उन्नाव: देश को टीबी से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार संजीदा हो और अभियान चलाकर पोलियो की तरह टीबी को भी खत्म करने की कवायद कर रही हो, लेकिन जिले में यह अभियान सिर्फ बैनरों और पोस्टरों तक ही सिमट कर रह गया है, जिसकी वजह से लगातार टीबी के मरीजों में बढ़ोतरी हो रही है. यही नहीं इलाज न मिल पाने की वजह से लोग जानलेवा बीमारियों से भी ग्रसित हो रहे हैं.
अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा सरकारी आकड़ों से भी लगाया जा सकता है क्योंकि इन आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से अधिक है, जिसमें कुछ मरीज रेड जोन को भी क्रॉस कर चुके हैं. वहीं कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें एचआईवी ने भी अपनी चपेट में ले रखा हैं.
टीबी के मरीजों में इजाफा
जिले में टीबी मुक्त भारत अभियान लापरवाह अधिकारियों की भेंट चढ़ कर रह गया है. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के सख्त आदेश के बावजूद लापरवाह अधिकारियों की कान में जूं तक नही रेंग रही है, जिसकी वजह से आलम यह है कि जिले में टीबी के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में सिमटें
वहीं गांव-गांव में कैम्प लगाकर मरीजों को दवा वितरण करने की बजाय अधिकारी सिर्फ कागजों पर आकड़ों को दुरुस्त करते नजर आ रहे है और सरकार की यह योजना सिर्फ बैनरों और पोस्टरों में ही सिमटकर रह गई है. अगर सरकारी आकड़ों की बात करे तो वह भी बेहद चौकाने वाले हैं क्योंकि आकड़ों में टीबी के मरीजों की संख्या 4 हजार से भी अधिक हो गई है.
टीबी के 4800 मरीज चिन्हित
क्षय रोग अधिकारी नरेंद्र सिंह की माने तो जिले में टीबी के 4800 मरीजों को चिन्हित किया गया है, जिसमें 325 मरीजों ऐसे है जिनका इलाज मुश्किल है इसलिए उन्हें एमडीआर की श्रेणी में रखा गया है. वहीं 8 मरीज ऐसे है जिनका इलाज बहुत मुश्किल है, उन्हें एसडीआर की श्रेणी में रखा गया है. यहीं नहीं इन मरीजों में 23 मरीज ऐसे भी जो एचआईवी से ग्रसित पाए गए है.
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