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Ganga ghats varanasi: विश्वनाथ धाम कॉरिडोर ने घाटों को किया मैला, गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट

वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद से गंगा के कई घाटों हालात बेहद चिंताजनक है. जो गंगा में स्नान करने वालों श्रद्धालुओं की आस्था को भी चोट पहुंचा रहे हैं. देखें ये स्पेशल रिपोर्ट....

Ganga ghats varanasi
Ganga ghats varanasi
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Published : Jan 14, 2023, 5:39 PM IST

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण से गंगा के घाटों की हालात चिंताजनक

वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के साथ ही बनारस में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. इससे बनारस की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिल रही है. इस दौरान वाराणसी आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए काम भी लगातार जारी है. लेकिन काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण की वजह से कुछ इलाकों की वजह स्थिति काफी खराब है. सबसे बुरे हालात गंगा घाटों के हैं. जो धाम के आसपास बसे हैं. इनमें मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, ललिता घाट, मीरघाट और त्रिपुरा भैरवी घाट शामिल हैं.

काशी में एक तरफ श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और दूसरे तरफ धाम के निर्माण के दौरान जमींदोज किए गए मकानों के नीचे सीवर लाइन का सर्वे होना अब परेशानी का सबब बन रहा है. सुबह-शाम सीवर ओवरफ्लो होने की कंडीशन में गंगा घाटों की स्थिति बद से बदतर हो जाती है. जो हर किसी को परेशान कर रही है. खास तौर पर यहां आने वाले श्रद्धालु जो पूरे सद्भाव के साथ गंगा में डुबकी लगाकर बाबा के दर्शन के लिए निकलते हैं. उन्हें इसी गंदे पानी और कई बार तो शौच से हो तक कर गुजरना पड़ता है. जो अपने आप धर्म और आस्था पर गहरी चोट मानी जा सकती है.

सीवर की समस्याः दरअसल विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, नीलकंठ समेत कई इलाकों में मौजूद मकानों को धराशाई करके निर्माण किया गया. मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला सीवर भी ललिता घाट पर बनाया गया. इससे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी इसकी चपेट में आया. इसकी वजह से सीवर व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.

बारिश के दिनों में तो पूरा मणिकर्णिका घाट सीवर के पानी में ही डूबा रहता है. इसकी शिकायत करने के बाद सीवर को डाइवर्ट करके मणिकर्णिका घाट के बगल में बनाए गए सीवर पंपिंग सेट से कनेक्ट किया गया. लेकिन, यह सुविधा अभी भी स्थिति को सुधार नहीं सकी है. हालात यह हैं कि अभी भी धाम से सटे गंगा घाटों पर स्थिति बद से बदतर है. सीवर का पानी सीधे गंगा में जाता है. जो गंगा को तो प्रदूषित करता ही है साथ ही साथ गंगा घाटों की स्थिति को भी बिगाड़ने का काम कर रहा है.

स्थानीय लोगों का आरोपः स्थानीय निवासी जटा शंकर द्विवेदी ने बताया कि विश्वनाथ धाम निर्माण के दौरान इन चीजों को पूरी तरह से इग्नोर किया गया. मणिकर्णिका घाट पर मौजूद एक सुलभ शौचालय को भी तोड़ दिया गया. जिसकी वजह से यहां आने वाले सब यात्री और श्रद्धालुओं को शौच के लिए भी खुले में जाना पड़ता है. वो भी तक जब पूरे वाराणसी को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है. यहां खुले में किया गया शौच गंगा घाट से होते हुए सीधे गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था पर भी चोट पहुंचा रहा है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि धाम के निर्माण के दौरान सीवर व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया. एसटीपी बनाने की बात थी लेकिन उसका निर्माण भी नहीं हुआ. जिसकी वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह का कहना था कि यहां मौजूद बिरला धर्मशाला भी सीवर के पानी का शिकार है और यहां पर सीवर का पानी भरा रहता है. जिसकी शिकायत पर इसे ठीक करने की कवायद की जा रही है. एसटीपी को लेकर प्रशासन से बातचीत की जा रही है. हालांकि जब इस बारे में हमने मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर सुनील वर्मा से बातचीत की तो उनका कहना था. एसटीपी का निर्माण हो गया है और संचालन भी शुरू होने वाला है.

प्रशासन का आश्वासनः वहीं, कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि मणिकर्णिका घाट की नई प्लानिंग इस महीने पूरी हो जाएगी. इसमें कम्युनिटी टॉयलेट, सीवर कनेक्शन सबको प्लान किया जा रहा है. सीवर पम्पिंग स्टेशन मंदिर कैंपस में दोबारा नया बनाया गया है और मंदिर काम्प्लेक्स की वजह से किसी का सीवर बाधित नहीं है. लोकल फॉल्ट की वजह से कई बार गलियों में सीवर बहता है. जिसे जल्दी ही ठीक कराया जाता है.

फिलहाल इतनी जटिल समस्या को लेकर अधिकारियों की हिला वाली निश्चित तौर पर यहां आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं समेत अन्य लोगों के लिए परेशानी का सबब तो है, ही साथ ही विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद इसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी बड़ी दिक्कत और परेशानी के साथ खतरा भी बन सकता है.

कांग्रेस नेता उठा रहे सवालः इसको लेकर कांग्रेस नेता अजय राय भी सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान सीवर व्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है. सीवर को जमीन में ही दबा दिया गया है और सीवर लाइन अंदर से ही नुकसान पहुंचा रही है. घाट पूरी तरह से नरक में तब्दील है और स्वच्छता की बात करके सरकार से गंगा निर्मली करण का दावा करती है. आज भी सीवर का पानी सीधे गंगा में जा रहा है और विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान हुई लापरवाही का नतीजा सब लोग भुगत रहे हैं. फिलहाल इन समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी है ताकि समय रहते इसे हल किया जा सके.

