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11 NDRF वाहिनी ने 5 वर्षों में विभिन्न आपदाओं में बचाई कइयों की जान

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Published : Jul 24, 2021, 9:03 AM IST

11 एनडीआरएफ वाहिनी वाराणसी (11 NDRF Vahini Varanasi) को उत्तर प्रदेश के 57 जिलों और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में आपदा प्रबंधन एवं राहत बचाव कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई. 11 एनडीआरएफ वाहिनी (11 NDRF Vahini) के राहत बचाव कार्य का सहज और सुचारू रूप से हो सके, उसके लिए लखनऊ, गोरखपुर और भोपाल में क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की गई.

11 एनडीआरएफ वाहिनी वाराणसी.
11 एनडीआरएफ वाहिनी वाराणसी.

वाराणसीः 11 एनडीआरएफ का गठन 15 सितंबर 2015 को हुआ था. जिसका वाहिनी मुख्यालय गौतम बुद्ध भवन चौकाघाट वाराणसी में स्थापित किया गया. 11 एनडीआरएफ वाहिनी वाराणसी (11 NDRF Vahini Varanasi) को उत्तर प्रदेश के 57 जिलों और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में आपदा प्रबंधन एवं राहत बचाव कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई. 11 एनडीआरएफ वाहिनी के राहत एवं बचाव कार्य का सहज और सुचारू रूप से हो सके, उसके लिए लखनऊ, गोरखपुर और भोपाल में क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की गई. जहां से एनडीआरएफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अपने कार्य क्षेत्र में प्रभावी तरीके से आपदा बचाव के कार्य की जिम्मेदारियां निभा सके. वहीं वाहिनी में कुल 18 टीमें हैं जो हर प्रकार की प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदा से निपटने के लिए सक्षम है.

आपको बता दें कि एनडीआरएफ विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करती है. जैसे MFR- मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर, जिसमें घटनास्थल पर ही घायलों को प्राथमिक उपचार दिया जाता है.

CSR- कोलेप्स स्ट्रक्चर सर्च एंड रेस्क्यू, इसके तहत टीम ध्वस्त ढांचों एवं इमारतों में बचाव कार्य करती है.

CBRN- केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर संबंधित आपदाओं में टीम बचाव कार्य करती है.

ROPE RESCUE- इसके अंदर टीम ऊंची इमारतों, नदियों के बीच पुल बनाने, पहाड़, दुर्गम इलाकों में रस्सियों के माध्यम से बचाव कार्य करती है.

FLOOD RESCUE AND WATER EMERGENCY- इसके अंतर्गत टीम बाढ़ आपदा प्रबंधन और राहत बचाव का कार्य करती है.

जानकारी देते अधिकारी.

11 एनडीआरएफ वाराणसी के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक एवं मानव कृत आपदा में हमारे बल के जवान दक्षता पूर्ण तरीके से कार्य करते हैं. इन्हीं सब आपदाओं से संबंधित बचाव उपकरणों को प्रदर्शनी के माध्यम से हॉल में दर्शाया गया है. 11 एनडीआरएफ वाराणसी ने इन 5 सालों में विभिन्न आपदाओं एवं राहत बचाव कार्यों में अनेकों बहुमूल्य जीवन को बचाया है. जिनमें मुख्य बचाव एवं राहत अभियान है 2016 में उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ महाकुंभ, जिसमें 16 लोगों का जीवन बचाया गया.

इसे भी पढे़ें- NDRF-SDRF की तकनीक नाकाम, 'देसी जुगाड़' से बची मासूम की जान

इसी प्रकार पुखराया- कानपुर ट्रेन हादसा 2016 में 55 लोगों को जीवित और 74 मृत व्यक्तियों को कड़ी मशक्कत और लंबे बचाव अभियान के बाद निकाला गया. ऐसे ही 2016, 2017 और 2019 में आई भीषण बाढ़ में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में अनेकों लोगों को बचाया और सुरक्षित स्थान पहुंचाया गया. वहीं 11 एनडीआरएफ वाराणसी की टीमें चक्रवाती तूफानों में भी राहत बचाव के कार्य करती हैं.

फेनी चक्रवात- ओडिशा और यास चक्रवात पश्चिम बंगाल में टीमों ने लोगों को चक्रवात संभावित क्षेत्रों से सुरक्षित निकालकर साइक्लोन शेल्टर तक पहुंचाया और इसके साथ ही बाधित यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए बड़े-बड़े वृक्षों को काटकर हटाया और बिजली व्यवस्था को पुनः स्थापित करने में प्रशासन को सहयोग किया. वहीं 11 एनडीआरएफ वाराणसी के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि सावन को लेकर भी हमारी तैयारियां पूरी हैं. एक टीम घाट पर हमेशा रहती है. एक और विशेष टीम हमने बनाई है जो घाटों पर चिकित्सीय उपकरणों और डूबने की घटनाओं से बचाने के लिए जैसे उपकरणों के साथ वहां मौजूद रहेगी.

