वाराणसी: बारिश का महीना शुरू होने के साथ ही अक्सर जर्जर मकानों के गिरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. जर्जर मकान गिरने की वजह से एक तरफ जहां जान माल का नुकसान होता है, तो वहीं नगर निगम के क्रियाकलापों पर सवाल भी उठते हैं. पूरे साल भर इन जर्जर भवनों की स्थिति हर किसी को दिखाई देती है, लेकिन जिम्मेदार विभाग और नगर निगम का इन जर्जर मकानों की तरफ कोई ध्यान नहीं जाता. ऐसे में ये मकान बारिश के दिनों में लोगों की जान को संकट में डाल देते हैं.
बता दें, कि ऐसे ही एक दो नहीं बल्कि 400 से ज्यादा जर्जर मकान वाराणसी में अब भी मौजूद हैं. जिनके गिरने का डर इस बरसात में लोगों को सताने लगा है. साथ ही नगर निगम की इस कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं.
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इस मामले में नगर आयुक्त सुमित कुमार का कहना है कि सर्वे का काम पूरा हो गया है और जल्द ही इन भवनों को नोटिस जारी कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. लेकिन नगर निगम के इन सरकारी बयानों की कलई इन इलाकों में रहने वाले खोल रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीते कई सालों से यह भवन लोगों को डरा रहे हैं समय-समय पर इनसे ईंटा-पत्थर गिरता रहता है और बारिश के दिनों में इनके पास से गुजरने में भी डर लगता है. हालात ये हैं कि मेन रोड पर मौजूद जर्जर भवन रास्ते से गुजरने वाले लोगों के जीवन को संकट में डाल सकते हैं. वहीं, बहुत से ऐसे जर्जर भवन हैं, जिनमें अभी लोग रह रहे हैं.
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निगम के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इन भवनों को गिराए न जाने की एक बड़ी वजह यह होती है कि इन में रहने वाले बहुत से लोग पुराने किराएदार होते हैं, जो मकान खाली ही नहीं करना चाहते. साथ ही कार्रवाई के दौरान यह कोर्ट की शरण में चले जाते हैं. कोर्ट भी मामले में आदेश जारी कर देता है और ऐसा होने की वजह से निगम इस पर कोई एक्शन नहीं लेता है. फिर भी सवाल यह उठता है कि इन जर्जर भवनों में रहने वालों की जिंदगी के साथ क्षेत्र से गुजरने वाले लोगों की जान पर कोई खतरा बनता है, तो क्या नियमों की दुहाई दी जाएगी. या फिर इन जर्जर भवनों को हटाकर लोगों को बचाने की सच में कार्रवाई की जाएगी.
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