ये भी पढ़ेंः Kanpur IIT: यूपी के 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली नदियों का एटलस तैयार, मिलेगा पुनर्जन्म

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण से गंगा के घाटों की हालात चिंताजनक

वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के साथ ही बनारस में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. इससे बनारस की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिल रही है. इस दौरान वाराणसी आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए काम भी लगातार जारी है. लेकिन काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण की वजह से कुछ इलाकों की वजह स्थिति काफी खराब है. सबसे बुरे हालात गंगा घाटों के हैं. जो धाम के आसपास बसे हैं. इनमें मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, ललिता घाट, मीरघाट और त्रिपुरा भैरवी घाट शामिल हैं.

काशी में एक तरफ श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और दूसरे तरफ धाम के निर्माण के दौरान जमींदोज किए गए मकानों के नीचे सीवर लाइन का सर्वे होना अब परेशानी का सबब बन रहा है. सुबह-शाम सीवर ओवरफ्लो होने की कंडीशन में गंगा घाटों की स्थिति बद से बदतर हो जाती है. जो हर किसी को परेशान कर रही है. खास तौर पर यहां आने वाले श्रद्धालु जो पूरे सद्भाव के साथ गंगा में डुबकी लगाकर बाबा के दर्शन के लिए निकलते हैं. उन्हें इसी गंदे पानी और कई बार तो शौच से हो तक कर गुजरना पड़ता है. जो अपने आप धर्म और आस्था पर गहरी चोट मानी जा सकती है.

सीवर की समस्याः दरअसल विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, नीलकंठ समेत कई इलाकों में मौजूद मकानों को धराशाई करके निर्माण किया गया. मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला सीवर भी ललिता घाट पर बनाया गया. इससे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी इसकी चपेट में आया. इसकी वजह से सीवर व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.

बारिश के दिनों में तो पूरा मणिकर्णिका घाट सीवर के पानी में ही डूबा रहता है. इसकी शिकायत करने के बाद सीवर को डाइवर्ट करके मणिकर्णिका घाट के बगल में बनाए गए सीवर पंपिंग सेट से कनेक्ट किया गया. लेकिन, यह सुविधा अभी भी स्थिति को सुधार नहीं सकी है. हालात यह हैं कि अभी भी धाम से सटे गंगा घाटों पर स्थिति बद से बदतर है. सीवर का पानी सीधे गंगा में जाता है. जो गंगा को तो प्रदूषित करता ही है साथ ही साथ गंगा घाटों की स्थिति को भी बिगाड़ने का काम कर रहा है.

स्थानीय लोगों का आरोपः स्थानीय निवासी जटा शंकर द्विवेदी ने बताया कि विश्वनाथ धाम निर्माण के दौरान इन चीजों को पूरी तरह से इग्नोर किया गया. मणिकर्णिका घाट पर मौजूद एक सुलभ शौचालय को भी तोड़ दिया गया. जिसकी वजह से यहां आने वाले सब यात्री और श्रद्धालुओं को शौच के लिए भी खुले में जाना पड़ता है. वो भी तक जब पूरे वाराणसी को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है. यहां खुले में किया गया शौच गंगा घाट से होते हुए सीधे गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था पर भी चोट पहुंचा रहा है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि धाम के निर्माण के दौरान सीवर व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया. एसटीपी बनाने की बात थी लेकिन उसका निर्माण भी नहीं हुआ. जिसकी वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एनपी सिंह का कहना था कि यहां मौजूद बिरला धर्मशाला भी सीवर के पानी का शिकार है और यहां पर सीवर का पानी भरा रहता है. जिसकी शिकायत पर इसे ठीक करने की कवायद की जा रही है. एसटीपी को लेकर प्रशासन से बातचीत की जा रही है. हालांकि जब इस बारे में हमने मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर सुनील वर्मा से बातचीत की तो उनका कहना था. एसटीपी का निर्माण हो गया है और संचालन भी शुरू होने वाला है.

प्रशासन का आश्वासनः वहीं, कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा कि मणिकर्णिका घाट की नई प्लानिंग इस महीने पूरी हो जाएगी. इसमें कम्युनिटी टॉयलेट, सीवर कनेक्शन सबको प्लान किया जा रहा है. सीवर पम्पिंग स्टेशन मंदिर कैंपस में दोबारा नया बनाया गया है और मंदिर काम्प्लेक्स की वजह से किसी का सीवर बाधित नहीं है. लोकल फॉल्ट की वजह से कई बार गलियों में सीवर बहता है. जिसे जल्दी ही ठीक कराया जाता है.

फिलहाल इतनी जटिल समस्या को लेकर अधिकारियों की हिला वाली निश्चित तौर पर यहां आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं समेत अन्य लोगों के लिए परेशानी का सबब तो है, ही साथ ही विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद इसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी बड़ी दिक्कत और परेशानी के साथ खतरा भी बन सकता है.

कांग्रेस नेता उठा रहे सवालः इसको लेकर कांग्रेस नेता अजय राय भी सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान सीवर व्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है. सीवर को जमीन में ही दबा दिया गया है और सीवर लाइन अंदर से ही नुकसान पहुंचा रही है. घाट पूरी तरह से नरक में तब्दील है और स्वच्छता की बात करके सरकार से गंगा निर्मली करण का दावा करती है. आज भी सीवर का पानी सीधे गंगा में जा रहा है और विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान हुई लापरवाही का नतीजा सब लोग भुगत रहे हैं. फिलहाल इन समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी है ताकि समय रहते इसे हल किया जा सके.

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