वाराणसीः 11 एनडीआरएफ का गठन 15 सितंबर 2015 को हुआ था. जिसका वाहिनी मुख्यालय गौतम बुद्ध भवन चौकाघाट वाराणसी में स्थापित किया गया. 11 एनडीआरएफ वाहिनी वाराणसी (11 NDRF Vahini Varanasi) को उत्तर प्रदेश के 57 जिलों और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में आपदा प्रबंधन एवं राहत बचाव कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई. 11 एनडीआरएफ वाहिनी के राहत एवं बचाव कार्य का सहज और सुचारू रूप से हो सके, उसके लिए लखनऊ, गोरखपुर और भोपाल में क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की गई. जहां से एनडीआरएफ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अपने कार्य क्षेत्र में प्रभावी तरीके से आपदा बचाव के कार्य की जिम्मेदारियां निभा सके. वहीं वाहिनी में कुल 18 टीमें हैं जो हर प्रकार की प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदा से निपटने के लिए सक्षम है.

आपको बता दें कि एनडीआरएफ विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करती है. जैसे MFR- मेडिकल फर्स्ट रिस्पांडर, जिसमें घटनास्थल पर ही घायलों को प्राथमिक उपचार दिया जाता है.

CSR- कोलेप्स स्ट्रक्चर सर्च एंड रेस्क्यू, इसके तहत टीम ध्वस्त ढांचों एवं इमारतों में बचाव कार्य करती है.

CBRN- केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर संबंधित आपदाओं में टीम बचाव कार्य करती है.

ROPE RESCUE- इसके अंदर टीम ऊंची इमारतों, नदियों के बीच पुल बनाने, पहाड़, दुर्गम इलाकों में रस्सियों के माध्यम से बचाव कार्य करती है.

FLOOD RESCUE AND WATER EMERGENCY- इसके अंतर्गत टीम बाढ़ आपदा प्रबंधन और राहत बचाव का कार्य करती है.

जानकारी देते अधिकारी.

11 एनडीआरएफ वाराणसी के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक एवं मानव कृत आपदा में हमारे बल के जवान दक्षता पूर्ण तरीके से कार्य करते हैं. इन्हीं सब आपदाओं से संबंधित बचाव उपकरणों को प्रदर्शनी के माध्यम से हॉल में दर्शाया गया है. 11 एनडीआरएफ वाराणसी ने इन 5 सालों में विभिन्न आपदाओं एवं राहत बचाव कार्यों में अनेकों बहुमूल्य जीवन को बचाया है. जिनमें मुख्य बचाव एवं राहत अभियान है 2016 में उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ महाकुंभ, जिसमें 16 लोगों का जीवन बचाया गया.

इसे भी पढे़ें- NDRF-SDRF की तकनीक नाकाम, 'देसी जुगाड़' से बची मासूम की जान

इसी प्रकार पुखराया- कानपुर ट्रेन हादसा 2016 में 55 लोगों को जीवित और 74 मृत व्यक्तियों को कड़ी मशक्कत और लंबे बचाव अभियान के बाद निकाला गया. ऐसे ही 2016, 2017 और 2019 में आई भीषण बाढ़ में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में अनेकों लोगों को बचाया और सुरक्षित स्थान पहुंचाया गया. वहीं 11 एनडीआरएफ वाराणसी की टीमें चक्रवाती तूफानों में भी राहत बचाव के कार्य करती हैं.

फेनी चक्रवात- ओडिशा और यास चक्रवात पश्चिम बंगाल में टीमों ने लोगों को चक्रवात संभावित क्षेत्रों से सुरक्षित निकालकर साइक्लोन शेल्टर तक पहुंचाया और इसके साथ ही बाधित यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए बड़े-बड़े वृक्षों को काटकर हटाया और बिजली व्यवस्था को पुनः स्थापित करने में प्रशासन को सहयोग किया. वहीं 11 एनडीआरएफ वाराणसी के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि सावन को लेकर भी हमारी तैयारियां पूरी हैं. एक टीम घाट पर हमेशा रहती है. एक और विशेष टीम हमने बनाई है जो घाटों पर चिकित्सीय उपकरणों और डूबने की घटनाओं से बचाने के लिए जैसे उपकरणों के साथ वहां मौजूद रहेगी.

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