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महाकुंभ 2025 : मेले में पहुंची पुंगनूर नस्ल की गाय, PM मोदी को भी पसंद हैं इनकी खूबियां - MAHA KUMBH MELA 2025

मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश में पाई जाती है इस नस्ल की गाय, देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

महाकुंभ में पुंगनूर गाय बनी आकर्षण का केंद्र
महाकुंभ में पुंगनूर गाय बनी आकर्षण का केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 12:06 PM IST

प्रयागराज : करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं. वहीं यहां आने वाले साधु-संत-महात्मा सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही उसकी रक्षा और संरक्षण के लिए भी कार्य करते हैं. गौ रक्षा और गंगा की रक्षा का संकल्प भी लेते हैं. इसी कड़ी में महाकुंभ में पुंगनूर नस्ल की गायों को भी लाया गया है. इस नस्ल की गाय का महत्व बताने के साथ ही लोगों को गौ संरक्षण के लिए भी जागरूक किया जा रहा है.

महाकुंभ में पुंगनूर गाय बनी आकर्षण का केंद्र (Video Credit; ETV Bharat)

महाकुंभ मेले के सेक्टर 21 में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से देसी नस्ल की पुंगनूर गायों को शिविर में लाया गया है. श्री कृष्णायन देशी गौ रक्षा शाला हरिद्वार के शिविर में पुंगनूर नस्ल की गाय का दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है. पुंगनूर नस्ल की ये गायें आम गाय के मुकाबले देखने में काफी छोटी ऊंचाई-लंबाई और चौड़ाई की दिखती है. उत्तर भारत में मिलने वाली देशी गायों के बच्चे के बराबर की ये गायें दूध भी देती हैं. उनकी खुराक भी काफी कम है.

दूध से बनी मिठाई से भगवान को लगता है भोग : इसके साथ ही उन्हें पालने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती है. छोटे घरों में रहने वाले लोग भी इन गायों को पालकर गौ सेवा कर सकते हैं, जो भी लोग गाय पालना चाहते हैं और उनके पास ज्यादा जगह नहीं है तो ऐसे लोग भी कम स्थान में इन छोटी नस्ल की इन देशी गायों को पाल सकते हैं. दक्षिण भारत में मिलने वाली इस नस्ल की गायों के दूध से बने मिष्ठान से प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान को भोग लगाया जाता है. जिससे इन गायों की धार्मिक महत्व को भी आसानी से समझा जा सकता है.

महाकुंभ मेले में आए कई साधु संत अपने साथ गायों को भी लाए हैं. गौ को सनातन धर्म में विशेष दर्जा दिया गया है. गाय के रोम रोम में भगवान के वास करने की मान्यता है. यही कारण है कि महाकुंभ मेले में आए साधु संत लोगों को गौ हत्या बंद करने और उसके संरक्षण तथा पालन पोषण का संदेश दे रहे हैं. इसके जरिए लोगों को इस बात के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं कि लोग अपने घरों में गाय को पालें और उनकी सेवा करें.

देखने के लिए जुट रही भक्तों की भीड़ : महाकुंभ मेले के इस शिविर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पायी जाने वाली पुंगनूर नस्ल की गाय को लाया गया है और लोगों के दर्शन के लिए उसे शिविर में सबके सामने रखा गया है. दक्षिण भारत के कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मिलने वाली ये गायें सबसे छोटी नस्ल की गाय होती है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुंगनूर गाय को दुलारते प्यार करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसके बाद से इनकी चर्चा देश भर में होने लगी.

दिगंबर अनि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास जी महाराज ने बताया कि हरिद्वार में उनकी गौशाला में करीब 25 हजार गायें पल रहीं हैं. महाकुंभ में आने से पहले वो दक्षिण भारत में पायी जाने वाली पुंगनूर गाय वहां से लेकर आए हैं. शिविर में आने वाले लोगों को इस नस्ल के बारे में बताने के साथ ही लोगों से अपील भी करते हैं कि वो अपने घरों में पालतू जानवर पालने की जगह अब पुंगनूर गाय को ही पालें तो इससे न केवल यह नस्ल बचेगी, बल्कि सनातन धर्म की राह पर भी चलेंगे.

