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सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी ने पेड़ काटने वाले बिल्डर पर लगाया 1.15 करोड़ का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज - FINE ON BUILDER WHO CUTS TREES

CEC की टीम ने जांच के बाद रिपोर्ट दी, बताया 115 पेड़ काटे गए, 170 पेड़ लगाने की सिफारिश.

कोर्ट में आज होनी है सुनवाई.
कोर्ट में आज होनी है सुनवाई. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 12:18 PM IST

आगरा : सुप्रीम कोर्ट में आज आगरा रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम और माथुर फार्म में पेड़ काटने की याचिका पर सुनवाई होगी. इससे पहले ही गुरुवार को सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम में पेड़ काटने के मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की. सीईसी की रिपोर्ट में 115 पेड़ काटे जाने का दावा करके इसमें बिल्डर को दोषी माना है.

CEC ने इस मामले में बिल्डर पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये के हिसाब से 1.15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, इसके साथ ही 2.3 हेक्टेयर भूमि में सिटी फारेस्ट विकसित करने के लिए 2300 पौधे लगाने और इसे राज्य सरकार के माध्मम से संरक्षित वन घोषित करने की संस्तुति की है. सीईसी ने इसका अनुपालन नहीं होने तक कोई काम नहीं करने की रिपोर्ट भी दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि रेलवे को रेल भूमि विकास प्राधिकरण के उन अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करनी चाहिए. जिन्हें इस भूमि की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है.

बता दें कि रेल भूमि विकास प्राधिकरण ने गधापाड़ा माल गोदाम की 90,304 वर्ग मीटर जमीन को 99 वर्षों के लिए पट्‌टे पर गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड और गणपति लीजिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी. जिस बिल्डर ने इस जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी की. इसमें ही इस जमीन पर खडे़ पेड़ों को काटकर जलाया गया. आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने सैकड़ों पेड़ काटने की शिकायत सीईसी से की थी. शिकायत पर 19 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वन विभाग, रेल भूमि विकास प्राधिकरण, रेलवे और याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने जमीन का निरीक्षण किया था. जब टीम ने अपनी रिपोर्ट सीईसी को सौंपी थी. जिसमें 23 पेड़ काटे जाने के सबूत मिलने का जिक्र किया था.

CEC ने माना- 115 पेड़ काटे गए : सीईसी कमेटी की रिपोर्ट पर वन विभाग और रेलवे ने 23 पेड़ काटे जाने का मामला बिल्डर के विरुद्ध दर्ज किया था. 13 जनवरी को सीईसी के सदस्य चंद्रप्रकाश गोयल और डॉ. जेआर भट्ट ने गधापाड़ा माल गोदाम का निरीक्षण किया था. सीईसी टीम ने 0.94 हेक्टेयर भूमि में बची हरियाली और यहां मौजूद 62 पेड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि गधापाड़ा माल गोदाम में 115 पेड़ काटे गए हैं. बिल्डर ने लगवाए गए आवासीय योजना के होर्डिंग और जेसीबी चलने के आधार पर बिल्डर को दोषी माना है.

माथुर फार्म हाउस में भी हरियाली पर चली आरी : पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीईसी की टीम 6 दिसंबर 2024 को माथुर फार्म का निरीक्षण किया था. CEC ने 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्टार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें फार्म हाउस में किसी प्रकार के निर्माण पर रोक की सिफारिश की थी. कमेटी ने यहां पर हरियाली नष्ट और पेड़ काटे गए की बात कही थी. कमेटी ने यहां 17 पेड़ काटने के बदले में जमीन मालिक को 10 गुना अधिक यानी 170 पेड़ लगाने के निर्देश दिए थे. पेड़ काटने वालों पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाने की सिफारिश की थी. जिस पर पिछले दिनों वन विभाग को 17 लाख रुपये जमा कराए जा चुके हैं. जिससे ताज ट्रिपेजियम जोन में पौधरोपण किया जाएगा.

आज सुनवाई, आदेश का इंतजार : पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि CEC ने हरियाली को क्षति पहुंचाए जाने के उनके आरोपों को सही माना है. शहर के मध्य स्थित भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित करना उनकी मांग थी. सीआईसी ने मांग पर सिटी फॉरेस्ट विकसित किए जाने की संस्तुष्टी अपनी सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट की है. आज इस मामले में सुनवाई है. देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसमें क्या आदेश देता है.

