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पंचायत चुनावः उन्नाव के इस गांव में सिर्फ कागजों पर लिखी गई विकास की इबारत - उन्नाव पंचायत चुनाव समाचार

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर ईटीवी भारत की टीम उन्नाव पहुंची और यहां पर विकास कार्यों का जायजा लिया. यहां पर गांव के किसी भी व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. यहां सरकारी योजना के नाम पर धन उगाही का काम किया गया है और विकास तो मानो इस गांव का रास्ता ही भूल चुका है.

यूपी पंचायत चुनाव 2018
यूपी पंचायत चुनाव 2018
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Published : Jan 22, 2021, 10:19 AM IST

Updated : Jan 22, 2021, 10:25 AM IST

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है, लेकिन उन्नाव के कई ऐसे गांव भी हैं, जहां बीती पंचवर्षीय में विकास मानो रास्ता ही भूल गया हो. यहां के ग्रामीण अभी भी सरकारी योजनाओं से महरूम हैं. ग्रामीणों की मानें तो चुनाव जीतने के बाद ग्राम प्रधान उनकी सुनता ही नहीं है, जबकि जिला पंचायत सदस्य जीतने के बाद यहां देखने तक नहीं आते हैं. ऐसे में बड़ी बात यह है कि जब गांव की सरकार कहे जाने वाले प्रतिनिधि ही जनता की नहीं सुनेंगे तो ग्रामीणों के घर तक विकास कैसे पहुंचेगा.

विकास भूला रास्ता
उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में स्थित साईं पुर सगौड़ा गांव पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जब ग्रामीणों से विकास को लेकर बात की तो ग्रामीणों ने विकास से साफ इंकार करते हुए गांव के प्रधान पर आरोप लगाने शुरू कर दिए. सांई पुर सगौड़ा गांव में कीचड़ से भरी सड़कें इस गांव के विकास की हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं. इस गांव का जो मेन रास्ता है वह तो पक्का है, लेकिन गांव की गलियां आज भी संवारे जाने की राह देख रही हैं.

गांव के विकास को लेकर जनता ने रखी अपनी राय

न ही आवास और न शौचालय
इस गांव में कुछ लोगों के घर के बाहर शौचालय बने हैं, लेकिन बहुत सारे ग्रामीण ऐसे हैं जिनको न ही आवास मिला है न ही शौचालय, जबकि वह पात्र हैं. उनके सिर पर पक्की छत तक नहीं है. यहां के कई ग्रामीण झुग्गी और फूस की झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उनसे आवास के नाम पर पैसा लिया गया है. जिसने पैसा दिया है उसको तो आवास मिला है, जिसने नहीं दिया है उसको कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया गया है.

अपात्रों को दिया गया लाभ
ग्रामीण बताते हैं कि हमारे गांव की प्रधान सरस्वती ने उन लोगों को आवास और सरकारी योजना का लाभ दिया है जो प्रधान के खास हैं और अपात्र हैं. कुछ ऐसे पात्र लोगों को आवास दिया है जिन्होंने उनको पैसे दिए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनकी पंचायत की जिला पंचायत सदस्य जसोदा हैं. वह जब से चुनाव जीती हैं, उसके बाद से मानो रास्ता ही भूल गई हों. चुनाव जीतने के बाद वह एक बार भी ग्रामीणों को देखने तक नहीं आईं, विकास करना तो दूर की बात है.

पंचायत चुनाव 2018
घर को तरस रहे ग्रामीण

गांव में बनी मंडी भी देख रही विकास की राह
सांई पुर सगौड़ा गांव में बनी मंडी पर कुछ प्रधान के खास लोगों ने कब्जा कर रखा है. वह भी विकास की राह देख रही है. मंडी में लगने वाली बाजार पर भी प्रतिबंध लगाता है. ग्रामीणों का कहना है कि वह प्रधान का वह खास आदमी है, जिसने कब्जा किया है. इस गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए मंडी, सोसाइटी केंद्र, उपकेंद्र, स्कूल और दूध केंद्र सभी बदहाल अवस्था में हैं. इन भवनों की तरफ किसी भी जनप्रतिनिधि की नजर नहीं पड़ रही है. इन सरकारी भवनों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. वहीं दूध केंद्र में तो प्रधान के खास लोगों ने कब्जा करके भूसा भर रखा है.

