उन्नाव: महिला अपराधों की सूची में सबसे पहले जो नाम याद आता है, वो उन्नाव है. ये कहना जरा भी गलत नहीं होगा कि बीते साल उन्नाव सुर्खियों में बना रहा तो महिला उत्पीड़न की वजह से. बीते साल जो रजिस्टर्ड आंकड़े सामने आए वो बेहद चौंकाने वाले थे. जिले में 19 महिलाओं की हत्या, 60 का बलात्कार, 210 का शीलभंग, 267 का अपहरण, 5 के साथ छेड़खानी, महिला उत्पीड़न के 308 मामले और दहेज मृत्यु के 52 मामले दर्ज हुए.
साल 2012 में निर्भया कांड के बाद सरकार द्वारा सभी जिलों की पीड़ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर खोले जाने के आदेश दिए गए. इसी के तहत अगस्त 2019 में जिला अस्पताल में महिला कल्याण विभाग ने एक परिसर किराए पर लिया. यहां वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत हुई. कहने के लिए तो वन स्टॉप सेंटर खुल गया, लेकिन 5 बेड वाले इस वन स्टॉप सेंट में प्रशिक्षण देने की कोई व्यवस्था नहीं है.
वैसे तो काउंसलर, मनोवैज्ञानिक समेत 14 महिलाओं का स्टाफ यहां नियुक्त किया गया है ताकि वे महिलाओं की काउंसलिंग कर सकें. फिलहाल, सेंटर में एक भी पीड़ित महिला मौजूद नहीं है. सुरक्षा के लिहाज से यहां एक पुलिस चौकी भी बनाई गई है. महिला सब इंस्पेक्टर समेत 2 महिला सिपाहियों की इस चौकी में तैनाती भी है.
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अगस्त 2019 में अब तक यहां 900 केस आ चुके है, जिसमें 33 आवासीय महिलाओं की काउंसलिंग की गई. सेंटर की प्रबंधक ज्योति मिश्रा की माने तो यहां आने वाली पीड़ित महिलाओं और भटकी हुई युवतियों को काउंसलिंग के जरिये मोटिवेट किया जाता है.