यह भी पढ़ें : संभल के अमरपति खेड़ा में मिले 400 साल पुराने सिक्के, राम-सीता और लक्ष्मण की बनी है आकृति

आगरा : सुप्रीम कोर्ट में आज आगरा रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम और माथुर फार्म में पेड़ काटने की याचिका पर सुनवाई होगी. इससे पहले ही गुरुवार को सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम में पेड़ काटने के मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की. सीईसी की रिपोर्ट में 115 पेड़ काटे जाने का दावा करके इसमें बिल्डर को दोषी माना है.

CEC ने इस मामले में बिल्डर पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये के हिसाब से 1.15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, इसके साथ ही 2.3 हेक्टेयर भूमि में सिटी फारेस्ट विकसित करने के लिए 2300 पौधे लगाने और इसे राज्य सरकार के माध्मम से संरक्षित वन घोषित करने की संस्तुति की है. सीईसी ने इसका अनुपालन नहीं होने तक कोई काम नहीं करने की रिपोर्ट भी दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि रेलवे को रेल भूमि विकास प्राधिकरण के उन अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करनी चाहिए. जिन्हें इस भूमि की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है.

बता दें कि रेल भूमि विकास प्राधिकरण ने गधापाड़ा माल गोदाम की 90,304 वर्ग मीटर जमीन को 99 वर्षों के लिए पट्‌टे पर गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड और गणपति लीजिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी. जिस बिल्डर ने इस जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी की. इसमें ही इस जमीन पर खडे़ पेड़ों को काटकर जलाया गया. आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने सैकड़ों पेड़ काटने की शिकायत सीईसी से की थी. शिकायत पर 19 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वन विभाग, रेल भूमि विकास प्राधिकरण, रेलवे और याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने जमीन का निरीक्षण किया था. जब टीम ने अपनी रिपोर्ट सीईसी को सौंपी थी. जिसमें 23 पेड़ काटे जाने के सबूत मिलने का जिक्र किया था.

CEC ने माना- 115 पेड़ काटे गए : सीईसी कमेटी की रिपोर्ट पर वन विभाग और रेलवे ने 23 पेड़ काटे जाने का मामला बिल्डर के विरुद्ध दर्ज किया था. 13 जनवरी को सीईसी के सदस्य चंद्रप्रकाश गोयल और डॉ. जेआर भट्ट ने गधापाड़ा माल गोदाम का निरीक्षण किया था. सीईसी टीम ने 0.94 हेक्टेयर भूमि में बची हरियाली और यहां मौजूद 62 पेड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि गधापाड़ा माल गोदाम में 115 पेड़ काटे गए हैं. बिल्डर ने लगवाए गए आवासीय योजना के होर्डिंग और जेसीबी चलने के आधार पर बिल्डर को दोषी माना है.

माथुर फार्म हाउस में भी हरियाली पर चली आरी : पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीईसी की टीम 6 दिसंबर 2024 को माथुर फार्म का निरीक्षण किया था. CEC ने 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्टार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें फार्म हाउस में किसी प्रकार के निर्माण पर रोक की सिफारिश की थी. कमेटी ने यहां पर हरियाली नष्ट और पेड़ काटे गए की बात कही थी. कमेटी ने यहां 17 पेड़ काटने के बदले में जमीन मालिक को 10 गुना अधिक यानी 170 पेड़ लगाने के निर्देश दिए थे. पेड़ काटने वालों पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाने की सिफारिश की थी. जिस पर पिछले दिनों वन विभाग को 17 लाख रुपये जमा कराए जा चुके हैं. जिससे ताज ट्रिपेजियम जोन में पौधरोपण किया जाएगा.

आज सुनवाई, आदेश का इंतजार : पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि CEC ने हरियाली को क्षति पहुंचाए जाने के उनके आरोपों को सही माना है. शहर के मध्य स्थित भूमि पर सिटी फारेस्ट विकसित करना उनकी मांग थी. सीआईसी ने मांग पर सिटी फॉरेस्ट विकसित किए जाने की संस्तुष्टी अपनी सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट की है. आज इस मामले में सुनवाई है. देखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इसमें क्या आदेश देता है.

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