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है, लेकिन उन्नाव के कई ऐसे गांव भी हैं, जहां बीती पंचवर्षीय में विकास मानो रास्ता ही भूल गया हो. यहां के ग्रामीण अभी भी सरकारी योजनाओं से महरूम हैं. ग्रामीणों की मानें तो चुनाव जीतने के बाद ग्राम प्रधान उनकी सुनता ही नहीं है, जबकि जिला पंचायत सदस्य जीतने के बाद यहां देखने तक नहीं आते हैं. ऐसे में बड़ी बात यह है कि जब गांव की सरकार कहे जाने वाले प्रतिनिधि ही जनता की नहीं सुनेंगे तो ग्रामीणों के घर तक विकास कैसे पहुंचेगा.

विकास भूला रास्ता
उन्नाव के बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में स्थित साईं पुर सगौड़ा गांव पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जब ग्रामीणों से विकास को लेकर बात की तो ग्रामीणों ने विकास से साफ इंकार करते हुए गांव के प्रधान पर आरोप लगाने शुरू कर दिए. सांई पुर सगौड़ा गांव में कीचड़ से भरी सड़कें इस गांव के विकास की हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं. इस गांव का जो मेन रास्ता है वह तो पक्का है, लेकिन गांव की गलियां आज भी संवारे जाने की राह देख रही हैं.

गांव के विकास को लेकर जनता ने रखी अपनी राय

न ही आवास और न शौचालय
इस गांव में कुछ लोगों के घर के बाहर शौचालय बने हैं, लेकिन बहुत सारे ग्रामीण ऐसे हैं जिनको न ही आवास मिला है न ही शौचालय, जबकि वह पात्र हैं. उनके सिर पर पक्की छत तक नहीं है. यहां के कई ग्रामीण झुग्गी और फूस की झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर हैं. यहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उनसे आवास के नाम पर पैसा लिया गया है. जिसने पैसा दिया है उसको तो आवास मिला है, जिसने नहीं दिया है उसको कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं दिया गया है.

अपात्रों को दिया गया लाभ
ग्रामीण बताते हैं कि हमारे गांव की प्रधान सरस्वती ने उन लोगों को आवास और सरकारी योजना का लाभ दिया है जो प्रधान के खास हैं और अपात्र हैं. कुछ ऐसे पात्र लोगों को आवास दिया है जिन्होंने उनको पैसे दिए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनकी पंचायत की जिला पंचायत सदस्य जसोदा हैं. वह जब से चुनाव जीती हैं, उसके बाद से मानो रास्ता ही भूल गई हों. चुनाव जीतने के बाद वह एक बार भी ग्रामीणों को देखने तक नहीं आईं, विकास करना तो दूर की बात है.

पंचायत चुनाव 2018
घर को तरस रहे ग्रामीण

गांव में बनी मंडी भी देख रही विकास की राह
सांई पुर सगौड़ा गांव में बनी मंडी पर कुछ प्रधान के खास लोगों ने कब्जा कर रखा है. वह भी विकास की राह देख रही है. मंडी में लगने वाली बाजार पर भी प्रतिबंध लगाता है. ग्रामीणों का कहना है कि वह प्रधान का वह खास आदमी है, जिसने कब्जा किया है. इस गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए मंडी, सोसाइटी केंद्र, उपकेंद्र, स्कूल और दूध केंद्र सभी बदहाल अवस्था में हैं. इन भवनों की तरफ किसी भी जनप्रतिनिधि की नजर नहीं पड़ रही है. इन सरकारी भवनों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. वहीं दूध केंद्र में तो प्रधान के खास लोगों ने कब्जा करके भूसा भर रखा है.

Last Updated : Jan 22, 2021, 10:25 AM IST
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