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उन्नाव: देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले चंद्रशेखर आजाद का स्मारक बदहाल - चंद्रशेखर आजाद

यूपी के उन्नाव के बदरका गांव में जन्मे चंद्रशेखर आजाद ने देश की जंग-ए-आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. गांव में चंद्रशेखर आजाद की स्मारक है, जो अभी बदहाली की स्थिति में है. आज भी इस गांव के लोग विकास के आस में बैठे हुए हैं.

चंद्रशेखर आजाद का स्मारक बदहाल.
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Published : Aug 18, 2019, 9:18 AM IST

उन्नाव: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा. कविता की यह पंक्तियां शहीदों की शहादत और उन्हें नमन करने की प्रेरणा देती हैं. आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरों से भारत माता को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. देश की जंग-ए-आजादी का वीर सिपाही चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना आजादी की कहानी पूरी नहीं हो सकती.

चंद्रशेखर आजाद का स्मारक बदहाल.

उन्नाव के बदरका गांव में जन्मे चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है. बदरका गांव के लोग आज भी विकास की आस में बैठे हैं. गांव में चंद्रशेखर आजाद की स्मारक है, जो अभी बदहाली की स्थिति में है. मुल्क की आजादी के लिए चंद्रशेखर आजाद ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को जीते जी अपना शरीर भी नहीं छूने दिया. स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म 7 जनवरी 1906 को हुआ था. आज उनके जन्मस्थली की हालत बद से बदत्तर हो गई है.

पढ़ें:- चमरौला-बरहन कांड के क्रांतिकारियों ने हिला दी थी गोरी हुकूमत, याद में बना शहीद स्मारक बदहाल

बदहाली पर आंसू बहा रहा शहीद स्मारक-
इस अमर शहीद का स्मारक भी बदहाली के आंसू बहा रहा है. विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है. वहीं हाल ही में बनवाया गया सभागार भी बदहाल हो चूका है. आलम यह है कि यहां आजाद जी के जन्म दिवस पर ही साफ-सफाई होती है.

विकास की जोह बाट रहा बदरका गांव-
यहां न परिवहन विभाग की कोई बस है और न ही बिजली की ठीक व्यवस्था. पानी की किल्लत यहां हमेशा बनी रहती है. यही नहीं गांव में कोई भी इंटर कॉलेज नहीं है. स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गांव के लोग सिर्फ झोला छाप डॉक्टरों के ही भरोसे हैं. यहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर कई महान हस्तियों ने शिरकत की और लोगों को विकास का आश्वासन दिया.

उन्नाव: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा. कविता की यह पंक्तियां शहीदों की शहादत और उन्हें नमन करने की प्रेरणा देती हैं. आजादी के दीवानों ने ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरों से भारत माता को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. देश की जंग-ए-आजादी का वीर सिपाही चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना आजादी की कहानी पूरी नहीं हो सकती.

चंद्रशेखर आजाद का स्मारक बदहाल.

उन्नाव के बदरका गांव में जन्मे चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है. बदरका गांव के लोग आज भी विकास की आस में बैठे हैं. गांव में चंद्रशेखर आजाद की स्मारक है, जो अभी बदहाली की स्थिति में है. मुल्क की आजादी के लिए चंद्रशेखर आजाद ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत को जीते जी अपना शरीर भी नहीं छूने दिया. स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म 7 जनवरी 1906 को हुआ था. आज उनके जन्मस्थली की हालत बद से बदत्तर हो गई है.

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बदहाली पर आंसू बहा रहा शहीद स्मारक-
इस अमर शहीद का स्मारक भी बदहाली के आंसू बहा रहा है. विकास के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है. वहीं हाल ही में बनवाया गया सभागार भी बदहाल हो चूका है. आलम यह है कि यहां आजाद जी के जन्म दिवस पर ही साफ-सफाई होती है.

