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अब नौसिखियों के हाथ में एंबुलेंस की स्टेयरिंग, भगवान ही बचाएं मरीजों की जान

उत्तर प्रदेश में 108 और 102 एंबुलेंस सेवा के कर्मी हड़ताल पर हैं. एंबुलेंस कर्मियों के हड़लात पर होने के कारण मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं उन्नाव जिले में प्रशासन ने हड़ताली एंबुलेंस कर्मियों से चाबी लेकर नौसिखिये ड्राइवरों को एंबुलेंस की स्टेयरिंग थमा दी है. ये ड्राइवर एंबुलेंस चलाने और मरीजों को सुविधावपूर्वक लाने ले जाने के लिए पूरी तरीके से अनट्रेंड हैं.

उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर.
उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर.
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Published : Jul 31, 2021, 5:34 PM IST

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस की एएलएस सेवा नई कंपनी को सौंपी गई है. यह कंपनी नए सिरे से भर्ती कर रही है, जिसको लेकर पहले से कार्यरत कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. कई दौर की बातचीत के बाद भी समझौता नहीं होने पर एएलएस एंबुलेंस कर्मचारियों के समर्थन में 102 और 108 एंबुलेंस कर्मियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी है. एंबुलेंस कर्मियों ने बीते रविवार रात 12:00 बजे 108 और 102 एंबुलेंस सेवा ठप कर दी है. इससे प्रदेश भर में करीब ढाई हजार से अधिक एंबुलेंस खड़ी हो गई हैं. पिछले कई दिनों से एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल जारी है, जिससे आकस्मिक सेवा के मरीजों को अस्पताल लाने में बड़ी समस्या हो रही है.

उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर.

वहीं एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल समाप्त न होता देख उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में प्रशासन ने हड़ताली एंबुलेंस कर्मियों से चाबी लेकर नौसिखिये ड्राइवरों को एंबुलेंस की स्टेयरिंग थमा दी है. ये ड्राइवर एंबुलेंस चलाने और मरीजों को सुविधावपूर्वक लाने ले जाने के लिए पूरी तरीके से अनट्रेंड हैं. इन नौसिखिये ड्राइवरों को छोड़कर दूसरा कोई ट्रेंड मेडिकल स्टाफ एंबुलेंस में तैनात नहीं किया गया है. इन अनट्रेंड ड्राइवरों के काम करने की कुछ तस्वीरें देखने को मिली हैं, जिनको देखकर लगता है कि मरीजों की जिंदगी अब भगवान के भरोसे ही छोड़ दी गई है.

बता दें कि आकस्मिक सेवा के मरीजों को अस्पताल लाने और ले जाने के लिए उन्नाव जिला प्रशासन ने आनन-फानन में नए और अनट्रेंड ड्राइवरों से एंबुलेंस की कमान तो सौंप दी, लेकिन उसके दुष्परिणाम एंबुलेंस से आने वाले मरीजों को जान-जोखिम में डालकर भुगतने पड़ रहे हैं. जिले में दो दिनों से अनट्रेंड ड्राइवरों के काम करने की जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वो खुद ही बता रही हैं कि ये एंबुलेंस मरीजों के लिए जीवनदायिनी नहीं बल्कि जीवन लेने वाली बनती जा रही हैं.

नए और अनट्रेंड ड्राइवरों को एंबुलेंस का स्ट्रेचर तक खोलना नहीं बताया गया है. एक एंबुलेंस का ड्राइवर मरीज को एंबुलेंस से उतारते समय स्ट्रेचर के व्हील नहीं खोल पाया, जिससे एंबुलेंस से मरीज स्ट्रेचर समेत जमीन पर गिर गया. यही नहीं मरीज को चढ़ाई जा रही वाइल की बोतल को पकडने वाला भी कोई नहीं था. एक दूसरी तस्वीर में देखने को मिला कि चाकुओं से गोदकर घायल किए गए एक शख्स को एंबुलेंस से उतारकर पैदल ही अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाया जा रहा था, जबकि घायल शख्स चलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था. एंबुलेंस में स्ट्रेचर रखा साफ तौर पर दिख रहा था, लेकिन जानकारी के अभाव में ये अनट्रेंड ड्राइवर कुछ नहीं कर पा रहे थे.

