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अमृत योजना में हुआ करोड़ों का घोटाला - उन्नाव ताजा खबर

उन्नाव में निर्माणाधीन अमृत पेयजल योजना पूरी होने से पहले ही घोटालों में घिरती नजर आ रही है. योजना के तहत खरीदे गए वाटर मीटर में घोटाला किया गया है. अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिली भगत ने वाटर मीटर खरीद में 40 करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट कर डाली.

अमृत योजना में हुआ करोड़ो का घोटाला
अमृत योजना में हुआ करोड़ो का घोटाला
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Published : Nov 26, 2020, 10:36 PM IST

उन्नाव: जिले के लोगों के लिए पीने के साफ पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने यहां अमृत कार्यक्रम के तहत अमृत पेयजल योजना का शुभारंभ किया था. करोड़ों की लागत से आम जनता के लिए योजना के निर्माण का कार्य शुरू हुआ. लेकिन जल निगम के अधिकारियों और निर्माण कंपनी के लिए अब यह योजना अवैध कमाई का जरिया बन गया है. ऐसा ही एक मामला योजना के तहत खरीदे गए वाटर मीटर की खरीद में सामने आया. आपको बता दें कि निर्माण कंपनी और अधिकारियों ने सांठ-गांठ करके 11 सौ रुपये का वाटर मीटर 2300 रुपये में खरीदा. अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिली भगत ने वाटर मीटर खरीद में 40 करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट कर डाली.

अमृत योजना में हुआ करोड़ों का घोटाला

वाटर मीटर की खरीद में घोटाला
उन्नाव में पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने अमृत योजना का शुभारंभ करवाया. अम्रत कार्यक्रम के तहत अमृत पेयजल योजना का शुभारंभ जुलाई 2018 में किया गया था. करीब 350 करोड़ की इस परियोजना में गंगा नदी से पानी लेकर उसे ट्रीट किया जाएगा और फिर ट्रीटेड वाटर को ओवर हेड टैंक और ग्राउंड वाटर टैंक में स्टोर किया जाएगा. उसके बाद पाइप लाइन के माध्यम से लोगों के घरों में साफ पानी पहुंचाया जाएगा. लोगों के घरों में पानी के कनेक्शन के दौरान लगाए जाने वाले वाटर मीटर की खरीद में निर्माण कंपनी और जलनिगम के अधिकारियों ने बड़ी लूट कर डाली.

वाटर मीटर के नाम पर 40 करोड़ से ज्यादा की लूट
आपको बता दें कि परियोजना में घरों में कनेक्शन के लिए 30 हजार वाटर मीटर की खरीद 2300 रुपये प्रति वाटर मीटर के हिसाब से की गई है. घरों में लगाने के लिए 'क्रांति' और 'इट्रोन' कंपनी के वाटर मीटर खरीदे गए हैं. जबकि बाजार में इन दोनों कंपनी के वाटर मीटर की कीमत एक हजार रुपये से ग्यारह सौ रुपये है. दोगुने से ज्यादा दाम पर खरीदे गए इन वाटर मीटर के नाम पर 40 करोड़ से ज्यादा की लूट खसोट की गई. इस पूरी योजना को दो फेस में पूरा किया जाना हैं. पहले फेस में करीब 254 करोड़ की लागत से सिविल वर्क किया जाना है, जबकि दूसरे फेस में करीब 80 करोड़ की लागत से मैकेनिकल वर्क किया जाना हैं. अभी तक पहले फेस का सिर्फ 70 प्रतिशत सिविल वर्क ही पूरा हो सका है, जबकि 30 प्रतिशत कार्य अभी बाकी है. पहले फेस का कार्य पूरा होने के बाद ही मेकेनिकल वर्क का कार्य होगा.

वाटर मीटर लगाने का काम दूसरे फेस में मैकेनिकल वर्क के दौरान ही किया जाना है. निर्माण कंपनी और जलनिगम के अधिकारियों को पैसों की बन्दरबांट करने की इतनी जल्दी थी कि आवश्यकता से करीब 20 माह पहले फरवरी 2019 में ही ये सब वाटर मीटर खरीद लिए गए. जिसके बाद गोदाम में रखे ये सब वाटर मीटर धीरे-धीरे कबाड़ होते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये अधिकारी और निर्माण कंपनी पैसे की बंदर बांट के लिए सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी नही छोड़ रहे. अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिली भगत ने वाटर मीटर खरीद में 40 करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट कर डाली.

