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वाराणसी में मौत की छत के नीचे जीने को मजबूर 400 घरों के लोग, बारिश में कभी हो सकता है हादसा

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Published : Jun 27, 2022, 5:00 PM IST

वाराणसी में 400 से ज्यादा जर्जर मकान अब भी मौजूद हैं, जिनके गिरने का डर इस बरसात में लोगों को सताने लगा है. इन घरों की हालत को देख नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं.

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जर्जर मकान

वाराणसी: बारिश का महीना शुरू होने के साथ ही अक्सर जर्जर मकानों के गिरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. जर्जर मकान गिरने की वजह से एक तरफ जहां जान माल का नुकसान होता है, तो वहीं नगर निगम के क्रियाकलापों पर सवाल भी उठते हैं. पूरे साल भर इन जर्जर भवनों की स्थिति हर किसी को दिखाई देती है, लेकिन जिम्मेदार विभाग और नगर निगम का इन जर्जर मकानों की तरफ कोई ध्यान नहीं जाता. ऐसे में ये मकान बारिश के दिनों में लोगों की जान को संकट में डाल देते हैं.

बता दें, कि ऐसे ही एक दो नहीं बल्कि 400 से ज्यादा जर्जर मकान वाराणसी में अब भी मौजूद हैं. जिनके गिरने का डर इस बरसात में लोगों को सताने लगा है. साथ ही नगर निगम की इस कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं.

वाराणसी में जर्जर मकान
दरअसल, हर साल बारिश के दिनों में जर्जर मकानों के गिरने की खबर कहीं न कहीं से आ ही जाती है. खबर आने के बाद सरकारी आंकड़ों में इन जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर अपने क्रियाकलापों की इतिश्री कर ली जाती है. ऐसे ही 404 जर्जर भवन बनारस के अलग-अलग इलाकों में मौजूद हैं. जोनवार जर्जर भवनों की संख्या की बात की जाए तो टोटल पांच जोन में कोतवाली में 187, दशाश्वमेध में 143, आदमपुर में 18, भेलूपुर जोन 14 और वरुणापार जोन में 40 जर्जर भवन सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं. लेकिन इन जर्जर भवनों की वर्तमान स्थिति बहुत से सवाल खड़े करती है.
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जर्जर मकान

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इस मामले में नगर आयुक्त सुमित कुमार का कहना है कि सर्वे का काम पूरा हो गया है और जल्द ही इन भवनों को नोटिस जारी कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. लेकिन नगर निगम के इन सरकारी बयानों की कलई इन इलाकों में रहने वाले खोल रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीते कई सालों से यह भवन लोगों को डरा रहे हैं समय-समय पर इनसे ईंटा-पत्थर गिरता रहता है और बारिश के दिनों में इनके पास से गुजरने में भी डर लगता है. हालात ये हैं कि मेन रोड पर मौजूद जर्जर भवन रास्ते से गुजरने वाले लोगों के जीवन को संकट में डाल सकते हैं. वहीं, बहुत से ऐसे जर्जर भवन हैं, जिनमें अभी लोग रह रहे हैं.

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जर्जर मकान
दशाश्वमेध जोन में मौजूद 143 जर्जर भवनों में से अधिकांश में आपको लोग रहते दिखाई दे जाएंगे. मीरघाट, त्रिपुरा भैरवी इलाके में मौजूद जर्जर भवनों में किराएदार अभी बसे हुए हैं. फिर भी इनके खिलाफ कार्रवाई दूर की कौड़ी है. हालांकि नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी करने के बाद पिछले 2 सालों में 7 भवनों को गिराया जा चुका है. वहीं, 10 भवन ऐसे हैं, जिनकी मरम्मत शुरू की गई है. भवन मालिकों को यह स्पष्ट तौर पर कह दिया गया है कि अपने स्तर पर अपने जर्जर भवनों को लेकर अलर्ट हो जाएं. यदि नगर निगम उन्हें गिराने आएगा तो कोई बात नहीं. उन्होंने खुद अपने जर्जर भवन नहीं गिराया और सुरक्षित तरीके से भवन गिराए जाने के बाद उसके मलबे को नहीं हटवाया तो नगर निगम ध्वस्तीकरण में लगाई गई मशीनों के साथ मैन पावर और इसके मलबे को उठाने का खर्च भी मकान मालिकों से वसूलेगा. नगर निगम के दस्तावेज के मुताबिक जिन मकानों की आयु 60 वर्ष से अधिक होती है, उनके सर्वे और मरम्मत का निर्देश नगर निगम देता है. वहीं, जो भवन 100 साल से ज्यादा पुराने होते हैं उनकी परिस्थितियां देखकर नगर निगम आगे की कार्रवाई को संचालित करता है. लेकिन बनारस में ऐसे लगभग 400 से ज्यादा भवन हैं जो सैकड़ों साल पुराने हैं फिर भी नगर निगम सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही उलझा रहता है.

पढ़ेंः काशी के विद्वान तैयार करेंगे पुरोहित बोर्ड की नियमावली, सीएम योगी ने दी जिम्मेदारी

निगम के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इन भवनों को गिराए न जाने की एक बड़ी वजह यह होती है कि इन में रहने वाले बहुत से लोग पुराने किराएदार होते हैं, जो मकान खाली ही नहीं करना चाहते. साथ ही कार्रवाई के दौरान यह कोर्ट की शरण में चले जाते हैं. कोर्ट भी मामले में आदेश जारी कर देता है और ऐसा होने की वजह से निगम इस पर कोई एक्शन नहीं लेता है. फिर भी सवाल यह उठता है कि इन जर्जर भवनों में रहने वालों की जिंदगी के साथ क्षेत्र से गुजरने वाले लोगों की जान पर कोई खतरा बनता है, तो क्या नियमों की दुहाई दी जाएगी. या फिर इन जर्जर भवनों को हटाकर लोगों को बचाने की सच में कार्रवाई की जाएगी.