वहीं सड़क हादसे में घायल एक व्यक्ति को एंबुलेंस द्वारा जिला अस्पताल लाया गया. घायल का पैर बुरी तरह से चुटहिल था और लगातार खून बह रहा था. एंबुलेंस में इस घायल को प्राथमिक उपचार मिलना चलिए था, लेकिन नहीं मिला. वजह यह है कि इन गाड़ियों में ड्राइवर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन गाड़ियों में मरीजों की जान बचाने के लिए त्वरित प्रयास करने वाले ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) की तैनाती नहीं की गई है.

एक अनट्रेंड ड्राइवर एंबुलेंस चलाने की कोशिश कर रहा था. इसे जिला प्रशासन और एआरटीओ द्वारा एंबुलेंस मुहैया करवाई गई थी, लेकिन यह शख्स एंबुलेंस चलाने के दौरान बैक गियर तक नहीं लगा पा रहा था, जिससे एंबुलेंस पीछे नहीं हो पा रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि जो ड्राइवर एंबुलेंस में बैक गियर तक नहीं लगा पा रहा है वो सड़क पर एंबुलेंस सुरक्षित ढंग से कैसे चलाएगा?

वहीं इस पूरे मामले में सीएमओ उन्नाव डॉ. सत्य प्रकाश का कहना है कि 108, 102 एंबुलेंस गाड़ियों में एक ईएमटी भी होता है, जिसे इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन कहा जाता है. इनमें से कई ईएमटी काम पर वापस आ गए हैं. सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है कि उनके पास पुरुष सीएचओ, अतिरिक्त वार्ड बॉय और आरबीएसके टीम से एक पैरा मेडिकल उपलब्धता के आधार हो सके तो इनको तैनात किया जाए, जिससे मरीजों को परेशानी न हो. वहीं ड्राइवरों द्वारा एंबुलेंस बैक न कर पाने के सवाल पर सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश ने बताया कि सभी ड्राइवर एआरटीओ और जिला प्रशासन द्वारा मुहैया करवाए गए हैं.

उन्नाव: उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस की एएलएस सेवा नई कंपनी को सौंपी गई है. यह कंपनी नए सिरे से भर्ती कर रही है, जिसको लेकर पहले से कार्यरत कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. कई दौर की बातचीत के बाद भी समझौता नहीं होने पर एएलएस एंबुलेंस कर्मचारियों के समर्थन में 102 और 108 एंबुलेंस कर्मियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी है. एंबुलेंस कर्मियों ने बीते रविवार रात 12:00 बजे 108 और 102 एंबुलेंस सेवा ठप कर दी है. इससे प्रदेश भर में करीब ढाई हजार से अधिक एंबुलेंस खड़ी हो गई हैं. पिछले कई दिनों से एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल जारी है, जिससे आकस्मिक सेवा के मरीजों को अस्पताल लाने में बड़ी समस्या हो रही है.

उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर.

वहीं एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल समाप्त न होता देख उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में प्रशासन ने हड़ताली एंबुलेंस कर्मियों से चाबी लेकर नौसिखिये ड्राइवरों को एंबुलेंस की स्टेयरिंग थमा दी है. ये ड्राइवर एंबुलेंस चलाने और मरीजों को सुविधावपूर्वक लाने ले जाने के लिए पूरी तरीके से अनट्रेंड हैं. इन नौसिखिये ड्राइवरों को छोड़कर दूसरा कोई ट्रेंड मेडिकल स्टाफ एंबुलेंस में तैनात नहीं किया गया है. इन अनट्रेंड ड्राइवरों के काम करने की कुछ तस्वीरें देखने को मिली हैं, जिनको देखकर लगता है कि मरीजों की जिंदगी अब भगवान के भरोसे ही छोड़ दी गई है.