यह भी पढ़ें: रायबरेली में सड़क हादसे में सिपाही की मौत; महाकुंभ से स्नान करके लौट रहे थे वापस, एक की हालत गंभीर

यह भी पढ़ें: महाकुंभ 2025 : जल्द शुरू होगी एक और हेलीकाप्टर सेवा, ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने कराया ट्रायल


प्रयागराज : करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं. वहीं यहां आने वाले साधु-संत-महात्मा सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही उसकी रक्षा और संरक्षण के लिए भी कार्य करते हैं. गौ रक्षा और गंगा की रक्षा का संकल्प भी लेते हैं. इसी कड़ी में महाकुंभ में पुंगनूर नस्ल की गायों को भी लाया गया है. इस नस्ल की गाय का महत्व बताने के साथ ही लोगों को गौ संरक्षण के लिए भी जागरूक किया जा रहा है.

महाकुंभ में पुंगनूर गाय बनी आकर्षण का केंद्र (Video Credit; ETV Bharat)

महाकुंभ मेले के सेक्टर 21 में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से देसी नस्ल की पुंगनूर गायों को शिविर में लाया गया है. श्री कृष्णायन देशी गौ रक्षा शाला हरिद्वार के शिविर में पुंगनूर नस्ल की गाय का दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जुट रही है. पुंगनूर नस्ल की ये गायें आम गाय के मुकाबले देखने में काफी छोटी ऊंचाई-लंबाई और चौड़ाई की दिखती है. उत्तर भारत में मिलने वाली देशी गायों के बच्चे के बराबर की ये गायें दूध भी देती हैं. उनकी खुराक भी काफी कम है.

दूध से बनी मिठाई से भगवान को लगता है भोग : इसके साथ ही उन्हें पालने के लिए ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती है. छोटे घरों में रहने वाले लोग भी इन गायों को पालकर गौ सेवा कर सकते हैं, जो भी लोग गाय पालना चाहते हैं और उनके पास ज्यादा जगह नहीं है तो ऐसे लोग भी कम स्थान में इन छोटी नस्ल की इन देशी गायों को पाल सकते हैं. दक्षिण भारत में मिलने वाली इस नस्ल की गायों के दूध से बने मिष्ठान से प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान को भोग लगाया जाता है. जिससे इन गायों की धार्मिक महत्व को भी आसानी से समझा जा सकता है.

महाकुंभ मेले में आए कई साधु संत अपने साथ गायों को भी लाए हैं. गौ को सनातन धर्म में विशेष दर्जा दिया गया है. गाय के रोम रोम में भगवान के वास करने की मान्यता है. यही कारण है कि महाकुंभ मेले में आए साधु संत लोगों को गौ हत्या बंद करने और उसके संरक्षण तथा पालन पोषण का संदेश दे रहे हैं. इसके जरिए लोगों को इस बात के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं कि लोग अपने घरों में गाय को पालें और उनकी सेवा करें.

देखने के लिए जुट रही भक्तों की भीड़ : महाकुंभ मेले के इस शिविर में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में पायी जाने वाली पुंगनूर नस्ल की गाय को लाया गया है और लोगों के दर्शन के लिए उसे शिविर में सबके सामने रखा गया है. दक्षिण भारत के कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मिलने वाली ये गायें सबसे छोटी नस्ल की गाय होती है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पुंगनूर गाय को दुलारते प्यार करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसके बाद से इनकी चर्चा देश भर में होने लगी.

दिगंबर अनि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ईश्वर दास जी महाराज ने बताया कि हरिद्वार में उनकी गौशाला में करीब 25 हजार गायें पल रहीं हैं. महाकुंभ में आने से पहले वो दक्षिण भारत में पायी जाने वाली पुंगनूर गाय वहां से लेकर आए हैं. शिविर में आने वाले लोगों को इस नस्ल के बारे में बताने के साथ ही लोगों से अपील भी करते हैं कि वो अपने घरों में पालतू जानवर पालने की जगह अब पुंगनूर गाय को ही पालें तो इससे न केवल यह नस्ल बचेगी, बल्कि सनातन धर्म की राह पर भी चलेंगे.

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