिले में 518 एम्बुलेंस हैं पंजीकृत
गौरतलब हो कि वाराणसी के परिवहन कार्यालय में 518 एंबुलेंस पंजीकृत है, जिसमें से 73 का फिटनेस फेल है. बिना फिटनेस के सड़कों पर एंबुलेंस दौड़ रही है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता. यदि गलती से कभी कोई दुर्घटना घटित होती है या चालकों की मनमानी की सूचना अधिकारियों को दी जाती है, तो एक नोटिस जारी करने का कोरम पूरा कर मामले को रफा-दफा किया जाता है.