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वाराणसी: बारिश का महीना शुरू होने के साथ ही अक्सर जर्जर मकानों के गिरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. जर्जर मकान गिरने की वजह से एक तरफ जहां जान माल का नुकसान होता है, तो वहीं नगर निगम के क्रियाकलापों पर सवाल भी उठते हैं. पूरे साल भर इन जर्जर भवनों की स्थिति हर किसी को दिखाई देती है, लेकिन जिम्मेदार विभाग और नगर निगम का इन जर्जर मकानों की तरफ कोई ध्यान नहीं जाता. ऐसे में ये मकान बारिश के दिनों में लोगों की जान को संकट में डाल देते हैं.

बता दें, कि ऐसे ही एक दो नहीं बल्कि 400 से ज्यादा जर्जर मकान वाराणसी में अब भी मौजूद हैं. जिनके गिरने का डर इस बरसात में लोगों को सताने लगा है. साथ ही नगर निगम की इस कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं.

वाराणसी में जर्जर मकान
दरअसल, हर साल बारिश के दिनों में जर्जर मकानों के गिरने की खबर कहीं न कहीं से आ ही जाती है. खबर आने के बाद सरकारी आंकड़ों में इन जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर अपने क्रियाकलापों की इतिश्री कर ली जाती है. ऐसे ही 404 जर्जर भवन बनारस के अलग-अलग इलाकों में मौजूद हैं. जोनवार जर्जर भवनों की संख्या की बात की जाए तो टोटल पांच जोन में कोतवाली में 187, दशाश्वमेध में 143, आदमपुर में 18, भेलूपुर जोन 14 और वरुणापार जोन में 40 जर्जर भवन सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं. लेकिन इन जर्जर भवनों की वर्तमान स्थिति बहुत से सवाल खड़े करती है.
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इस मामले में नगर आयुक्त सुमित कुमार का कहना है कि सर्वे का काम पूरा हो गया है और जल्द ही इन भवनों को नोटिस जारी कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. लेकिन नगर निगम के इन सरकारी बयानों की कलई इन इलाकों में रहने वाले खोल रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीते कई सालों से यह भवन लोगों को डरा रहे हैं समय-समय पर इनसे ईंटा-पत्थर गिरता रहता है और बारिश के दिनों में इनके पास से गुजरने में भी डर लगता है. हालात ये हैं कि मेन रोड पर मौजूद जर्जर भवन रास्ते से गुजरने वाले लोगों के जीवन को संकट में डाल सकते हैं. वहीं, बहुत से ऐसे जर्जर भवन हैं, जिनमें अभी लोग रह रहे हैं.

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जर्जर मकान
दशाश्वमेध जोन में मौजूद 143 जर्जर भवनों में से अधिकांश में आपको लोग रहते दिखाई दे जाएंगे. मीरघाट, त्रिपुरा भैरवी इलाके में मौजूद जर्जर भवनों में किराएदार अभी बसे हुए हैं. फिर भी इनके खिलाफ कार्रवाई दूर की कौड़ी है. हालांकि नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी करने के बाद पिछले 2 सालों में 7 भवनों को गिराया जा चुका है. वहीं, 10 भवन ऐसे हैं, जिनकी मरम्मत शुरू की गई है. भवन मालिकों को यह स्पष्ट तौर पर कह दिया गया है कि अपने स्तर पर अपने जर्जर भवनों को लेकर अलर्ट हो जाएं. यदि नगर निगम उन्हें गिराने आएगा तो कोई बात नहीं. उन्होंने खुद अपने जर्जर भवन नहीं गिराया और सुरक्षित तरीके से भवन गिराए जाने के बाद उसके मलबे को नहीं हटवाया तो नगर निगम ध्वस्तीकरण में लगाई गई मशीनों के साथ मैन पावर और इसके मलबे को उठाने का खर्च भी मकान मालिकों से वसूलेगा. नगर निगम के दस्तावेज के मुताबिक जिन मकानों की आयु 60 वर्ष से अधिक होती है, उनके सर्वे और मरम्मत का निर्देश नगर निगम देता है. वहीं, जो भवन 100 साल से ज्यादा पुराने होते हैं उनकी परिस्थितियां देखकर नगर निगम आगे की कार्रवाई को संचालित करता है. लेकिन बनारस में ऐसे लगभग 400 से ज्यादा भवन हैं जो सैकड़ों साल पुराने हैं फिर भी नगर निगम सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही उलझा रहता है.

पढ़ेंः काशी के विद्वान तैयार करेंगे पुरोहित बोर्ड की नियमावली, सीएम योगी ने दी जिम्मेदारी

निगम के अधिकारियों का यह भी कहना है कि इन भवनों को गिराए न जाने की एक बड़ी वजह यह होती है कि इन में रहने वाले बहुत से लोग पुराने किराएदार होते हैं, जो मकान खाली ही नहीं करना चाहते. साथ ही कार्रवाई के दौरान यह कोर्ट की शरण में चले जाते हैं. कोर्ट भी मामले में आदेश जारी कर देता है और ऐसा होने की वजह से निगम इस पर कोई एक्शन नहीं लेता है. फिर भी सवाल यह उठता है कि इन जर्जर भवनों में रहने वालों की जिंदगी के साथ क्षेत्र से गुजरने वाले लोगों की जान पर कोई खतरा बनता है, तो क्या नियमों की दुहाई दी जाएगी. या फिर इन जर्जर भवनों को हटाकर लोगों को बचाने की सच में कार्रवाई की जाएगी.

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