उन्नाव: जिले के लोगों के लिए पीने के साफ पानी की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने यहां अमृत कार्यक्रम के तहत अमृत पेयजल योजना का शुभारंभ किया था. करोड़ों की लागत से आम जनता के लिए योजना के निर्माण का कार्य शुरू हुआ. लेकिन जल निगम के अधिकारियों और निर्माण कंपनी के लिए अब यह योजना अवैध कमाई का जरिया बन गया है. ऐसा ही एक मामला योजना के तहत खरीदे गए वाटर मीटर की खरीद में सामने आया. आपको बता दें कि निर्माण कंपनी और अधिकारियों ने सांठ-गांठ करके 11 सौ रुपये का वाटर मीटर 2300 रुपये में खरीदा. अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिली भगत ने वाटर मीटर खरीद में 40 करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट कर डाली.

अमृत योजना में हुआ करोड़ों का घोटाला

वाटर मीटर की खरीद में घोटाला
उन्नाव में पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने अमृत योजना का शुभारंभ करवाया. अम्रत कार्यक्रम के तहत अमृत पेयजल योजना का शुभारंभ जुलाई 2018 में किया गया था. करीब 350 करोड़ की इस परियोजना में गंगा नदी से पानी लेकर उसे ट्रीट किया जाएगा और फिर ट्रीटेड वाटर को ओवर हेड टैंक और ग्राउंड वाटर टैंक में स्टोर किया जाएगा. उसके बाद पाइप लाइन के माध्यम से लोगों के घरों में साफ पानी पहुंचाया जाएगा. लोगों के घरों में पानी के कनेक्शन के दौरान लगाए जाने वाले वाटर मीटर की खरीद में निर्माण कंपनी और जलनिगम के अधिकारियों ने बड़ी लूट कर डाली.

वाटर मीटर के नाम पर 40 करोड़ से ज्यादा की लूट
आपको बता दें कि परियोजना में घरों में कनेक्शन के लिए 30 हजार वाटर मीटर की खरीद 2300 रुपये प्रति वाटर मीटर के हिसाब से की गई है. घरों में लगाने के लिए 'क्रांति' और 'इट्रोन' कंपनी के वाटर मीटर खरीदे गए हैं. जबकि बाजार में इन दोनों कंपनी के वाटर मीटर की कीमत एक हजार रुपये से ग्यारह सौ रुपये है. दोगुने से ज्यादा दाम पर खरीदे गए इन वाटर मीटर के नाम पर 40 करोड़ से ज्यादा की लूट खसोट की गई. इस पूरी योजना को दो फेस में पूरा किया जाना हैं. पहले फेस में करीब 254 करोड़ की लागत से सिविल वर्क किया जाना है, जबकि दूसरे फेस में करीब 80 करोड़ की लागत से मैकेनिकल वर्क किया जाना हैं. अभी तक पहले फेस का सिर्फ 70 प्रतिशत सिविल वर्क ही पूरा हो सका है, जबकि 30 प्रतिशत कार्य अभी बाकी है. पहले फेस का कार्य पूरा होने के बाद ही मेकेनिकल वर्क का कार्य होगा.

वाटर मीटर लगाने का काम दूसरे फेस में मैकेनिकल वर्क के दौरान ही किया जाना है. निर्माण कंपनी और जलनिगम के अधिकारियों को पैसों की बन्दरबांट करने की इतनी जल्दी थी कि आवश्यकता से करीब 20 माह पहले फरवरी 2019 में ही ये सब वाटर मीटर खरीद लिए गए. जिसके बाद गोदाम में रखे ये सब वाटर मीटर धीरे-धीरे कबाड़ होते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ये अधिकारी और निर्माण कंपनी पैसे की बंदर बांट के लिए सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी नही छोड़ रहे. अधिकारियों और निर्माण कंपनी की मिली भगत ने वाटर मीटर खरीद में 40 करोड़ से ज्यादा की बंदरबांट कर डाली.

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