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ग्रामीणों को लगी 'विकास की आस', नहीं मिल रहा सुविधाओं का लाभ

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में कई गांवों में लोग विकास से कोसों दूर हैं. यहां ग्रामीणों को यह भी नहीं पता कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं कब तक मिल पाएंगी. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने आवेदन तो कई बार किया है, लेकिन उनकी बातों को टाल दिया जाता है. ऐसे में एक बार फिर से ग्राम प्रधान पद के लिए चुनाव होने वाला है, लेकिन इन ग्रामीणों की आंखों में पनपा विकास का सपना अभी भी अधूरा ही है.

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Published : Jan 2, 2021, 1:52 PM IST

विकास की आस
विकास की आस

उन्नाव: प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की ओर से जहां गांवों के विकास की ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं आज भी कुछ गांव ऐसे हैं, जहां ग्राम प्रधानों द्वारा पूरे 5 वर्षों में कोई विकास कार्य नहीं कराया गया. इसका एक उदाहरण नवाबगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत निबहरी के मजरे मढ़ीयामऊ है. यहां के निवासी आज भी नरकीय जीवन जीने को विवश हैं. विकास मानो इस गांव का रास्ता भूल गया हो.

विकास की राह देखने को मजबूर ग्रामीण.

बता दें कि नवाबगंज विकास खंड की विकास योजनाओं का लोकार्पण सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. शायद इससे ही प्रदेश सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग यह समझ रहे होंगे कि विकास के मामले में इस विकास खंड के गांव सबसे आगे हैं. लेकिन मौके पर जाकर देखा जाए तो लखनऊ-कानपुर राजमार्ग पर सोहरामऊ से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत निबहरी के मजरे मढ़ीयामऊ के निवासी आज भी नरकीय जीवन जीने को विवश हैं. ग्राम प्रधानों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया, लेकिन यहां के निवासियों को न तो प्रधानमंत्री आवास मिला और न ही शौचालय, नाली और खडंजा का निर्माण कराया गया. इससे ग्रामीण फूस की झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं.

गरीबों को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास का लाभ

मढ़ियामऊ गांव के रहने वाले सरवन कश्यप ने बताया कि उनके 5 बच्चे हैं. उनका घर कच्चा है. उन्होंने ग्राम प्रधान से कई बार प्रधानमंत्री आवास के लिए कहा. वहीं ग्राम प्रधान उन्हें आज-कल कहकर आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आवास नहीं मिल रहा. इसी गांव की बन्नो देवी ने बताया कि उनका बेटा ऑटो चलाता है. उनके पास घर नहीं है, वह फूस का छप्पर बनाकर उसके नीचे रहने को मजबूर हैं. उन्होंने प्रधान से आवास के लिए निवेदन किया. इसपर प्रधान ने सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन आज तक आवास नहीं मिला है.

इसी गांव की रहने वाली सरोज ने बताया कि उन्होंने खुद प्रधान से अपने आवास के लिए निवेदन किया, लेकिन प्रधान ने उन्हें आवास नहीं दिया. उन्होंने बताया कि गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है, सिर्फ शौचालय बनाए गए हैं. घर के बाहर फूस का छप्पर और कच्ची दीवारों की बीच रहने वाली गुड्डी देवी ने बताया कि उनके पास जमीन नहीं है. वह किसी तरीके से मजदूरी करके अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं. जब मजदूरी करते हैं, तब पैसा मिलता है. मजदूरी न करने पर कोई सहायता नहीं करता. उन्होंने अपने आवास के लिए प्रधान से कहा है, लेकिन प्रधान ने आश्वासन देकर उन्हें भी चलता कर दिया.

बोलने से बचते अधिकारी

दिव्यांग शंकर ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ फूस की झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. प्रधानमंत्री आवास के लिए उन्होंने कई बार विकास खंड कार्यालय जाकर प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री आवास नहीं मिल सका. शंकर ने ग्राम प्रधान पर कुछ जाति विशेष के लोगों को ही लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के प्रधान ने कुछ लोगों को ही आवास और अन्य सुविधाएं दी हैं. ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर जब खंड विकास अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया.

अभी भी अधूरी पड़ी ख्वाहिशें

इस गांव में कई ऐसे लोग हैं, जिनके घर पर फूस का छप्पर पड़ा है. उनके पास न ही कोई आय का साधन है और न ही कोई रोजगार. यह सभी लोग प्रधान से अपने आवास के लिए निवेदन कर चुके हैं, लेकिन ग्राम प्रधान ने इन सभी ग्रामीणों को दिया है तो सिर्फ आश्वासन. ऐसे में अब ग्राम प्रधानों का 5 साल का कार्यकाल भी पूरा हो गया है. एक बार फिर से ग्राम सभाओं में चुनावी बिगुल बजने वाला है, लेकिन इन ग्रामीणों की ख्वाहिशें अभी भी अधूरी ही हैं.