विकास की जोह बाट रहा बदरका गांव-
यहां न परिवहन विभाग की कोई बस है और न ही बिजली की ठीक व्यवस्था. पानी की किल्लत यहां हमेशा बनी रहती है. यही नहीं गांव में कोई भी इंटर कॉलेज नहीं है. स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गांव के लोग सिर्फ झोला छाप डॉक्टरों के ही भरोसे हैं. यहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर कई महान हस्तियों ने शिरकत की और लोगों को विकास का आश्वासन दिया.

Intro:उन्नाव:--देश की आजादी का सपना दिल में संजोये आजादी के दीवानो ने ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरो से भारत माता को आजादी दिलाने के लिए जहाँ अपने प्राणो की आहुति दे डाली वही इस लड़ाई में बरतानिया हुकूमत को लोहे के चने चबाने वाले देश की जंगे आजादी का सबसे वीर सिपाही चंद्रशेखर आजाद का नाम लिए बिना आजादी की कहानी पूरी नहीं हो सकती उन्नाव के बदरका गाँव में जन्मे इस वीर सपूत की जन्मस्थली अभी भी मूलभूत सुविधाओ से पूरी तरह वंचित है और विकास के नाम पर इस पावन भूमि के लोग आस लगाये ही बैठे है आज हम आपको  दिखायेगे की किस तरह देश को अंग्रेजो की  मुक्त कराने वाले अमर शहीद का उनकी ही जन्मस्थली पर अपमान किया जा रहा है उन्नाव से वीरेंद्र यादव की ये विशेष रिपोर्ट। ....... 






Body:- ये स्मारक है आजादी के उस वीर महान सपूत का जिसने मुल्क की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और ब्रिटिश हुकूमत को अपने जीते जी अपना शरीर भी नहीं छूने दिया जी हां हम बात कर रहे है स्वतंत्रता संग्राम के सबसे बड़े क्रांतिकारी अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की उन्नाव के बदरका की इसी पावन धरती पर 7 जनवरी 1906 को जन्मे इस अमर शहीद ने इन्ही गलियो में अपना बचपन बिताया यही नहीं आज भी यहाँ पर वो पवित्र स्थान है जहाँ आजाद जी का जन्म हुआ था लेकिन इस पवित्र स्थान पर जब हम पहुंचे तो हमारा सर भी शर्म से झुक गया क्योकि यहाँ की हालत बद से बदत्तर थी देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले इस महान क्रांतिकारी ने जीते जी ब्रिटिश हुकूमत को अपना शरीर तक नहीं छूने दिया 
वही इस अमर शहीद का स्मारक बदहाली के आंसू बहा रहा है विकास के नाम पर यहाँ कुछ भी नहीं है आजाद जी के स्मारक की हालत इस कदर बदत्तर हो चुकी है की दरवाज़ों के पल्ले टूट चुके है और छतों का प्लास्टर उखड़ चुका है यही नही दरवाज़े का पल्ला टूटा होने की वजह से गंदगी का अंबार लगा हुआ है वही हाल ही में बनवाया गया सभागार भी बदहाल हो चूका है आलम यह है कि  यहाँ आजाद जी के जन्म दिवस पर ही साफ़ सफाई होती है बाकी यहाँ कोई झाकने तक नहीं आता है।


Conclusion: वही अगर विकास की बात करे तो यहाँ पर न  परिवहन विभाग की कोई बस है और ना ही बिजली की ठीक व्यवस्था पानी की किल्लत तो यहाँ हमेशा बानी ही रहती है यही नही गांव में कोई भी इंटर कालेज ना होने से यहां लड़किया पढ़ भी नही पाती और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर गांव के लोग सिर्फ झोला छाप डॉक्टरों के ही भरोसे है जबकि इस पावन धरती पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान गृह मंत्री राजनाथ सिंह से लेकर कई महान हस्तियों ने शिरकत की और लोगो को विकास का आश्वासन दिया फिर चाहे वो बाबा रामदेव हो या अन्ना हज़ारे जी लेकिन आज तक यहाँ पर  नेताओ और मंत्रियो  पत्थर ही लगाये गए विकास कुछ  नहीं हुआ।

बाईट-राजन शुक्ला (ग्रामीण)


वीरेंद्र यादव
उन्नाव
मो-9839757000
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