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लापरवाह अधिकारियों के चलते बैनरों और पोस्टरों में सिमटा 'टीबी मुक्त भारत अभियान'

केंद्र सरकार ने देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन उन्नाव जिला इन योजनाओं पर पानी फेर रहा है. दरअसल अधिकारियों की लापरवाही के चलते जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में बढ़कर 4 हजार से अधिक हो गई है.

टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी.
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Published : Nov 14, 2019, 2:35 PM IST

उन्नाव: देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार संजीदा हो और अभियान चलाकर पोलियो की तरह टीबी को भी खत्म करने की कवायद कर रही हो, लेकिन जिले में यह अभियान सिर्फ बैनरों और पोस्टरों तक ही सिमट कर रह गया है, जिसकी वजह से लगातार टीबी के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है. यही नहीं इलाज न मिल पाने की वजह से लोग जानलेवा बीमारियों से भी ग्रसित हो रहे हैं.

टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी.

अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा सरकारी आकड़ों से भी लगाया जा सकता है क्योंकि इन आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से अधिक है, जिसमें कुछ मरीज रेड जोन को भी क्रॉस कर चुके हैं. वहीं कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें एचआईवी ने भी अपनी चपेट में ले रखा हैं.

टीबी के मरीजों में इजाफा
जिले में टीबी मुक्त भारत अभियान लापरवाह अधिकारियों की भेंट चढ़ कर रह गया है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के सख्त आदेश के बावजूद लापरवाह अधिकारियों की कान में जूं तक नही रेंग रही है, जिसकी वजह से आलम यह है कि जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में सिमटें
वहीं गांव-गांव में कैम्प लगाकर मरीजों को दवा वितरण करने की बजाय अधिकारी सिर्फ कागजों पर आकड़ों को दुरुस्त करते नजर आ रहे है और सरकार की यह योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में ही सिमटकर रह गई है. अगर सरकारी आकड़ों की बात करे तो वह भी बेहद चौकाने वाले हैं क्योंकि आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से भी अधिक हो गई है.

टीबी के 4800 मरीज चिन्हित
क्षय रोग अधिकारी नरेंद्र सिंह की माने तो जिले में टीबी के 4800 मरीजों को चिन्हित किया गया है, जिसमें 325 मरीजों ऐसे है जिनका इलाज मुश्किल है इसलिए उन्हें एमडीआर की श्रेणी में रखा गया है. वहीं 8 मरीज ऐसे है जिनका इलाज बहुत मुश्किल है, उन्हें एसडीआर की श्रेणी में रखा गया है. यहीं नहीं इन मरीजों में 23 मरीज ऐसे भी जो एचआईवी से ग्रसित पाए गए है.

इसे भी पढ़ें- टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये बच्चों को लें गोद: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

उन्नाव: देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार संजीदा हो और अभियान चलाकर पोलियो की तरह टीबी को भी खत्म करने की कवायद कर रही हो, लेकिन जिले में यह अभियान सिर्फ बैनरों और पोस्टरों तक ही सिमट कर रह गया है, जिसकी वजह से लगातार टीबी के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है. यही नहीं इलाज न मिल पाने की वजह से लोग जानलेवा बीमारियों से भी ग्रसित हो रहे हैं.

टीबी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी.

अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा सरकारी आकड़ों से भी लगाया जा सकता है क्योंकि इन आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से अधिक है, जिसमें कुछ मरीज रेड जोन को भी क्रॉस कर चुके हैं. वहीं कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें एचआईवी ने भी अपनी चपेट में ले रखा हैं.

टीबी के मरीजों में इजाफा
जिले में टीबी मुक्त भारत अभियान लापरवाह अधिकारियों की भेंट चढ़ कर रह गया है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के सख्त आदेश के बावजूद लापरवाह अधिकारियों की कान में जूं तक नही रेंग रही है, जिसकी वजह से आलम यह है कि जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में सिमटें
वहीं गांव-गांव में कैम्प लगाकर मरीजों को दवा वितरण करने की बजाय अधिकारी सिर्फ कागजों पर आकड़ों को दुरुस्त करते नजर आ रहे है और सरकार की यह योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में ही सिमटकर रह गई है. अगर सरकारी आकड़ों की बात करे तो वह भी बेहद चौकाने वाले हैं क्योंकि आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से भी अधिक हो गई है.

टीबी के 4800 मरीज चिन्हित
क्षय रोग अधिकारी नरेंद्र सिंह की माने तो जिले में टीबी के 4800 मरीजों को चिन्हित किया गया है, जिसमें 325 मरीजों ऐसे है जिनका इलाज मुश्किल है इसलिए उन्हें एमडीआर की श्रेणी में रखा गया है. वहीं 8 मरीज ऐसे है जिनका इलाज बहुत मुश्किल है, उन्हें एसडीआर की श्रेणी में रखा गया है. यहीं नहीं इन मरीजों में 23 मरीज ऐसे भी जो एचआईवी से ग्रसित पाए गए है.

इसे भी पढ़ें- टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये बच्चों को लें गोद: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Intro:उन्नाव:-देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार संजीदा हो और अभियान चलाकर पोलियो की तरह टीबी को भी खत्म करने की कवायद की जा रही हो लेकिन उन्नाव में ये अभियान सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में ही सिमट कर रह गया है जिसकी वजह से लगातार टीबी के मरीजो में इजाफा हो रहा है यही नही इलाज ना मिल पाने की वजह से लोग जानलेवा बीमारियों तक से ग्रसित हो रहे है लापरवाह अधिकारियों की लापरवाही का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता कि जिले में अगर सरकारी आकड़ो पर गौर फरमाएं तो 4 हज़ार से ऊपर टीबी के मरीजो की संख्या है जिसमे कई रेड जोन को भी क्रॉस कर चुके है वही कई ऐसे भी मरीज है जिन्हें एच आई वी ने भी अपनी चपेट में ले लिया है वही अधिकारी है कि सिर्फ आकड़ो की जादूगरी बताने में ही व्यस्त है।











Body:उन्नाव में टीबी मुक्त भारत अभियान लापरवाह अधिकारियों की भेंट चढ़ गई है केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के सख्त आदेश के बावजूद लापरवाह अधिकारियों की कान में जू तक नही रेंग रहा है जिसकी वजह से हालात ये है कि जिले में टीबी मरीजो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है गांव गांव में कैम्प लगाकर मरीजो को दवा वितरण करने की बजाय अधिकारी सिर्फ कागजो पर आकड़ो को दुरुस्त करने में जुटे है और ये योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में ही सिमटकर रह गयी है वही अगर सरकारी आकड़ो की बात करे तो वो भी बेहद चौकाने वाले है अधिकारियों की माने तो जिले में टीबी के 4800 मरीज चिन्हित किये गए है जिसमे 325 मरीज जिनका इलाज मुश्किल होता है उन्हें एम डी आर की श्रेणी में रखा गया है वही 8 मरीज ऐसे है जिनका इलाज बहुत मुश्किल है उन्हें एस डी आर की श्रेणी में रखा गया है यही नही इन मरीजो में 23 मरीज ऐसे भी जो एच आई वी से ग्रसित है।

बाईट-नरेंद्र सिंह (जिला क्षय रोग अधिकारी)


Conclusion:अब ऐसे में सवाल ये है कि टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत केंद्र से आने वाले करोड़ो रूपये आखिरकार कहा खर्च किये जा रहे है जबकि लगातार टीबी के मरीजो की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।

वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000
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