उन्नाव: प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की ओर से जहां गांवों के विकास की ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं आज भी कुछ गांव ऐसे हैं, जहां ग्राम प्रधानों द्वारा पूरे 5 वर्षों में कोई विकास कार्य नहीं कराया गया. इसका एक उदाहरण नवाबगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत निबहरी के मजरे मढ़ीयामऊ है. यहां के निवासी आज भी नरकीय जीवन जीने को विवश हैं. विकास मानो इस गांव का रास्ता भूल गया हो.

विकास की राह देखने को मजबूर ग्रामीण.

बता दें कि नवाबगंज विकास खंड की विकास योजनाओं का लोकार्पण सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. शायद इससे ही प्रदेश सरकार में बैठे जिम्मेदार लोग यह समझ रहे होंगे कि विकास के मामले में इस विकास खंड के गांव सबसे आगे हैं. लेकिन मौके पर जाकर देखा जाए तो लखनऊ-कानपुर राजमार्ग पर सोहरामऊ से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत निबहरी के मजरे मढ़ीयामऊ के निवासी आज भी नरकीय जीवन जीने को विवश हैं. ग्राम प्रधानों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया, लेकिन यहां के निवासियों को न तो प्रधानमंत्री आवास मिला और न ही शौचालय, नाली और खडंजा का निर्माण कराया गया. इससे ग्रामीण फूस की झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं.

गरीबों को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास का लाभ

मढ़ियामऊ गांव के रहने वाले सरवन कश्यप ने बताया कि उनके 5 बच्चे हैं. उनका घर कच्चा है. उन्होंने ग्राम प्रधान से कई बार प्रधानमंत्री आवास के लिए कहा. वहीं ग्राम प्रधान उन्हें आज-कल कहकर आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन उन्हें आवास नहीं मिल रहा. इसी गांव की बन्नो देवी ने बताया कि उनका बेटा ऑटो चलाता है. उनके पास घर नहीं है, वह फूस का छप्पर बनाकर उसके नीचे रहने को मजबूर हैं. उन्होंने प्रधान से आवास के लिए निवेदन किया. इसपर प्रधान ने सिर्फ आश्वासन दिया, लेकिन आज तक आवास नहीं मिला है.

इसी गांव की रहने वाली सरोज ने बताया कि उन्होंने खुद प्रधान से अपने आवास के लिए निवेदन किया, लेकिन प्रधान ने उन्हें आवास नहीं दिया. उन्होंने बताया कि गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है, सिर्फ शौचालय बनाए गए हैं. घर के बाहर फूस का छप्पर और कच्ची दीवारों की बीच रहने वाली गुड्डी देवी ने बताया कि उनके पास जमीन नहीं है. वह किसी तरीके से मजदूरी करके अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं. जब मजदूरी करते हैं, तब पैसा मिलता है. मजदूरी न करने पर कोई सहायता नहीं करता. उन्होंने अपने आवास के लिए प्रधान से कहा है, लेकिन प्रधान ने आश्वासन देकर उन्हें भी चलता कर दिया.

बोलने से बचते अधिकारी

दिव्यांग शंकर ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ फूस की झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. प्रधानमंत्री आवास के लिए उन्होंने कई बार विकास खंड कार्यालय जाकर प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री आवास नहीं मिल सका. शंकर ने ग्राम प्रधान पर कुछ जाति विशेष के लोगों को ही लाभ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां के प्रधान ने कुछ लोगों को ही आवास और अन्य सुविधाएं दी हैं. ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर जब खंड विकास अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया.

अभी भी अधूरी पड़ी ख्वाहिशें

इस गांव में कई ऐसे लोग हैं, जिनके घर पर फूस का छप्पर पड़ा है. उनके पास न ही कोई आय का साधन है और न ही कोई रोजगार. यह सभी लोग प्रधान से अपने आवास के लिए निवेदन कर चुके हैं, लेकिन ग्राम प्रधान ने इन सभी ग्रामीणों को दिया है तो सिर्फ आश्वासन. ऐसे में अब ग्राम प्रधानों का 5 साल का कार्यकाल भी पूरा हो गया है. एक बार फिर से ग्राम सभाओं में चुनावी बिगुल बजने वाला है, लेकिन इन ग्रामीणों की ख्वाहिशें अभी भी अधूरी ही हैं.

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