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उन्नाव: जिंदगी दांव पर लगाकर कंडम वाहनों से सफर करने को मजबूर अधिकारी

उन्नाव में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रचार करने में जुटे विकास भवन में तैनात कई अधिकारी कंडम वाहनों से सफर कर रहे हैं. इन वाहनों की हालत काफी खराब हैं. इससे सर्दी और बरसात के मौसम में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कंडम वाहनों से सफर करने को मजबूर अधिकारी
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Published : Feb 25, 2019, 1:43 PM IST

उन्नाव :जिले में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में जुटेउन्नाव के विकास भवन में तैनात कई विभागों के अधिकारीकंडम हो चुके वाहनों से सफर कर रहे हैं.हालात यहहैं कि 30-30 साल पुराने हो चुके वाहनों में जहां कई जगहों पर जंग लगकर उसकी चादर छिन सी गई हैं तो वहीं कई वाहनों में ग्लास तक नहीं हैं.इससे सर्दी और बरसात के मौसम में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कंडम वाहनों से सफर करने को मजबूर अधिकारी

इसके बावजूद कईअधिकारीसरकार कीयोजनाओं को जनता तक पहुंचाने में लगे हुए हैं. इनकंडम वाहनों कीहालत इतनी बुरी है कि ना तो इनके ब्रेक काम करते हैं और ना ही लाइटें.ड्राइवरों की माने तो अक्सर रास्ते में ही वाहन खराब हो जाते हैं और कई बार दुर्घटनाएं होते-होते रह जातीहैं. यही नहीं, इन वाहनों के फिटनेस से लेकर रजिस्ट्रेशन तक के प्रमाण पत्र मौजूद नहीं हैं.

कंडम हो चुके वाहनों कीलाइटें भी बहुत कम रोशनी देती हैं, जिससे शाम होने के बाद रोड पर चलना मतलब मौत को दावत देने के बराबर है.ऐसे में मानको को दरकिनार कर ये सरकारी वाहन परिवहन विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

वहीं, जब सड़क सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा की बात करने वाले आरटीओ विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि एक वाहन 15 साल के लिए ही पंजीकृत होता है. उसके बाद वाहन की फिटनेस टेस्ट लेने के बाद ही उन्हें रोड पर चलाने की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा, जबमांगों को दरकिनार करने वाले इन सरकारी वाहनों के बारे में पूछा गया तो अधिकारी समय-समय पर जांच करके कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

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उन्नाव :जिले में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में जुटेउन्नाव के विकास भवन में तैनात कई विभागों के अधिकारीकंडम हो चुके वाहनों से सफर कर रहे हैं.हालात यहहैं कि 30-30 साल पुराने हो चुके वाहनों में जहां कई जगहों पर जंग लगकर उसकी चादर छिन सी गई हैं तो वहीं कई वाहनों में ग्लास तक नहीं हैं.इससे सर्दी और बरसात के मौसम में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

कंडम वाहनों से सफर करने को मजबूर अधिकारी

इसके बावजूद कईअधिकारीसरकार कीयोजनाओं को जनता तक पहुंचाने में लगे हुए हैं. इनकंडम वाहनों कीहालत इतनी बुरी है कि ना तो इनके ब्रेक काम करते हैं और ना ही लाइटें.ड्राइवरों की माने तो अक्सर रास्ते में ही वाहन खराब हो जाते हैं और कई बार दुर्घटनाएं होते-होते रह जातीहैं. यही नहीं, इन वाहनों के फिटनेस से लेकर रजिस्ट्रेशन तक के प्रमाण पत्र मौजूद नहीं हैं.

कंडम हो चुके वाहनों कीलाइटें भी बहुत कम रोशनी देती हैं, जिससे शाम होने के बाद रोड पर चलना मतलब मौत को दावत देने के बराबर है.ऐसे में मानको को दरकिनार कर ये सरकारी वाहन परिवहन विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

वहीं, जब सड़क सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा की बात करने वाले आरटीओ विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि एक वाहन 15 साल के लिए ही पंजीकृत होता है. उसके बाद वाहन की फिटनेस टेस्ट लेने के बाद ही उन्हें रोड पर चलाने की अनुमति दी जाती है. इसके अलावा, जबमांगों को दरकिनार करने वाले इन सरकारी वाहनों के बारे में पूछा गया तो अधिकारी समय-समय पर जांच करके कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.

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Intro:उन्नाव:-- उन्नाव में लोगों को विकास की योजनाओं से जोड़ने वाले अधिकारी खुद अपनी जिंदगी दांव पर लगाने को मजबूर हैं विकास भवन में तैनात अधिकारी कंडम हो चुके वाहनों से पूरे जिले में घूम घूम कर जहां लोगों को सरकार की योजना के बारे में बताने में जुटे हैं वही वाहनों की हालत ऐसी है कि ना तो उसमें ब्रेक काम करते हैं और ना ही लाइटें यही नहीं कई जगहों पर जंग लग कर चौधरी भी चंद सी गई है वाहन चलाने वाले ड्राइवरों की माने तो अक्सर रास्ते में ही वाहन खराब हो जाते हैं और कई बार दुर्घटनाएं होते होते बची है यही नहीं इन वाहनों के फिटनेस से लेकर रजिस्ट्रेशन तक के प्रमाण पत्र मौजूद नहीं है


Body:उन्नाव के विकास भवन में तैनात कई विभागों के अधिकारी कंडम हो चुके वाहनों से सफर करके पूरे जिले में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रचार प्रसार करने में जुटे हैं हालात क्या है कि 30 30 साल पुराने हो चुके वाहनों में जहां कई जगहों पर जंग लग कर उसकी चादर छन सी गई है वहीं कई वाहनों में ग्लास तक नहीं है जिससे सर्दी और बरसात के मौसम में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है गाड़ियों में ब्रेक भी काम नहीं करती है जिससे कई बार दुर्घटना होते होते बची हैं और तो और गाड़ियों की लाइटे भी बहुत कम रोशनी देती है जिससे शाम होने के बाद रोड पर चलना मतलब मौत को दावत देने के बराबर है इन वाहनों को चलाने वाले चालकों की माने तो वाहन पूरी तरह कंडम हो चुके हैं और इनके लेकर रोड पर चलना मतलब जिंदगी दांव पर लगाना है इसमें ना तो ब्रेक काम करते हैं ना ही लाइटें और तो और कई बार रास्ते में ही यह वाहन खराब हो जाते हैं खास बात यह है कि कंडम हो चुके वाहनों के कागजों का भी कोई अता पता नहीं है ना ही इनका फिटनेस प्रमाण पत्र है ना ही गाड़ी रजिस्ट्रेशन संबंधी कोई दस्तावेज ऐसे में मानको को दरकिनार कर ये सरकारी वाहन परिवहन विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

बाईट--अनिल कुमार (ड्राइवर कृषि अधिकारी)


Conclusion:वही जब हमने सड़क सुरक्षा और सुरक्षित यात्रा की बात करने वाले आरटीओ विभाग के अधिकारियों से बात की तो उनकी मानें तो एक वाहन 15 साल के लिए ही पंजीकृत होता है उसके बाद वाहन की फिटनेस टेस्ट लेने के बाद ही उन्हें रोड पर चलने की अनुमति दी जाती है वही जब हमने मांगों को दरकिनार करने वाले इन सरकारी वाहनों के बारे में पूछा तो समय-समय पर जांच करके कार्यवाही करने की बात अधिकारी कह रहे हैं।

बाईट--मनोज वर्मा (ए आर टी ओ उन्नाव)
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