मेरठः जिले में सात करोड़ बीस लाख के फर्जी स्टाम्प पर लगभग 1000 लोगों की रजिस्ट्री कराने वाला विशाल वर्मा को पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है. जिसको लेकर व्यापारियों के साथ पीड़ितों ने शुक्रवार को एडीजी डीके ठाकुर से मुलाकात की. व्यापारियों ने कहा कि विशाल पर 25 हजार रुपये का इनाम होने के बाद भी अभी तक वह पकड़ा नहीं गया है. एडीजे को व्यापारियों ने बताया कि इस घोटाले में विशाल के साथ दूसरे भी लोग शामिल हैं. जो विशाल की तरह फरार हो जायेंगे. इस पर एडीजी ठीके ठाकुर ने कहा कि पुलिस की टीमें लगी हुई हैं. जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल को शिकायत मिली तो खुला राजः बता दें कि उत्तर प्रदेश के स्टांप और न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल को 2023 में मेरठ में हुए दो बैनामों की शिकायत मिली थी. जिसमें कहा गया कि जो स्टांप लगे हैं, वे फर्जी हैं. मंत्री इस संबंध में लखनऊ में उच्च अधिकारियों से फर्जी स्टाम्प को लेकर जवाब मांगा था, जिसके बाद मेरठ में जांच शुरू हुई. दोनों बैनामों में लगे स्टांप फर्जी मिलने पर गठित की गई टीम द्वारा तीन साल के बैनामों में लगे सभी स्टांप चेक किए गए तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. जांच में 997 बैनामों में फर्जी स्टांप लगे मिले और रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. ये सभी बैनामे एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा द्वारा कराये गये थे.
ठगी के शिकार 997 लोग बने आरोपीः मेरठ उपनिबंधन कार्यालय के कनिष्ठ सहायक निबंधन प्रदीप कुमार ने सिविल लाइन थाने में फर्जी बैनाम कराने वालों के नाम 22 मई को रिपोर्ट दर्ज कराई. इसके बाद सभी 997 लोगों को स्टांप में कमी बताकर नोटिस जारी कर दिए गए. इसमें जितने के स्टांप लगाए गए थे, उनका चार गुना अर्थदंड और 18 प्रतिशत सालाना ब्याज भी लगाया गया. नोटिस जाते ही बैनामा कराने वाले लोगों की नींद उड़ गई और अपने बैनामे लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटने लगे. सभी ने अधिवक्ता विशाल वर्मा को स्टांप के पूरे पैसे दिए थे. फर्जी स्टांप घोटाले में ठगे जाने वाले अब तक 997 लोग स्टांप चोरी और धोखाधड़ी के मुलजिम बन चुके हैं. अब तक की जांच में 7 करोड़ 20 लाख रुपए के स्टांप का मामला पकड़ में आ चुका है. गुपचुप तरीके से पहले फर्जी स्टांप छपवाए गए फिर इनको बैनामा कराने वालों को बेच दिया गया.
व्यापारियों को मिली धमकीः इस मामले में मेरठ व्यापार के लोगों ने अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया है. व्यापारी पहले जिला अधिकारी दीपक मीणा से मिले और अपनी शिकायत रखी. जिलाधिकारी ने पीड़ित लोगों को आश्वासन दिया और बताया कि इस पूरे मामले की जांच एसआईटी द्वारा कराई जा रही है. जांच में जो भी दोषी पाया जाता है, उसपर कार्रवाई की जायेगी. इसके बाद शुक्रवार को आरोपी अधिवक्ता विशाल शर्मा की गिरफ्तरी की मांग करते हुए पीड़ित परिवार के लोग ओर व्यापारियों ने एडीजी डीके ठाकुर से मुलाकात की. शेंकी वर्मा और जीतू नागपाल ने कहा कि अभी तक घोटाले के आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है. जिसकी वजह से पैरवी करने वाले व्यापारियों को जान से मारने की धमकियां दी जा रही है. इस घोटाले में विशाल वर्मा के साथ और भी लोग शामिल हैं, जो फरार होने में कामयाब हो सकते है. एडीजी डीके ठाकुर ने कहा कि पुलिस अपनी जांच कर रही है. जल्द ही आरोपी की गिरफ्तारी कर ली जायेगी, कई टीमें काम कर रही हैं.
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