वाराणसीः पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर केंद्र सरकार की बराबर नजर बनी हुई है. पिछले दिनों प्रदूषण के मामले में देश में इस शहर का नाम पहले नंबर पर आया था. यहां पर वायु प्रदूषण का लेवल 350 के पार पहुंच गया था. लगातार चल रहे डेवलपमेंट वर्क की वजह से वाराणसी में प्रदूषण का स्तर बिगड़ रहा है. इसकी निगरानी करने की विशेष व्यवस्था न होने से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी काफी दिक्कतें आ रही हैं. लेकिन अब इन दिक्कतों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की स्कीम के तहत बनारस की आबोहवा की निगरानी हर इलाके में करने की तैयारी हुई है. जिसके लिए करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये की लागत से हाईटेक मशीनें लगने जा रही हैं. जो वाराणसी की आबोहवा को हर इलाके में चेक करेगी. जिसके बाद समय-समय पर इसकी रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
अभी लगी है सिर्फ एक मशीन और पांच मैनुअल
दरअसल, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी में प्रदूषण के मामले की निगरानी लगातार कर रहा है. वायु प्रदूषण का बिगड़ रहा स्तर प्रदूषण बोर्ड को भी परेशानी में डालता रहा है. अगर बीते 1 सप्ताह की बात की जाए, तो बनारस में प्रदूषण का स्तर लगातार 200 से 300 के बीच बना हुआ है. आज भी वाराणसी में एक्यूआई लेवल 293 रिकॉर्ड किया गया है, जो निर्धारित मानक से कहीं ज्यादा है. वाराणसी ऑरेंज जोन में चल रहा है. ग्रीन, येलो, ऑरेंज और रेड जोन एक्यूआई के मामले में गंभीरता को दर्शाते हैं. यदि एडवांस पॉल्यूशन मॉनिटरिंग मशीन की बात की जाए, तो सिर्फ एक मशीन अर्दली बाजार क्षेत्र में वरुणा पार लगाई गई है, जो एडवांस और हाईटेक है. लेकिन इससे सिर्फ अर्दली बाजार और इसके 10 से 12 किलोमीटर की परिधि के प्रदूषण की ही निगरानी हो पाती है. जबकि पांच मैनुअल मशीन है, जो एडवांस नहीं है. ये सब शहर के अलग-अलग इलाकों में लगी हैं, और सही तरह से काम भी नहीं करती हैं. जिसकी वजह से अब इनकी जगह हाईटेक मशीनें लगाये जाने की तैयारी शुरू हुई है.
स्कूल कैंपस में होंगी स्थापित
वाराणसी में पॉल्यूशन के लेबल की निगरानी करने के लिए हाईटेक मशीनें शहर के तीन स्कूल कैंपस में लगाई जाएंगी. इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर कालिका सिंह का कहना है कि बनारस में एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज, क्वींस कॉलेज और डीएवी कॉलेज में इन तीन हाईटेक एडवांस पॉल्यूशन ऑपरेटिंग मशीनों को लगाया जाएगा.
ऐसे होगा कंट्रोल
रीजनल ऑफिसर कालिका सिंह का कहना है कि ये मशीनें न सिर्फ बनारस में बढ़ रहे प्रदूषण की निगरानी करेंगी, बल्कि हाई रिस्क होने पर फौरन विभाग को अलर्ट भी कर देंगी. इससे संबंधित क्षेत्र का डाटा कलेक्ट कर वहां पॉल्यूशन के लेवल को कंट्रोल कर शहर के बाकी बिगड़ रहे पॉल्यूशन की निगरानी और उसे कंट्रोल करने में भी आसानी हो जाएगी. इन मशीनों की खरीद का प्रोसेस पूरा हो चुका है, और फरवरी के आखिरी या मार्च के पहले सप्ताह तक ये मशीनें शहर के 3 अलग-अलग इलाकों में लगा दी जायेंगी.
डेवलपमेंट वर्क से भी बढ़ रही परेशानी
इन मशीनों के लगने के बाद बनारस में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकेगा, क्योंकि डेवलपमेंट वर्क की वजह से लगातार पॉल्यूशन का स्तर बिगड़ रहा है. इसकी निगरानी के लिए अलग-अलग तरीके भी अपनाए जा रहे हैं. लेकिन हाईटेक और एडवांस तकनीक न होने की वजह से दिक्कतें आ रही हैं, जो जल्द ही दूर हो जायेंगी. बनारस में बढ़ रहा प्रदूषण कंट्रोल में किया जा सकेगा.