वाराणसी : कहते हैं काशी में उनको ही वास मिलता है जिनका पुण्य पिछले जन्मों में ज्यादा होता है. काशी वास के लिए देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. काश्यां मरणात् मुक्ति को चरितार्थ करने के लिए लोग काशी वास करते हैं. ऐसी मान्यता है कि काशी में मृत्यु से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि यहां मृत्यु के उपरांत खुद भगवान शिव मणिकर्णिका घाट पर जीव को तारक मंत्र देते हैं. इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि पुरातन समय से ही काशी में बहुत से ऐसे केंद्र मौजूद हैं जो मोक्ष प्रदान करने के लिए संचालित किए जाते हैं. जहां जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके लोग मृत्यु की इच्छा लेकर यहीं पर वास करते हैं. ऐसा ही एक स्थान वाराणसी के विश्वनाथ धाम परिसर में भी बीते वर्ष शुरू किया गया है. इसे मुमुक्षु भवन के नाम से जाना जाता है. अब तक यहां पर काफी लोगों ने काशी वास करते हुए मुक्ति की राह पकड़ी है.
मणिकर्णिका घाट के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन का भी निर्माण कराया है. यहां बीमार, आसक्त बुजुर्गों की सेवा निशुल्क की जाती है. तीन मंजिला इस भवन में 40 बेड हैं. काशी में मुमुक्षु भवन का काफी पौराणिक महत्व है. मुमुक्ष भवन को संचालित करने वाली तारा संस्था के मैनेजर कोमुदी कांत आम्टे ने बताया कि यहां 41 वृद्ध प्रवास कर रहे थे, इसमें 3 से बुजुर्गों को काशी विश्वनाथ धाम के मुमुक्ष भवन से मुक्ति मिली है. मुमुक्षु भवन में एक बार में करीब एक महीने तक रहने की व्यवस्था दी जाती है. यहां रहना-खाना सभी चीजे नि:शुल्क होती हैं. काशीवास करने आए वृद्धजन यहां नियमित कीर्तन-भजन और बाबा के दर्शन करते हैं.
मैनेजर ने बताया कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में तीन मंजिल का मुमुक्षु भवन बना है. यह इमारत पूर्व दिशा में गंगा की तरफ बढ़ने पर मंदिर चौक के बाद है. बुकिंग बिल्कुल फ्री है. श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण से श्रद्धालुओं को बाबा का सुगम दर्शन होने लगा है. साथ ही धाम में धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक गतिविधियों के लिए कई भवनों का निर्माण हुआ है, जिसकी अलग-अलग धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक उपयोगिता है.
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