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नवरात्रि का चौथा दिन: आज के दिन मां कूष्मांडा की पूजा करने से होती हैं मनोकामनाएं पूरी - मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व

चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि देवी के दर्शन पूजन करने से रोग और शोक का हरण होता है. साथ ही साथ यश और धन की प्राप्ति भी होती है.

maa kushmanda puja
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Published : Mar 28, 2020, 2:55 PM IST

वाराणसी: आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि देवी के दर्शन पूजन करने से रोग और शोक का हरण होता है. साथ ही साथ यश और धन की प्राप्ति भी होती है. मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कूष्मांडा स्वरूप धारण किया था.

मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व.

इसे भी पढ़ें-चैत्र नवरात्री के पहले दिन मंदिरों में लगा श्रद्धालुओं का जत्था, सुरक्षा के रहे पुख्ते इंतजाम

काशी में देवी के प्रकट होने की कथा राजा सुबाहु से जुड़ी हुई है. देवी कूष्मांडा का मंदिर दुर्गा कुंड इलाके में विशाल कुंड के निकट है. माना जाता है कि कुंड का सीधा संबंध मां गंगा से है. मां कूष्मांडा के सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत कलश में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना कर नौकरी, व्यापार, नाक, कान गले से सम्बंधित बीमारियां दूर होती हैं.

वाराणसी: आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि देवी के दर्शन पूजन करने से रोग और शोक का हरण होता है. साथ ही साथ यश और धन की प्राप्ति भी होती है. मां दुर्गा ने असुरों का संहार करने के लिए कूष्मांडा स्वरूप धारण किया था.

मां कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व.

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काशी में देवी के प्रकट होने की कथा राजा सुबाहु से जुड़ी हुई है. देवी कूष्मांडा का मंदिर दुर्गा कुंड इलाके में विशाल कुंड के निकट है. माना जाता है कि कुंड का सीधा संबंध मां गंगा से है. मां कूष्मांडा के सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष बाण, कमल पुष्प, अमृत कलश में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना कर नौकरी, व्यापार, नाक, कान गले से सम्बंधित बीमारियां दूर होती हैं.

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