बता दें कि आकस्मिक सेवा के मरीजों को अस्पताल लाने और ले जाने के लिए उन्नाव जिला प्रशासन ने आनन-फानन में नए और अनट्रेंड ड्राइवरों से एंबुलेंस की कमान तो सौंप दी, लेकिन उसके दुष्परिणाम एंबुलेंस से आने वाले मरीजों को जान-जोखिम में डालकर भुगतने पड़ रहे हैं. जिले में दो दिनों से अनट्रेंड ड्राइवरों के काम करने की जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वो खुद ही बता रही हैं कि ये एंबुलेंस मरीजों के लिए जीवनदायिनी नहीं बल्कि जीवन लेने वाली बनती जा रही हैं.

नए और अनट्रेंड ड्राइवरों को एंबुलेंस का स्ट्रेचर तक खोलना नहीं बताया गया है. एक एंबुलेंस का ड्राइवर मरीज को एंबुलेंस से उतारते समय स्ट्रेचर के व्हील नहीं खोल पाया, जिससे एंबुलेंस से मरीज स्ट्रेचर समेत जमीन पर गिर गया. यही नहीं मरीज को चढ़ाई जा रही वाइल की बोतल को पकडने वाला भी कोई नहीं था. एक दूसरी तस्वीर में देखने को मिला कि चाकुओं से गोदकर घायल किए गए एक शख्स को एंबुलेंस से उतारकर पैदल ही अस्पताल की इमरजेंसी में ले जाया जा रहा था, जबकि घायल शख्स चलने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था. एंबुलेंस में स्ट्रेचर रखा साफ तौर पर दिख रहा था, लेकिन जानकारी के अभाव में ये अनट्रेंड ड्राइवर कुछ नहीं कर पा रहे थे.

वहीं सड़क हादसे में घायल एक व्यक्ति को एंबुलेंस द्वारा जिला अस्पताल लाया गया. घायल का पैर बुरी तरह से चुटहिल था और लगातार खून बह रहा था. एंबुलेंस में इस घायल को प्राथमिक उपचार मिलना चलिए था, लेकिन नहीं मिला. वजह यह है कि इन गाड़ियों में ड्राइवर तो लगा दिए गए हैं, लेकिन गाड़ियों में मरीजों की जान बचाने के लिए त्वरित प्रयास करने वाले ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) की तैनाती नहीं की गई है.

एक अनट्रेंड ड्राइवर एंबुलेंस चलाने की कोशिश कर रहा था. इसे जिला प्रशासन और एआरटीओ द्वारा एंबुलेंस मुहैया करवाई गई थी, लेकिन यह शख्स एंबुलेंस चलाने के दौरान बैक गियर तक नहीं लगा पा रहा था, जिससे एंबुलेंस पीछे नहीं हो पा रही थी. ऐसे में सवाल उठता है कि जो ड्राइवर एंबुलेंस में बैक गियर तक नहीं लगा पा रहा है वो सड़क पर एंबुलेंस सुरक्षित ढंग से कैसे चलाएगा?

वहीं इस पूरे मामले में सीएमओ उन्नाव डॉ. सत्य प्रकाश का कहना है कि 108, 102 एंबुलेंस गाड़ियों में एक ईएमटी भी होता है, जिसे इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन कहा जाता है. इनमें से कई ईएमटी काम पर वापस आ गए हैं. सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है कि उनके पास पुरुष सीएचओ, अतिरिक्त वार्ड बॉय और आरबीएसके टीम से एक पैरा मेडिकल उपलब्धता के आधार हो सके तो इनको तैनात किया जाए, जिससे मरीजों को परेशानी न हो. वहीं ड्राइवरों द्वारा एंबुलेंस बैक न कर पाने के सवाल पर सीएमओ डॉ. सत्य प्रकाश ने बताया कि सभी ड्राइवर एआरटीओ और जिला प्रशासन द्वारा मुहैया करवाए गए हैं.

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