वाराणसी: चोलापुर विकासखंड के लक्ष्मीसेनपुर ग्रामसभा में गोमती के तट के किनारे बसा हुआ है. अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण को लेकर एक अनोखा अनुष्ठान किया जा रहा है. इसमें 1008 आठ बार संपूर्ण रामायण पाठ किया जाना है. इस रामायण पाठ में करीब 7 साल से ज्यादा का समय लगेगा. यह गांव बनारस का अंतिम गांव भी माना जाता है जो गाजीपुर बॉर्डर से सटा हुआ है. चोलापुर विकासखंड स्थित लक्ष्मी सेनपुर गांव में हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत साहू दास महाराज ने अयोध्या राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 1008 बार संपूर्ण रामायण का पाठ करने का संकल्प लिया.
1008 बार संपूर्ण रामायण का संकल्प
महंत के संकल्प के बाद गांव के लोगों ने भी उनका साथ देना शुरू किया. मंदिर के महंत साहू दास महाराज के संकल्प के बाद गांव में रामायण पाठ मंदिर के प्रांगण में शुरू हुआ. रामायण पाठ में गांव के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं. यह आयोजन 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन से शुरू हुआ है. इसे संपन्न होने में करीब 7 साल से ज्यादा का समय लगेगा.
रामचरित मानस का पाठ करते हुए जय श्रीराम के टोंक लेना
रामचरित मानस रामायण का पाठ करने वाले चंदन ने बताया कि इसमें रामचरित चौपाई के साथ-साथ जय श्रीराम के टोंक लेते हुए संपूर्ण रामायण की व्यवस्था शुरू की गई है. उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन साल पहले 108 बार संपूर्ण रामायण का पाठ किया था. जिसमें उनके ग्राम समाज के सभी मित्रगण-सदस्यगण लोगों ने तत्परता से सहयोग दिया. सभी लोगों ने अपना समय देकर एक साल में संपन्न किया था. उस चीज को लेकर उन्होंने आगे की व्यवस्था की.
व्हाट्सएप्प ग्रुप संचलान से मिलती है मदद
चंदन ने बताया कि उनके गांव में एक ग्रुप संचालन होता है. जिसमें सभी मित्रों से अनुरोध किया जाता है कि वह अपना अमूल्य समय, जो सहयोग राशि प्रदान करना चाहें वह प्रदान कर सकते हैं. उसी सहयोग राशि से पुराने माइक को रिप्लेस कर नए माइक की व्यवस्था की गई है. अखंड दीप प्रज्वलन के लिए गांव के एक व्यक्ति ने तेल की व्यवस्था की है. इस तरह से उन्होंने एक अच्छी प्लानिंग कर रखी है. इस रामायण पाठ में सबका अपना समय निर्धारित है. कोई व्यक्ति सुबह तो कोई शाम में अपना योगदान देता है. जिससे वह खंड रामायण पाठ को सुचारु रुप से चलाने का कार्य करते हैं.
7 साल से ज्यादा का लगेगा समय
रामचरितमानस के पाठ में सिर्फ गांव के ही लोग शामिल नहीं होते बल्कि इसमें गाजीपुर-वाराणसी के लोग भी शामिल होते हैं. महंत ने बताया कि इस रामायण पाठ में किसी व्यक्ति की कमी नहीं है. महंत ने बताया कि इस रामायण पाठ को करने में 7 साल से ज्यादा का समय लगेगा.