वाराणसी : जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के सह-शिक्षा(Co-Education) को लेकर दिए गए बयान का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मौलाना मदनी के बयान के विरोध में संत समाज भी खड़ा हो गया है. मौलान के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए वाराणसी में राष्ट्रीय संत समिति के महामंत्री आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती ने खरी-खोंटी सुनाई. साथ ही आचार्य जितेन्द्रानंद सरस्वती ने मौलाना अरशद मदनी को दूसरे धर्म के बीच में न पड़ने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि मौलाना मदनी सनातन धर्म अथवा किसी अन्य धर्म का ठेका न लें. आचार्य जितेन्द्रानंद ने कहा कि सनातन धर्म में लड़का-लड़की एक समान है.
सनातन धर्म में आत्मा को महत्व दिया जाता है, यहां लड़का, लड़की किन्नर सब एक समान हैं. सह-शिक्षा(Co-Education) प्रणाली से किसी के चरित्र का हनन नहीं होता. सन 1975 तक अमेरिका में ईसाई धर्म की महिलाओं को मतदान से वंचित रखा गया, ऐसे किसी देश से हमारी तुलना मत करिए. आज भी जो लोग 2 महिलाओं के बराबर एक पुरूष की गवाही मानते हैं, उन लोगों से हमारी तुलना नहीं हो सकती. मौलाना अपने दकियानूसी विचार अपने पास रखें ये हिंदुस्तान है, अफगानिस्तान या पाकिस्तान नहीं.
बता दें, कि जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने सह-शिक्षा(Co-Education) पर बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि लड़कों और लड़कियों की पढ़ाई अलग-अलग होनी चाहिए.
जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक अनैतिक आरचण से दूर रहने के लिए सह-शिक्षा(Co-Education) को खत्म किया जाना जरूरी है. मुस्लिम समाज के लोगों को इसका विरोध किया जाना चाहिए. मदनी ने गैर मुस्लिमों से भी अपील की थी कि वे सह-शिक्षा से परहेज करें. जमीयत की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संगठन की कार्यसमिति की बैठक में मदनी ने यह टिप्पणी की थी. जिसके बाद विवाद शुरू हो गया, देश भर में कई लोगों ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है.
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